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ईडी ने मगध विश्विद्यालय के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद की संपत्ति जब्त की, मनी लांड्रिंग का लगा है आरोप

जब्त संपत्ति राजेंद्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों और परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत है. जब्त संपत्ति उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के धनघटा में हैं.एजेंसी ने यह कार्रवाई विशेष निगरानी इकाइ द्वारा राजेंद्र प्रसाद पर की गई कार्रवाई और दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की.

पटना. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद की 64.53 लाख रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.उनपर पर यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत की गयी है. जब्त संपत्ति राजेंद्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों और परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत है. जब्त संपत्ति उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के धनघटा में हैं.एजेंसी ने यह कार्रवाई विशेष निगरानी इकाइ द्वारा राजेंद्र प्रसाद पर की गई कार्रवाई और दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की.

करीब 30 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का आरोप

मगध विवि के कुलपति रहने के दौरान राजेंद्र प्रसाद पर आरोप लगे थे कि उन्होंने करीब 30 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया है.उसके बाद 17 नवंबर 2021 में विशेष निगरानी इकाइ ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद राजेंद्र प्रसाद के गया और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था.

राजेंद्र प्रसाद के यहां छापामारी में मिली थी 1.84 करोड़ नकद

इडी ने बुधवार को आधिकारिक जानकारी में बताया कि विशेष निगरानी इकाइ ने राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ की गई छापामारी में 1.84 करोड़ रुपये नकद और बैंक खातों में 90.79 लाख जब्त की थी.एजेंसी ने बाद में अपनी जांच में पाया कि सितंबर 2019 से नवंबर 2021 तक, राजेंद्र प्रसाद ने अपराध की आय का इस्तेमाल अपने बेटे डा.अशोक कुमार और आरपी कालेज के नाम पर पांच संपत्तियों को नकद में हासिल करने के लिए किया, जिसका प्रतिनिधित्व उनके भाई अवधेश प्रसाद करते हैं.

संपत्ति प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर किया गया हस्तांतरित

आरपी कालेज के नाम पर हासिल की गई संपत्ति को परिवार के स्वामित्व वाली प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर हस्तांतरित किया गया. इडी ने दावा किया कि प्रसाद ने अपराध से प्राप्त आय को ट्रस्ट की आय के रूप में दिखाने के लिए ट्रस्ट के बैंक खाते में नकदी के रूप में जमा किया.जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि प्रसाद द्वारा परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट का उपयोग करके अपराध की आय से अर्जित संपत्ति को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित साजिश रची थी. इस मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी.

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चौतरफा दबाव के बाद किये थे आत्मसमर्पण

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के आत्मसमर्पण के पीछे उन पर बढ़ता चौतरफा दबाव अहम कारण बना था. बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) दो दिन पूर्व ही उनके आजादनगर पूर्वी स्थित आवास पर आ धमकी थी. 17 नवंबर 2021 को भी यहां आई टीम ने कई घंटे सर्च आपरेशन चलाया था. तभी से कुलपति का आवास बिहार की एसवीयू के रडार पर था.

ये है पूरा मामला

कुलपति राजेंद्र प्रसाद आत्मसमर्पण से तीन माह पहले गया से सरकारी गाड़ी से गोरखपुर आए थे. उनके पास बड़ी मात्रा में नकदी होने की सूचना पर गोरखपुर पुलिस ने विश्वविद्यालय चौराहा पर गाड़ी रोककर तलाशी ली, लेकिन कुछ मिला नहीं. उन्होंने पुलिस से चेकिंग की वजह पूछी तो पुलिस ने गलतफहमी में गाड़ी रोकने की बात कहकर मामले को टाल दिया. इसके बाद उन पर मुकदमा दर्ज हुआ तो 17 नवंबर को बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने उनके आवास पर छापा मारकर गहने, दस्तावेज और उपहारों के बारे में पूछताछ की. गहनों का मूल्यांकन करने के बाद इसे परिवार को वापस कर दिया गया था. नकदी व दस्तावेज लेकर टीम पटना लौट गई.

गोरखपुर में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे

गोरखपुर विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग के राजेंद्र प्रसाद 24 दिसंबर, 1990 से चार जुलाई, 2008 तक विभागाध्यक्ष रहे. छह जनवरी, 2010 से पांच जनवरी, 2013 तक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता रहे. नौ सितंबर, 2012 से पांच जनवरी, 2013 तक गोरखपुर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी के साथ-साथ विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

मुलायम सिंह यादव के रहे हैं करीबी

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने के कारण सपा शासनकाल में सितंबर, 2015 से 16 जून, 2016 तक वह प्रयागराज राज्य विवि के ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) और उसके बाद संस्थापक कुलपति बनाए गए. इस पद पर 25 जून 2019 तक आसीन रहे. चार बार विवि के मुख्य नियंता के साथ ही वरिष्ठतम प्रोफेसर होने के कारण सत्र 2011, 2012, 2013, 2014, 2015 व 2016 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति के रूप में भी अल्पकालिक योगदान दिया.

पूर्व कुलपति की कार पर हमले का आरोप भी लगा

गोरखपुर विवि के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार की कार पर कुछ अराजक तत्वों ने हमला किया था, जिसमें प्रो राजेन्द्र प्रसाद का भी नाम आया था. इस मामले को लेकर कार्य परिषद ने अनुशासनिक समिति गठित की. हालांकि, बाद में वह इस मामले में बरी हो गए थे.

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