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बिहार सरकार को पद के अनुरूप नहीं मिले आयुष चिकित्सक, दिव्यांगों की आरक्षित 90 सीटें रह गयी खाली

बिहार में आयुष चिकित्सा पद्धति के प्रति कोरोना के बाद लोगों में रुझान देखने को मिल रहा है, लेकिन इसकी पढ़ाई को लेकर न राज्य में समुचित संरचनाएं हैं और न ही लोगों में जागरुकता. ऐसे में दिव्यांगों का इस पढ़ाई की ओर रुझान नहीं होना स्वभाविक ही है.

पटना. दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई में कोई विशेष रूप से छूट की व्यवस्था की है. दिव्यांगों के लिए कुछ सीटें आरक्षित होती हैं. मेडिकल कॉलेज की तरह ही कुछ सीटें आयुर्वेदिक कॉलेजों में भी दिव्यागों के लिए आरक्षित की गयी हैं. हर जगह दिव्यागों के लिए कुछ सीटें आरक्षित होती है. इतना ही नहीं दिव्यांगों को यह लाभ नौकरी में भी मिलता है. चार साल पहले बिहार सरकार के लिए बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने आयुष डॉक्टरों का विज्ञापन निकाला था. सितंबर 2020 में आये इस विज्ञापन में आयुष चिकित्सा पदाधिकारी, आयुष फिजिशियन समेत 3270 पदों पर नियुक्ति करनी थी.

आरक्षित पदों पर नहीं मिले उम्मीदवार

चार साल बाद जब बुधवार को नियुक्त डॉक्टरों की सूची जारी हुई तो दिव्यागों के लिए आरक्षित पदों में से करीब 90 पद खाली रह गये. आयोग की ओर से बताया गया कि इतनी संख्या में आवेदन ही नहीं आये. बिहार के दिव्यांगों में आयुष डॉक्टर बनने की रुचि कम देखी जा रही है. कॉलेजों में भी सीटें खाली रह जा रही है और नौकरी में भी इनके लिए आरक्षित पदों पर उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं.

वेकैंसी के अनुरूप नहीं मिले डॉक्टर

बिहार तकनीकी सेवा आयोग की ओर से जारी जानकारी के अनुसार सितंबर 2020 में आयुष चिकित्सा पदाधिकारी, आयुष फिजिशियन समेत 3270 पदों पर वेकैंसी निकली गयी थी. इस परीक्षा का रिजल्ट बुधवार को जारी किया गया है. इस परीक्षा में कुल 2901 अभ्यर्थी सफल हुए हैं. दिव्यांग कोटे के अंतर्गत अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने के कारण 90 रिक्तियां फिलहाल रिक्त रखी गई है. यह संकट केवल आयुर्वेद पद्धति में नहीं है, यूनानी और होम्योपैथिक पद्धति में भी दिव्यांगों का रुझान कब पाया जा रहा है.

दिव्यांग के 90 पद पर नहीं हुई वैकेंसी

आयुष फिजिशियन यूनानी के लिए 50 पदों पर वैकेंसी निकाली गई थी. उसमें से 39 चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है. दिव्यांग कोटे के अंतर्गत अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने के कारण 90 रिक्तियां फिलहाल रिक्त रखी गई है. वहीं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग कोटी में अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने के कारण 279 पदों को रिक्त रखा गया है. इस प्रकार कुल 369 पदों को अभी रिक्त रखा गया है.

पद के अनुरूप नहीं मिले आयुष चिकित्सक

बिहार तकनीकी सेवा आयोग की ओर से जारी रिजल्ट में आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी के 1502 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें से 1328 अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है. वहीं आयुष फिजिशियन आयुर्वेदिक 126 पदों के लिए वैकेंसी था. जिसमें से 122 का रिजल्ट जारी किया गया है. आयुष चिकित्सक के विभिन्न पदों का परिणाम आज प्रकाशित कर दिया गया है. कुल 2901 चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है. 3270 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था.

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यूनानी और होम्योपैथिक भी नहीं मिले

होम्योपैथिक चिकित्सा पदाधिकारी के 894 पदों के लिए वैकेंसी था. जिसमें 877 चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है. आयुष फिजिशियन होम्योपैथी के 76 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी. जिसमें से 74 का चयन कर रिजल्ट जारी किया गया है. यूनानी चिकित्सा पदाधिकारी के 622 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी. जिसमें 461 चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया गया है.

दिव्यागों के लिए कठिन है रास्ता

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ लेखनाथ कहते हैं कि यह रुझान का मामला नहीं है, यह अवसर का मामला है. बिहार में आयुष चिकित्सा पद्धति को लेकर ही लोगों में जागरुकता नहीं है. लोग आज भी इस पद्धति से पढ़ाई के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. इसका एक कारण सरकारी नौकरी का अभाव रहा. अब जब सरकार नौकरी दे रही है तो उम्मीद है कि लोगों में इसके प्रति रुझान बढ़ेगा. जहां तक बात दिव्यांगों की है तो उनका सफर तो और मुश्किल है.

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