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Corruption in Bihar: बिहार के 4000 से ज्यादा लोकसेवक दागी, शिक्षा विभाग सबसे भ्रष्ट

Corruption in Bihar: निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया है कि विभागों और क्षेत्रीय पदाधिकारियों को पदाधिकारी-कर्मियों को 30 जून 2025 तक के मामलों में पदोन्नति के लिए अलग से स्वच्छता प्रमाणपत्र मांगने की जरूरत नहीं होगी.

Corruption in Bihar: पटना. बिहार में नेता ही नहीं बड़ी संख्या में लोकसेवक भी दागी हैं. बिहार के करीब 4200 लोकसेवक दागी हैं. साथ ही 696 निजी व्यक्तियों पर भी निगरानी विभाग की विभिन्न इकाइयों में मुकदमा चल रहा है. निगरानी विभाग ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में दिसंबर 2024 तक दर्ज इन कांडों की सूची संबंधित विभागों, प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को भेज दी है. निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया है कि विभागों और क्षेत्रीय पदाधिकारियों को पदाधिकारी-कर्मियों को 30 जून 2025 तक के मामलों में पदोन्नति के लिए अलग से स्वच्छता प्रमाणपत्र मांगने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि इसके अतिरिक्त अन्य मामलों में निगरानी स्वच्छता की आवश्यकता होने पर निगरानी विभाग से अनुरोध किया जा सकता है.

अधिकतर मामलों में चल रहा अनुसंधान

साल में दो बार संबंधित प्रशासी विभाग को दर्ज प्राथमिकी और चार्जशीटेड पदाधिकारी-कर्मचारियों की सूची भेजने का प्रावधान है. इसके आधार पर सभी विभागों को अपने कार्यालय के दागी कर्मियों की सूची भी संधारित करनी है. निगरानी विभाग के पत्र के अनुसार, स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) में 55 मामले और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में करीब 85 मामले दर्ज हैं. इनमें अधिकतर में अब भी अनुसंधान ही चल रहा है. ईओयूमें 2019 के बाद सिर्फ एक मामले में चार्जशीट हुई है, जबकि एक मामले में साक्ष्य की कमी पाते हुए अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया गया है. शेष मामलों में अनुसंधान चल रहा है. उसके पहले के 39 मामलों में से 37 में चार्जशीट हो चुकी है, जबकि दो मामलों में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया गया है. एसवीयू में दर्ज 55 मामलों में से करीब आधा न्यायालय में विचाराधीन हैं, जबकि शेष में अनुसंधान चल रहा है. कुल में से 39 मामलों में आरोपित पदाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है.

शिक्षा विभाग में सबसे अधिक मामले दर्ज

निगरानी विभाग के पत्र के अनुसार सरकारी विभागों में सबसे अधिक शिक्षा विभाग में 962 लोकसेवकों पर मुकदमा है. इनमें 400 से अधिक शिक्षक हैं. उनमें भी मुजफ्फरपुर के मीनापुर, कांटी, सरैया, गायघाट, पारू, बोचहां और मुशहरी थाना इलाके में शिक्षकों की संख्या अधिक हैं. उसके बाद पंचायती राज विभाग में 333 मामले दर्ज हैं. इनमें आधे से अधिक मामलों में मुखिया पद धारक आरोपित हैं. तीसरे नंबर पर सामान्य प्रशासन विभाग से जुड़े 247 मामलों में तत्कालीन डीएम से लेकर एसडीओ, बीडीओ, डीसीएलआर,
सीनियर डिप्टी कलेक्टर के पदों पर तैनात रहे पदाधिकारी आरोपित हैं. इनके अलावा बिहार पुलिस के पदाधिकारी-कर्मियों में दारोगा से लेकर इंस्पेक्टर रैंक के 245, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 193 पदाधिकारी-कर्मियों में अंचलाधिकारी और ग्रामीण विकास के 130 पदाधिकारी-कर्मियों में बीडीओ रैंक के पदाधिकारी सबसे अधिक हैं. इन पर रिश्वत लेने के साथ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप हैं.

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