मिथिलेश कुमार, आरा: आरा रेलवे स्टेशन पर एक सिरफिरे ने बीमा एजेंड अनिल कुमार और उनकी बेटी आरुषी की हत्या करके खुद को भी गोली से उड़ा लिया. गोलियों की तड़तड़ाहट से आरा जंक्शन दहल गया. 10 साल के मासूम ने आंखों के सामने यह खूनी खेल देखा. जिस सिरफिरे अमन ने आरुषी और उसके पिता की हत्या की वो आरुषी के भाई आरुष उर्फ अमन को भी शायद मार डालता. लेकिन आरुषी के मासूम भाई को वह पहचान नहीं सका जिसके वजह से आरुष की जान बच गयी. अब उसकी मां अपने बेटे को लेकर डरी हुई है.
एकतरफा प्रेम-प्रसंग में हत्या की चर्चा
एमबीएम की छात्रा आरुषी और उसके पिता की हत्या की वजह लोग प्रेम-प्रसंग को मान रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि नवोदय में आरुषी और हत्यारा अमन एकसाथ पढ़े. अमन आरुषी से एकतरफा प्रेम करता था. आरुषी दिल्ली जाकर पढ़ायी करने लगी तो यह अमन को सहन नहीं हुआ. दोनों के बीच इसे लेकर बहस होने की भी चर्चा है. अपने प्यार के छीने जाने के डर से उसने आरुषी और उसके पिता को गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
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मास्क लगाकर स्टेशन पहुंचा था हत्यारा अमन
हत्यारा अमन आरुषी की हर गतिविधि पर नजर रखता था. ऐसी चर्चा है. जब मंगलवार को आरुषी दिल्ली की ट्रेन पकड़ने आयी तो उसके पिता और 10 साल का भाई भी उसे ट्रेन में बैठाने आरा स्टेशन आया. इस दौरान अमन उसका पीछा करता हुआ स्टेशन पहुंच गया. वह पहले से ही स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर मास्क लगाकर खड़ा था.
पहले छात्रा के पिता फिर आरुषी को मारी गोली
आरुषी जब स्टेशन आयी तो अमन उसका पीछा करके पैदल पुल तक आया. प्लेटफॉर्म पर उतरने से ठीक पहले उसने पहले आरुषी के पिता को पीछे से आकर गोली उनके सिर में मारी और फिर आरुषी के चेहरे पर दायीं ओर गोली मार दी. अंत में उसने खुद को भी गोली मारकर उड़ा लिया.
बाल-बाल बच गया मासूम आरुष
सिरफिरे अमन और आरुषी के पिता अनिल के सिर के आरपार गोली हो गयी थी. जबकि आरुषी के चेहरे में ही गोली फंसी रही. छानबीन में जुटी पुलिस के अनुसार, अमन देशी पिस्टल में चार गोली लोड करके पहुंचा था. तीन गोली का इस्तेमाल करके उसने आरुषी, उसके पिता और खुद को मार लिया. जबकि चौथी गोली उसके पिस्टल के मैगजीन में ही लगी थी. आरुषी का भाई आरुष बाल-बाल बच गया. अगर उसे अमन पहचान गया होता तो शायद उसे भी मौत के घाट उतार देता.