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बिहार ने हर घर जल उत्सव से किया किनारा, जल जीवन मिशन पर अपलोड होगा डेटा, लाभुकों को मिलेगा सर्टिफिकेट

बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजना की शुरुआत हुई थी. जिसमें एक लाख 14 हजार 651 वार्ड के एक करोड़ 85 लाख लाभुकों को जोड़ना था. 2022 तक इस योजना के तहत एक करोड़ 70 लाख लाभुक तक पानी पहुंचाया गया है.

केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश पर देश भर में हर घर जल उत्सव मनाया जा रहा है. जो 12 अगस्त तक मनाया जायेगा, लेकिन सभी राज्यों में आयोजित होने वाले इस उत्सव से बिहार ने किनारा कर लिया है और बिहार एक अकेला राज्य है. जहां यह उत्सव नहीं आयोजित हो रहा है.

पहले भी हुआ है ऐसा 

जानकारी के मुताबिक 21 जुलाई को केंद्र सरकार ने इस संबंध में सभी राज्यों के बातचीत कर कार्यक्रम की जानकारी दिया था. उस वीडियो कांफ्रेंसिंग में बिहार के बिहार से पीएचइडी व पंचायती राज विभाग के अधिकारी मौजूद थे. बावजूद इसके बिहार ने इसको शुरू नहीं किया गया. वहीं, ऐसा पूर्व में भी हो चुका है कि दो बार केंद्र सरकार से नल जल योजना के लिए भेजी गयी राशि को पीएचइडी ने लौटा दिया है.

यह होना था कार्यक्रम में

हर घर जल उत्सव में वैसे गांव में अधिकारियों को सबसे पहले पहुंचकर वहां के संबंध में हर जानकारी उपलब्ध करना था. जिसमें हर गांव में ग्राम सभा का आयोजन होना था और उन लाभुकों को चिह्नित करना था, जिन्होंने जलापूर्ति योजना के तहत पानी का कनेक्शन लिया है और उसका कभी दुरुपयोग नहीं किया हो यानी पानी बर्बाद नहीं किया हो. उन लाभुकों को केंद्र सरकार के पोर्टल के माध्यम से एक सर्टिफिकेट डाउनलोड करना होता है. प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर होगी.

जल जीवन मिशन पर अपलोड होगा डेटा

जानकारी के मुताबिक जल जीवन मिशन पर नल जल का डेटा में काफी अंतर होता है. डेटा के अंतर होने के कारण बिहार ने अधिकारियों को लाभुकों से आधार, वोटर आइ कार्ड अन्य दस्तावेज लेंगे. जिसके बाद डेटा को अपडेट किया जायेगा. क्योंकि बिहार सरकार बिहार में नल जल योजना में सबसे आगे है.

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बिहार में पहले शुरू हुआ नल का जल

बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजना की शुरुआत हुई थी. जिसमें एक लाख 14 हजार 651 वार्ड के एक करोड़ 85 लाख लाभुकों को जोड़ना था. 2022 तक इस योजना के तहत एक करोड़ 70 लाख लाभुक तक पानी पहुंचाया गया है. बिहार मॉडल को लागू करने से 24 तक पूरा होगा जल जीवन मिशन 15 अगस्त 2019 को शुरू किया था. 2024 दिसंबर तक पूरा करना है. ऐसे में बिहार सरकार को इस बात का डर है कि केंद्रीय पोर्टल में बिहार की जलापूर्ति योजना को केंद्र सरकार अपने नाम पर नहीं करा लें. इस डर से बिहार में केंद्रीय जलापूर्ति योजना पर कार्यक्रम नहीं हो रहा है.

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