संवाददाता, पटना राज्य में सभी जिलों में 392 बालू घाटों की नीलामी हो चुकी है. साथ ही इनमें से 259 बालू घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. फिलहाल 182 बालू घाटों से खनन और बालू की बिक्री शुरू हो चुकी है. बहुत जल्द सिया से स्वीकृति प्राप्त सभी 259 बालू घाटों से भी खनन शुरू हो जायेगा. इससे राज्य में निर्माण कार्यों के लिए अधिक सुगमता से बालू पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा. साथ ही बालू की मनमानी कीमतों की वसूली पर भी लगाम लगेगा. वहीं राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. सूत्रों के अनुसार फिलहाल राज्य में निर्माण कार्यों में पीले बालू की अधिक खपत और मांग देखते हुये इससे संबंधित बालू घाटों की अधिक मांग थी. इसकी कारण इसकी नीलामी प्राथमिकता के आधार पर हो रही थी. वहीं दूसरी तरफ सफेद बालू की मांग अपेक्षाकृत कम है. इस कारण गंगा और कोसी के पेट में बहुतायत से मौजूद सफेद बालू से संबंधित घाटों की नीलामी में लोग कम रुचि दिखा रहे हैं. इसलिये ऐसे बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया धीमी है. हालांकि खान एवं भूतत्व विभाग अब दूसरे चरण में सफेद बालू घाटों की बहुतायत से नीलामी करने के लिए सभी उपायों पर ध्यान दे रहा है. सफेद बालू का अधिक उपयोग गड्ढों को भरने में होता है. जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर बने हैं घाट सूत्रों का कहना है कि कोर्ट के आदेश और सरकार की नई गाइडलाइन के बाद सभी जिलों से सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही बालू घाटों का सृजन किया गया है. इसमें छोटे-छोटे घाट बनाये गये हैं और उनकी मॉनीटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. सीसीटीवी की मदद से बालू की अवैध खनन गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. साथ ही ई-चालान सिस्टम विकसित कर राजस्व की वसूली भी की जा रही है. समय-समय पर बालू घाटों की जांच के लिए खान निरीक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है.
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