फोक आर्ट पेंटिंग प्रदर्शनी : आर्ट कॉलेज गैलरी कला प्रेमियों की चहलकदमी से गुलजार रहा
संवाददाता, पटना
फोक आर्टोपीडिया संस्था की ओर से आयोजित तीन दिवसीय फोक आर्ट पेंटिंग प्रदर्शनी के दूसरे दिन शनिवार को भी आर्ट कॉलेज गैलरी कला प्रेमियों की चहलकदमी से गुलजार रहा. इस अवसर पर कला संस्कृति विभाग की डायरेक्टर रुबी ने सभी पेंटिंग्स को बहुत ही दिलचस्पी के साथ देखा और फोक आर्टोपिडिया के कलेक्शन को अद्भुत बताया. उन्होंने प्रदर्शनी में लगाये गये गोदना कला, चितारा कला, सुरपुर कला आद के आर्टवर्क की बारीकियों को समझते हुए उसकी काफी सराहना की. वहीं प्रदर्शनी में दिल्ली से प्रसार भारती बोर्ड के चैयरमैन नवनीत सहगल और फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, लखनऊ की डीन एवं प्राचार्या वंदना सहगल और कलाकार गीतांजली ने भी गैलरी का भ्रमण करते हुए एक आर्टवर्क में झलकती संस्कृति की सराहना की. प्रदर्शनी के दूसरे दिन विमर्श सत्र में लोककलाओं की पारंपरिक पहचान, समकालीन प्रयोग और सामाजिक प्रासंगिकता से युवाओं को अवगत कराया गया.
लोककला में दूसरों से प्रेरणा लेकर या देखकर सीखना नकल नहीं होता : राकेश कुमार झा
पद्मश्री शांति देवी ने कलाकारों में नकल की प्रवृति पर कहा कि छात्र यदि अपने गुरु के प्रति सम्मान के नजरिये से उनकी नकल करता है तो ये सर्वथा जायज है. क्योंकि एक कलाकार अपने छात्रों की कलाकृति के माध्यम से ही सतत विस्तार पाता है. उनके जीवन के बाद भी उनकी कला न सिर्फ जिंदा रहेगी बल्कि फलता फुलता रहेगा. वहीं उन्होंने मिथिला चित्रकला में स्केच और पेन के बढ़ रहे चलन पर भी आपत्ति जतायी. उन्होंने नये बच्चों से आग्रह किया कि वे अपने लोककला की परंपरा को बचाये रखें. वहीं उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनने की भी सलाह दी और कहा कि सीखना साहस पैदा करता है. वहीं राकेश कुमार झा का कहना था कि लोककला में दूसरों से प्रेरणा लेकर या देखकर सीखना नकल नहीं होता बल्कि कला के हस्तांतरण का तरीका है. पद्मश्री अशोक कुमार विश्वास और कला संस्कृति विभाग की डायरेक्टर रुबी के हाथों ब्लॉक प्रिंटिंग के विजेता छात्राओं को सर्टिफिकेट भी दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है