झारखंड में ‘ऑपरेशन डाकाबेड़ा’ में आठ नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया. इन आठ नक्सलियों में एक नक्सली अरविंद यादव भी था. जिसे अशोक, अविनाश और नेता जी के नाम से भी संगठन में जाना जाता था. अरविंद यादव स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य था और उसपर बिहार सरकार ने तीन लाख रुपए का इनाम रखा था. बोकारो से लेकर बिहार के जमुई, लखीसराय और बांका में भी वह संगठन का काम देखता था. उसपर देशद्रोह और यूएपीए की धाराओं में भी केस दर्ज था.
25 साल तक रहा अरविंद का खौफ
नक्सली नेता अरविंद यादव उर्फ नक्सली प्रवक्ता अविनाश का करीब 25 साल तक खौफ बिहार के लखीसराय और आसपास के जिलों में भी रहा. वह बिहार के जमुई अंतर्गत सोनो प्रखंड के चरकापत्थर थाना क्षेत्र के लालीलेबार पंचायत के भेलवा मोहनपुर गांव का रहने वाला था. मुंगेर, जमुई और लखीसराय में लंबे समय तक वह नक्सली प्रवक्ता बनकर काम करता रहा. अलग-अलग थानों में उसके ऊपर केस दर्ज हैं.
ALSO READ: पटना में बस को घेरकर ड्राइवर को गोलियों से भूना, ताबड़तोड़ फायरिंग के बीच जान बचाकर भागे यात्री
कैसे नक्सली बना अरविंद?
42 वर्षीय अरविंद उर्फ अशोक यादव का नक्सल सफर करीब 20 से 25 साल पहले शुरू हुआ था. सूत्र बताते हैं कि आपसी जमीन विवाद के कारण वह 2001 के आसपास नक्सली संगठन से जुड़ा. उसके पिता को ननिहाल से खेत और अन्य संपत्ति मिली थी. जिसके कारण परिवार भेलवा में ही रहने लगा था. अपने घर दुधनियां गांव में जमीन हिस्सेदारी के लिए खूनी संघर्ष छिड़ा. बदले की आग में जल रहा अरविंद यहीं से नक्सली बनने निकल गया.
पत्नी भी बच्चे को लेकर ससुराल से भागी
युवा अवस्था में ही अरविंद नक्सल संगठन से जुड़ा और अपनी पैठ जमा गया. विरोधियों से बदला लेने उसने कई घटनाओं को अंजाम दिया. उसकी शादी दुबेडीह गांव में हुई थी. लेकिन पति नक्सली बना और पुलिस की दबिश बढ़ गयी तो अरविंद की पत्नी मायका या अन्य जगह पर रहने लगी. आज भी उसकी पत्नी और बच्चे बाहर ही रहते हैं. घर में सिर्फ अरविंद के माता-पिता रहते हैं.
ईडी के भी रडार पर चढ़ा
अरविंद के घर पर कई बार कुर्की-जब्ती की कार्रवाई हुई. वह फरार ही चलता रहा. सूत्रों की मानें तो अरविंद ने लेवी वसूली से बड़ी संपत्ति अर्जित की थी. बाहर के शहरों में वो इसे छिपाकर रखता रहा. 2018 में ईडी ने अरविंद की पत्नी और ससुर से संपत्ति का डिटेल मांगा था. ईडी को शक था कि अरविंद ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति बनायी है.