पटना. पारा चढ़ते ही बिजली की मांग में अप्रत्याशित रूप से भारी इजाफा हुआ है. पीक आवर में जहां बिजली की मांग बढ़ कर अपने उच्चतम स्तर 6500-6600 मेगावाट तक पहुंच गयी है, वहीं नॉर्मल आवर यानी सुबह दस से शाम पांच बजे तक भी बिजली की मांग लगभग दोगुनी हो गयी है. सामान्य दिनों के नॉर्मल आवर में बिजली की खपत 3000-3500 मेगावाट से अधिक नहीं होती मगर, गुरुवार को दोपहर 11-12 बजे भी लगभग छह हजार मेगावाट की मांग थी. इस मांग को पूरा करने में बिजली कंपनियों के इंजीनियरों के पसीने छूट गये.
ट्रांसमिशन से मिल रही फुल बिजली
ट्रांसमिशन से ग्रिड व सबस्टेशनों को तो पर्याप्त बिजली मिली, लेकिन फीडर व डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर उसको आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में हांफने लगे. मांग लगातार उच्चतम स्तर पर बने रहने से उपकरणों को ठंडा रखने के लिए कई बार बिजली आपूर्ति को बाधित करना पड़ा. इसके चलते अलग -अलग इलाकों व मुहल्लों में रह रह कर बिजली गुल होने की शिकायत मिलती रही.
केंद्रीय इकाइयों से मिली पर्याप्त बिजली
बिजली कंपनी के मुताबिक केंद्रीय इकाइयों से बिहार को पर्याप्त बिजली मिल रही है. गुरुवार को भी पीक आवर में केंद्रीय इकाइयों से करीब छह हजार मेगावाट बिजली का आवंटन उपलब्ध हुआ. अधिकारियों के मुताबिक गर्मी की यह स्थिति बनी रही तो पिछले साल बिहार में बिजली की सर्वाधिक 6786 मेगावाट की मांग का रिकॉर्ड टूट सकता है.
फुल लोड पर चल रहे एयरकंडीशनर
इंजीनियरों के मुताबिक सूबे के अधिकतर जिलों में भीषण गर्मी व लू की परिस्थिति बनने से बिजली की मांग बढ़ी है. ग्रामीण इलाकों से बिजली की मांग बढ़ने से कुल मांग में भारी इजाफा हुआ है. बिजली उपकरणों पर लगातार बढ़ रहे दबाव को देखते हुए इंजीनियरों को सुरक्षात्मक उपाय तैयार रखने के निर्देश दिये गये हैं.