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Chanpatia Vidhan Sabha: बिहार की यह सीट BJP के लिए ‘एक्सपेरिमेंट लैब’, हर बार बदला कैंडिडेट, लेकिन जीत बरकरार

Chanpatia Vidhan Sabha: चनपटिया विधानसभा सीट पर दो दशकों से भाजपा का कब्जा है. खास बात यह रही कि हर चुनाव में उम्मीदवार बदलने के बावजूद पार्टी ने जीत दर्ज की है. यहां ब्राह्मण, यादव, भूमिहार, कोइरी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अब देखना यह है कि क्या बीजेपी इस बार अपने पुराने ट्रेंड पर कायम रहती है या इस बार वर्तमान विधायक को ही मौका देती है. पढे़ं पूरी खबर…

Chanpatia Vidhan Sabha: पश्चिमी चंपारण की चनपटिया विधानसभा सीट का राजनीतिक समीकरण हमेशा से दिलचस्प रहा है. पिछले बीस सालों से यह सीट लगातार भाजपा के कब्जे में है. खास बात यह है कि पार्टी ने हर चुनाव में नया चेहरा उतारा, फिर भी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. यही वजह है कि इसे भाजपा की सुरक्षित सीट मानी जाती है.

2000 से लगातार जीतती आ रही है बीजेपी

शुरुआत में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था. 1980 में वामपंथी नेता बीरबल शर्मा ने पहली बार जीत हासिल कर कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा बुलंद किया. वे 1980, 1985 और 1995 में विधायक बने. हालांकि 1990 में उन्हें जनता दल के कृष्ण कुमार मिश्र से हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2000 में मिश्र ने भाजपा का दामन थामा और सीट को भगवा रंग में रंग दिया.

2005 से 2020 तक का चुनाव परिणाम

इसके बाद से भाजपा का दबदबा कायम रहा. 2005 में सतीश चंद्र दुबे ने जीत हासिल की. 2010 में पार्टी ने चंद्रमोहन राय पर भरोसा जताया, जिन्होंने आसानी से विजय पाई. 2015 में प्रकाश राय ने मुश्किल मुकाबले में मात्र 464 वोट से जीत दर्ज की. 2020 में उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोटों से हराकर परंपरा को आगे बढ़ाया.

बीजेपी ने उतारे हर बार अलग उम्मीदवार

पिछले पांच चुनावों में भाजपा ने पांच अलग-अलग उम्मीदवार उतारे और सभी जीते. इससे साफ है कि पार्टी को संगठन और स्थानीय समीकरणों पर पूरा भरोसा है. इस सीट पर ब्राह्मण, यादव, भूमिहार, कोइरी और मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि उम्मीदवार बदलने पर भी भाजपा को फायदा मिला.

इस बार क्या करेगी बीजेपी?

2025 के चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन, दोनों खेमों के नेता टिकट की दौड़ में सक्रिय हो गए हैं. भाजपा के भीतर भी कई दावेदार सामने आ चुके हैं. हालांकि, मौजूदा विधायक उमाकांत सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है और उन्हें सांसद डॉ. संजय जायसवाल का समर्थन प्राप्त है. अब देखना है कि भाजपा परंपरा को जारी रखती है या वर्तमान विधायक पर ही भरोसा जताती है.

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Aniket Kumar
Aniket Kumar
अनिकेत बीते 4 सालों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. राजस्थान पत्रिका और न्यूजट्रैक जैसे मीडिया संस्थान के साथ काम करने का अनुभव. हाईपरलोकल और राजनीति की खबरों से अधिक जुड़ाव. वर्तमान में प्रभात खबर की डिजिटल टीम के साथ कार्यरत.

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