Bihar News: बिहार के स्थानीय उत्पाद, चाहे वह मधुबनी पेंटिंग हो, मखाना, लीची, केला, हैंडलूम या सिल्क. अब दुनिया के किसी भी देश तक पहले से कई गुना तेजी से पहुंचेंगे. उद्योग विभाग ने “कम लागत ज्यादा मुनाफा सफल रोजगार” के फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है, जिसके तहत हर जिले में एक्सपोर्ट यूनिट स्थापित की जाएगी. अब पैकिंग से लेकर प्रमाणन तक का पूरा प्रोसेस बिहार में ही होगा और माल सीधे बिहटा ड्राईपोर्ट होकर 24 घंटे के भीतर बंदरगाह भेज दिया जाएगा. यह बदलाव न केवल किसानों और कारीगरों की कमाई बढ़ाएगा, बल्कि बिहार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार का बड़ा केंद्र भी बना देगा.
उद्योग विभाग की नयी पहल बिहार की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाली है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्थानीय उत्पादों को सीधे जिलों से ही विदेशों में भेजने की व्यवस्था की जा रही है. अब मधुबनी पेंटिंग, मखाना, लीची, आम, केला, टिकलू पेंटिंग, पत्थर कला, सिल्क, बांस उत्पाद और हैंडलूम जैसे आइटम पटना या दूसरे राज्यों के रास्ते भेजने की मजबूरी से मुक्त होंगे.
जिले में बनेगी निर्यात यूनिट, खर्च और समय दोनों में कटौती
नई व्यवस्था के तहत हर जिले में एक “जिला निर्यात यूनिट” बनाई जाएगी. यह यूनिट स्थानीय उत्पादकों से माल की सूची तैयार करेगी, पैकिंग की जांच करेगी और उसे सीधे बिहटा ड्राईपोर्ट भेजेगी. ड्राईपोर्ट से माल 24 घंटे के भीतर बंदरगाह तक पहुंच जाएगा, जहां से वह जर्मनी, जापान, चीन, अमेरिका, थाइलैंड जैसे देशों में निर्यात होगा.
अभी यही प्रक्रिया 10 से 45 दिनों तक लग जाती है, लेकिन नई व्यवस्था के बाद समय में 80% की कटौती होने जा रही है. छोटे उत्पादों की शिपमेंट कम होने पर उन्हें एयरपोर्ट से भी भेजा जाएगा, जिससे निर्यात और तेज होगा.
स्थानीय स्तर पर ही एनओसी और प्रमाणपत्र,अब दूसरे राज्यों की दौड़ नहीं
बिहार में एपीडा और कस्टम क्लीयरेंस सेंटर खुलने के बाद पैकिंग, ट्रेसेबिलिटी, गुणवत्ता प्रमाणन और सर्टिफिकेट जैसी प्रक्रिया यहीं पूरी हो सकती है. पहले उत्पादकों को कोलकाता और लखनऊ की लैब पर निर्भर रहना पड़ता था, वाराणसी से प्रमाणपत्र लेना पड़ता था और पैकिंग तक दूसरे राज्यों में करानी पड़ती थी. नई सुविधा से निर्यात प्रक्रिया बेहद सरल होने जा रही है.
हर प्रखंड को मिलेगा एक ‘स्पेशल प्रोडक्ट’,स्थानीय रोजगार को बढ़ावा
उद्योग विभाग ने “एक प्रखंड–एक उत्पाद” की योजना शुरू की है. मुजफ्फरपुर को लीची और हाजीपुर को केला का हब बनाया जा रहा है. जिस प्रखंड में जो उत्पाद ज्यादा है, उसी नाम से उसे रजिस्टर किया जाएगा ताकि उसकी पहचान और ब्रांड वैल्यू बने.
इस योजना के तहत मधुबनी पेंटिंग, छाप कला, टिकलू पेंटिंग, पत्थर कटिंग, बांस कला, लकड़ी कारीगरी, सिल्क, दूध सिल्क और मक्खन सिल्क जैसे उत्पादों को प्रखंड स्तर पर बढ़ावा मिलेगा. इससे स्थानीय रोजगार तेजी से बढ़ेगा और युवाओं को अपने ही जिले में काम मिलेगा.
100 से ज्यादा देशों में जा रहा है बिहार का मखाना और सिल्क
अमेरिका, बेल्जियम, रूस, ब्राजील, सऊदी अरब, कनाडा और बांग्लादेश जैसे 100 से अधिक देशों में पहले से ही बिहार का मखाना और सिल्क निर्यात हो रहा है. अफ्रीका और अरब देशों में सूती वस्त्रों की डिमांड लगातार बढ़ रही है. लेकिन अब जिले-जिले से निर्यात यूनिट खुलने के बाद यह आंकड़ा कई गुना बढ़ने की उम्मीद है.
लॉजिस्टिक्स सुधरेगा, रोजगार बढ़ेगा,बिहार बनेगा ‘एक्सपोर्ट स्टेट’
उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल के अनुसार, बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. दिल्ली में लॉजिस्टिक्स दक्षता, एक्सपोर्ट सेंटर निर्माण और जिला स्तर पर निर्यात क्षमता बढ़ाने को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं.
सरकार को उम्मीद है कि नई व्यवस्था से 2030 तक बिहार देश के शीर्ष निर्यातक राज्यों में शामिल हो जाएगा. सबसे बड़ी बात इससे किसानों, कारीगरों और स्थानीय उद्यमियों की आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी.

