संवाददाता, पटना टीपीएस कॉलेज पटना में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा: मौखिक परंपरा से लिखित इतिहास तक’ विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान व बाबा साहेब आप्टे समर्पण दिवस का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम इतिहास संकलन समिति, दक्षिण बिहार व इतिहास विभाग, टीपीएस कॉलेज पटना द्वारा आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आइक्यूएसी की समन्वयक प्रो रूपम ने की. उन्होंने कहा कि भारत को विश्व गुरु इसलिए कहा जाता है, क्योंकि हमने हर क्षेत्र में असीमित ज्ञान अर्जित कर विश्व तक पहुंचाया. खोये हुए ज्ञान को पुनर्जीवित कर वैश्विक समुदाय को प्रदान करना हमारा दायित्व है. खगोल शास्त्र, ज्योतिष और गणित की परंपराएं भारत की अमूल्य देन हैं, जिन्हें शोध से पुनर्स्थापित करना आवश्यक है. मुख्य वक्ता पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो राजीव रंजन, जो एक प्रसिद्ध इतिहासविद भी हैं, ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल संदेश अपने मूल की ओर लौटकर गहन चिंतन से ज्ञान के खजाने की खोज करना है. उन्होंने जीवक, चरक, सुश्रुत जैसे चिकित्सकों के योगदान और भारतीय पंचांग की सटीक गणना प्रणाली जैसे मौखिक परंपराओं का उल्लेख किया. प्रो रंजन ने स्थानीय और ग्रामीण इतिहास, रीति-रिवाजों को लिपिबद्ध कर संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया और बच्चों को इस दिशा में परियोजना कार्य सौंपने की बात कही. अतिथियों का स्वागत डॉ प्रशांत कुमार ने किया और कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा श्रुति-स्मृति से लिखित इतिहास की यात्रा तय करती है. इतिहास संकलन समिति के महासचिव शैलेंद्र कुमार ने बाबा साहेब आप्टे को अतुलनीय इतिहासकार बताते हुए उनके भारतीय इतिहास को सकारात्मक बनाने के प्रयासों को रेखांकित किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ मुकुंद कुमार ने किया, जिन्होंने कहा कि इस शृंखला की प्रेरणा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो तपन कुमार शांडिल्य से मिली है. कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ प्रशांत कुमार ने किया. इस अवसर पर प्रो विजय कुमार सिन्हा, प्रो अंजलि प्रसाद, डॉ शशि भूषण चौधरी, डॉ नुपुर, डॉ विनय भूषण कुमार, डॉ नूतन कुमारी, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ शशि शेखर सिंह, डॉ सानंदा सिन्हा, डॉ नीरज रंजन, डॉ उमेश कुमार, डॉ चंद्रशेखर ठाकुर, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ मनीष कुमार, राहुल झा सहित विभिन्न शोधार्थियों समेत कई छात्र छात्राएं मौजूद थीं.
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