Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति में आजकल एक नई हलचल देखने को मिल रही है. भोजपुरी सिनेमा के बड़े नाम खेसारी लाल यादव ने बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात की है. इससे पहले इंडस्ट्री के पावर स्टार पवन सिंह भी भेंट कर चुके हैं. इन मुलाकातों ने बिहार की सियासी गलियों में कई तरह की अटकलें शुरू कर दी हैं.
हम एक ही मिट्टी के लोग हैं… कलाकार का नेता से मिलना राजनीति नहीं है” — खेसारी लाल यादव ने यही कहा. लेकिन बिहार चुनावी मौसम में उनकी तेजस्वी यादव से मुलाकात को केवल ‘शिष्टाचार भेंट’ कहना मुश्किल है. पवन सिंह पहले ही तेजस्वी से मिल चुके हैं और अब खेसारी के पहुंचने से सियासत में ‘भोजपुरी पावर’ की चर्चा तेज हो गई है.
भोजपुरी सितारों की सियासी एंट्री
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राजनीतिक हलचल और तेज होती जा रही है. अब इस हलचल में भोजपुरी सिनेमा का मसाला भी जुड़ गया है. पहले पावर स्टार पवन सिंह और अब सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने तेजस्वी यादव से मुलाकात कर सबका ध्यान खींचा है.
इन दोनों कलाकारों ने मुलाकात को महज “शिष्टाचार भेंट” बताया, लेकिन राजनीतिक माहौल में इसे अलग नजर से देखा जा रहा है.
क्या बोले खेसारी?
खेसारी लाल यादव शुक्रवार को तेजस्वी यादव के आवास पहुंचे. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा— “हम लोग एक ही मिट्टी के लोग हैं. तेजस्वी भाई से मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. अगर कोई कलाकार किसी नेता से मिलता है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह राजनीति में आ रहा है.”
इससे पहले पवन सिंह ने भी अपनी मुलाकात को राजनीतिक रंग देने से इंकार किया था और कहा था कि उनका तेजस्वी से पुराना रिश्ता है.
क्यों नहीं हैं ये मुलाकातें सामान्य?
भले ही दोनों कलाकार इसे निजी संबंधों या शिष्टाचार से जोड़ रहे हों, लेकिन चुनाव से कुछ महीने पहले उनकी तेजस्वी से भेंट को सहज घटना नहीं माना जा सकता. भोजपुरी सिनेमा का बिहार और झारखंड में गहरा असर है.
इन दोनों कलाकारों के करोड़ों फॉलोअर्स हैं, खासकर युवाओं और प्रवासी मजदूरों में. यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव इन चेहरों के सहारे युवाओं और जातीय आधार वाले वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं.
RJD की रणनीति और संभावित फायदा
अगर पवन सिंह और खेसारी लाल यादव RJD के प्रचार में उतरते हैं तो पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है. एक ओर यह युवाओं को सीधे अपील करेगा. दूसरी ओर, भोजपुरी भाषी इलाकों में RJD की पकड़ और मजबूत हो सकती है.
जातीय समीकरणों की दृष्टि से भी यह RJD को मदद करेगा, क्योंकि इन सितारों के चाहने वालों में अलग-अलग जातियों के लोग शामिल हैं. RJD के लिए यह इसलिए भी अहम है क्योंकि तेजस्वी यादव अपनी छवि को युवाओं के नेता के रूप में लगातार मजबूत करना चाहते हैं.
NDA की टेंशन
दूसरी तरफ, बीजेपी और NDA के लिए यह घटनाक्रम चिंता का विषय बन सकता है. बीजेपी पहले से ही भोजपुरी कलाकारों को अपनी तरफ लाने की कोशिश करती रही है. पवन सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और भाजपा से उनका जुड़ाव जगजाहिर है.
लेकिन चुनावी मौसम में अगर यही चेहरे विपक्षी खेमे में दिखते हैं तो यह NDA के लिए परेशानी बढ़ा सकता है.
महज शिष्टाचार या सियासी खिचड़ी?
बिहार की राजनीति में कलाकारों की भूमिका नई नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा से लेकर रवि किशन तक कई चेहरे राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं. ऐसे में पवन और खेसारी की मुलाकात को सिर्फ “शिष्टाचार” कहना आसान नहीं.
सियासी विश्लेषक मानते हैं कि यह मुलाकातें उस रणनीति का हिस्सा हैं जिसमें RJD भोजपुरी के लोकप्रिय चेहरों को अपने साथ खड़ा कर NDA के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है.
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