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Bihar News: पटना में हरी सब्जियों ने तोड़ा कीमतों का रिकॉर्ड, चिकेन से महंगी बिक रही मेथी बथुआ

Bihar News: राजधानी में सर्दी तो शुरू हो गयी है, लेकिन सब्जी खरीदने वालों के चेहरे पर पसीना अभी भी बना हुआ है. शादी का सीजन, दियारा और जल्ला क्षेत्रों में पानी भरने और कम होती सब्जियों की आवक ने इसका भाव बढ़ा दिया है. पहले 30–40 रुपये में मिलने वाली हरी सब्जियां अब 60–80 रुपये किलो में बिक रही हैं. दुकानदार बताते हैं कि बेमौसम बारिश और जल-जमाव से दियारा इलाकों की फसलें खराब हो गयी हैं, जिसके चलते आपूर्ति घट गयी है. नतीजतन, हर घर में थाली का जायका और जेब पर असर दोनों साफ दिख रहा है.

Bihar News: पटना. पटना सहित आसपास के जिलों में हरी सब्जियों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने आम लोगों की रसोई का संतुलन पूरी तरह बिगाड़ दिया है. सर्दी के मौसम में भी सब्जी खरीदते समय लोगों के चेहरों पर चिंता और पसीना साफ झलक रहा है. पहले 30–40 रुपये किलो मिलने वाली सब्जियां अब 60–80 रुपये किलो तक पहुंच गयी हैं. सब्जियों की कीमतों में यह बढ़ोतरी अचानक नहीं, बल्कि पिछले महीने हुई भारी बारिश, जलजमाव और बाढ़ का सीधा परिणाम है. दियारा और जल्ला क्षेत्र, जो पटना की सब्जी आपूर्ति का अहम हिस्सा हैं, वहां पानी भर जाने से फसलें बुरी तरह खराब हो गयी हैं. इसका असर अब पटना की मंडियों में साफ दिख रहा है, जहां आवक कम होते ही कीमतों में तेज उछाल आ गया है.

तरकारी के दाम ने बढ़ायी रसोई की टेंशन

  • कम आवक और ज्यादा मांग से हरी सब्जियों की कीमत पहुंचीं रिकॉर्ड भाव पर
  • पिछले महीने हुई भारी बारिश, जल-जमाव और बाढ़ के कारण बढ़ी कीमत
  • 30–40 में मिलने वाली हरी सब्जियां अब बिक रही हैं 60–80 किलो
  • महंगी होती तरकारी (सब्जी) की कीमत ने रसोई का बिगाड़ दिया है बजट

मेथी, बथुआ छोड़, नॉनवेज की ओर बढ़ा रुझान

महंगाई से परेशान लोग अब विकल्प तलाशने लगे हैं. कई परिवारों ने हरी सब्जियों की जगह राजमा, चना, मूंग दाल और मटर जैसी वस्तुओं को थाली में बढ़ा दिया है. आलू का चोखा और दाल का तड़का कई घरों में सब्जियों की कमी की भरपाई कर रहा है. दूसरी ओर, नॉनवेज की ओर भी रुझान बढ़ा है. लोगों का कहना है कि जब मेथी, बथुआ और सरसों का साग 150 रुपये किलो मिल रहा है और इसी कीमत पर मछली–चिकन भी उपलब्ध है, तो ऐसे में कई परिवार नॉनवेज को अधिक किफायती विकल्प मान रहे हैं. कुल मिलाकर, सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने न सिर्फ रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है, बल्कि आम लोगों की थाली का स्वाद भी बदल दिया है. अगर सब्जियों की आवक जल्द सामान्य नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह परेशानी और गहरा सकती है.

वैशाली, समस्तीपुर, फतुहा से कम है आवक

शहर की प्रमुख सब्जी मंडियों में फूलगोभी और मूली जैसे कुछ विकल्प छोड़ दें, तो लगभग सभी सब्जियां 60-80 रुपये किलो से ऊपर बिक रही हैं. दुकानदारों का कहना है कि उनकी खरीद ही महंगी हो चुकी है, इसलिए खुदरा बाजार में वे कीमतें कम नहीं कर पा रहे. शादी-समारोह का सीजन भी मांग बढ़ा रहा है, जिससे दाम और ऊपर जा रहे हैं. वैशाली, समस्तीपुर, फतुहा सहित आसपास के जिलों से पहले की तुलना में सब्जियों की आवक काफी कम हो गयी है. जो माल मंडियों तक पहुंच भी रहा है, उसकी मात्रा कम और कीमत ज्यादा है. इससे गरीब और मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है, जो मजबूरी में सब्जियों के उपयोग में कटौती कर रहा है. कई लोगों का कहना है कि पिछले साल नवंबर 2024 की तुलना में इस बार दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं.

अधिकतर सब्जियों का आंकड़ा 100 है पार

स्थानीय उत्पादन पर्याप्त होने के बावजूद कीमतों में गिरावट के बजाय इजाफा लगातार जारी है. सब्जियों के बढ़ते दामों ने मध्यम वर्ग की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. लोकल आवक जारी रहने के बावजूद खुदरा बाजारों में गोभी, मटर और शिमला मिर्च तक अधिकांश सब्जियों ने 100 रुपए का आंकड़ा पार कर लिया है.

सर्दियों में मटर अब भी पहुंच से दूर

सर्दियों में सबसे ज्यादा खरीदी जाने वाली मटर, मेथी और बथुआ के साग इन दिनों आम परिवारों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं. जहां मटर 120 रुपये किलो बिक रही है, वहीं बथुआ व मेथी साग का आंकड़ा 150 रुपये किलो पहुंच गया है. ऐसे में ठंड में मिलने वाली इन सब्जियों के दाम महंगे होने के कारण ग्राहक कम मात्रा में खरीदने को मजबूर हैं.

अभी दामों में गिरावट की उम्मीद

सब्जी विक्रेता संतोष कुमार ने कहा कि सब्जियों की आपूर्ति कम होने से दाम नियंत्रित रखना कठिन हो गया है. जल्ला और दियारा क्षेत्र में हाल ही में पानी भरने से सब्जियों की फसलें नष्ट हो गयीं है, जिससे बाजार में सब्जियों की कमी हो गयी है. शादी-विवाह का मौसम, ठंड बढ़ने पर बढ़ती मांग और ट्रांसपोर्टेशन लागत में वृद्धि से भी कीमतों में तेजी आयी हैं. कुछ सब्जियों का उत्पादन सीमित रहने से भी दरें बढ़ी हैं. हालांकि उम्मीद है कि अगले दस दिनों में दामों में गिरावट आ सकती है.

सब्जियों की कीमत

सब्जी का नाम – कीमत (प्रति किलो/पीस)
बैंगन लंबा – 60–80 रु/किलो
बैंगन गोल – 80–90 रु/किलो
भिंडी – 60–80 रु/किलो
फूलगोभी – (पीस) 23–50 रु
मेथी साग – 140 रु
बथुआ साग – 160 रु
लाल साग – 50–60 रु
परवल – 70–90 रु
नेनुआ – 50–80 रु
हरी मिर्च – 80–110 रु
धनिया पत्ता – 100–120 रु
सेम – 70–80 रु
शिमला मिर्च – 110–120 रु
गाजर – 40 रु
बोरो – 80 रु
मटर – 120–160 रु
मूली – 30-40 रुपये किलो
नया आलू लाल – 40 से 45 रुपये किलो
नया आलू सफेद – 30 से 35 रुपये किलो
करेला – 80 से 100 रुपये

नोट : (सब्जियों की कीमत प्रति किलो है और जगह के अनुसार भाव में अंतर हो सकता है.)

कुछ सब्जियों की सप्लाई पड़ोसी राज्यों से भी

पटना की सब्जी मंडियोंजैसे न्यू मार्केट, कुम्हरार, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, कदमकुआं, मीठापुर मंडी, फुलवारी, शेखपुरा, अंटा घाट, सब्जियां कई जिलों और राज्यों से रोजाना ट्रकों एवं पिकअप वैन के माध्यम से आती हैं. अनिल कुमार ने बताया कि पटना और आसपास के ग्रामीण इलाके : ये क्षेत्र पटना की डेली फ्रेश सब्जियों का सबसे बड़ा साधन है. फुलवारी शरीफ, बाईपास का इलाका,डुमरी, बिहटा, मनेर,मसौढ़ी, फतेहपुर, बिक्रम,दानापुर, नेउरा, नौबतपुर,गुलजारबाग, पुनपुन क्षेत्र. इन इलाकों से लौकी, भिंडी, बैंगन, नेनुआ, करेला, साग, प्याज-पत्तियां, हरी मिर्च, परवल आदि बड़ी मात्रा में आती हैं.

कहां से आती है कौन सी सब्जी

  • नालंदा -टमाटर, आलू, बैंगन
  • आरा (भोजपुर) – भिंडी, नेनुआ, कद्दू
  • समस्तीपुर – हरी सब्जियां और लौकी
  • वैशाली -परवल, खीरा, टमाटर
  • मुंगेर -आलू, प्याज
  • शेखपुरा, जमुई, लखीसराय – सीजनल सब्जियां
  • गया व नवादा -आलू, प्याज, फूलगोभी, पत्तागोभी
  • सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी – खीरा, ककड़ी

किस राज्य से आती है कौन सी सब्जी

  • उत्तर प्रदेश -प्याज, आलू, टमाटर
  • पश्चिम बंगाल- फूलगोभी, पत्तागोभी, कद्दू, आलू
  • झारखंड -टमाटर और हरी सब्जियां
  • कर्नाटक- टमाटर
  • महाराष्ट्र-नासिक -प्याज
  • मध्य प्रदेश- आलू और प्याज

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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