Bihar News: पटना पुलिस की साख पर दाग लगा देने वाली घटना—चेकिंग में बरामद लाखों रुपये में हेराफेरी का आरोप सीधे वर्दी पर पड़ा है. सवाल अब सिर्फ एक दारोगा पर नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की पारदर्शिता पर उठ रहे हैं.
गांधी मैदान थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर (एसआई) इजहार अली को वाहन चेकिंग के दौरान बरामद 20 लाख रुपये की रकम में हेराफेरी के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. आरोप है कि उन्होंने थाने और वरीय अधिकारियों को गलत जानकारी दी और कुल 17.50 लाख रुपये गायब कर दिए. अब पूरी घटना की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है.
पुलिस चेकिंग में बरामद हुआ 20 लाख रुपये
घटना गांधी मैदान थाना क्षेत्र के जेपी गोलंबर के पास हुई. पुलिस टीम वाहन चेकिंग कर रही थी, तभी एक बाइक सवार युवक को रोका गया. उसकी तलाशी में करीब 20 लाख रुपये बरामद हुए. बाइक सवार की पहचान किशोर राउत के रूप में हुई, जो मूल रूप से मधुबनी का रहने वाला है और फिलहाल पटना के बुद्धा कॉलोनी में रहता है.
आरोप है कि एसआई इजहार अली ने मौके से बरामद पूरी रकम की सही जानकारी नहीं दी. उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों को बताया कि युवक के पास सिर्फ 2.50 लाख रुपये मिले हैं. शेष 17.50 लाख रुपये उन्होंने हड़प लिए. इतना ही नहीं, उन्होंने किशोर राउत से सादे कागज पर लिखवा लिया कि उसके पास सिर्फ 2.50 लाख रुपये थे और वही रकम उसे वापस कर दी गई. इसके बाद युवक को छोड़ दिया गया.
अधिकारियों की नजर में आया मामला
कुछ ही समय बाद यह मामला वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आया. रकम में गड़बड़ी की आशंका पर तत्काल जांच शुरू हुई. जांच में शुरुआती तौर पर यह स्पष्ट हुआ कि बरामदगी के आंकड़े और वसूली गई रकम में भारी अंतर है. जैसे ही आरोप पुख्ता होते दिखे, एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने सब इंस्पेक्टर इजहार अली को निलंबित कर दिया.
एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने प्रेस से बातचीत में कहा कि सब इंस्पेक्टर ने मामले की रिपोर्टिंग सही तरीके से नहीं की और बरामद रकम की जानकारी छिपाई. इसी कारण उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. वहीं सिटी एसपी दीक्षा ने भी पुष्टि की कि रकम में गड़बड़ी हुई है और इसकी गहन जांच की जा रही है.
जांच का नया मोड़
अब पुलिस यह भी जांच कर रही है कि युवक के पास वास्तव में 20 लाख रुपये ही थे या इससे अधिक. जांच अधिकारी किशोर राउत से लगातार पूछताछ कर रहे हैं. यह भी पता लगाया जा रहा है कि इतनी भारी-भरकम नकदी वह कहां ले जा रहा था. यदि आरोप पुख्ता साबित होते हैं तो इजहार अली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
इस घटना ने पटना पुलिस की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आमतौर पर वाहन चेकिंग का उद्देश्य अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना होता है, लेकिन जब खुद पुलिसकर्मी ही बरामद रकम में हेराफेरी के आरोप में फंस जाएं तो जनता का भरोसा डगमगाना स्वाभाविक है.
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