Bihar News: बिहार के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव होने जा रहा है. अब छात्र केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें सोशल साइंस के विषयों को प्रैक्टिकल और अनुभवात्मक तरीके से सीखने का मौका मिलेगा. राज्य सरकार की पहल के तहत 836 चयनित सरकारी स्कूलों में सोशल साइंस किट उपलब्ध कराई जाएंगी. इन किटों में ऐसे लाइव मॉडल होंगे जिनसे बच्चे प्रैक्टिकल रूप से समझ पाएंगे कि बारिश का पानी कैसे बचाया जा सकता है, भूकंप क्यों आता है, और अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक बातें.
ये मॉडल होंगे शामिल
हर सोशल साइंस किट में लगभग 24 प्रकार के मॉडल और टूल्स शामिल होंगे, जो बच्चों को विषय को प्रैक्टिकल रूप से समझने में मदद करेंगे. इन मॉडल्स में भूकंप का मॉडल, वोल्केनो मॉडल, सीस्मोग्राफ मॉडल, चंद्रमा की कलाएं और विंड डायरेक्शन इंडिकेटर (वायु दिग्दर्शक) जैसे उपकरण शामिल हैं. इनका उद्देश्य छात्रों को केवल किताबों तक सीमित न रखकर व्यावहारिक और अनुभवात्मक तरीके से सीखने का मौका देना है.
ये होगा फायदा
इन मॉडल्स के माध्यम से बच्चों को कई फायदे होंगे. इससे उनकी रटने की आदत कम होगी, क्योंकि वे केवल किताबों में नहीं, बल्कि अनुभव के जरिए सीखेंगे. सब्जेक्ट रोचक और मजेदार बनेगा, जिससे क्लासरूम में पढ़ाई बोरिंग नहीं लगेगी. बच्चों की जिज्ञासा बढ़ेगी, वे खुद सवाल पूछेंगे और खोज करेंगे. इसके अलावा, किताबों का ज्ञान असली दुनिया से जुड़ जाएगा, और समूह में काम करने से उनका टीमवर्क और आत्मविश्वास भी मजबूत होगा.
शिक्षकों को दी जाएगी स्पेशल ट्रेनिंग
इसके अलावा, शिक्षकों को भी विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे इन किटों का सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें और इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल कर सकें.शिक्षा विभाग का कहना है कि इससे बच्चों की वैज्ञानिक सोच और व्यावहारिक समझ मजबूत होगी. वे अब केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि मॉडल और उपकरणों के जरिए चीज़ों को प्रत्यक्ष रूप से देख और समझ पाएंगे. इससे विज्ञान के प्रति रुचि और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. बता दें यह पहल पहली बार पटना और पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों में शुरू की जा रही है इसका मकसद बच्चों की पढ़ाई को मजेदार, अनुभव से सीखने वाला और आसान बनाना है.
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