प्रह्लाद कुमार, पटना राज्यभर में एक लाख 14 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां हर केंद्र पर कम से कम 40 बच्चे प्रतिदिन पोषाहार भी लेते हैं, लेकिन अब भी इन आंगनबाड़ी केंद्रों की पहचान करने में मुश्किल होती है. इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए समाज कल्याण विभाग ने निर्णय लिया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों का एक ही रंग होगा,ताकि दूर से उसकी पहचान हो सके. इसको लेकर विभाग की ओर से तैयारी शुरू कर दी गयी है, जल्द ही विभाग के स्तर पर घोषणा की जायेगी. बच्चों को आकर्षित करने वाले होंगे रंग विभाग ने निर्णय लिया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों का रंग ऐसा हो, जो बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करे. साथ ही हर केंद्र पर रंगाई के दौरान ऐसे चित्रों को बनाया जा सके, जिसे बच्चे देखकर पढ़ सकें. रंगों का कलर कैसा रहे, इसके लिए मनोचिकित्सकों से राय लेने का आदेश दिया गया है. रंगों के बदलाव पर गर्मी के बाद काम शुरू किया जायेगा. 80 हजार से अधिक भवन किराये पर हैं एक लाख 14 हजार आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं. 80 हजार से अधिक केंद्र किराये के मकान में हैं. वहीं, राज्यभर में चार हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र नये प्रस्तावित हैं. विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अपने मकान, स्कूल परिसर या किराये पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों का आकलन करें और कैसे सभी की पहचान कलर के आधार पर किया जा सके. केंद्र , सेविका-सहायिका का नाम अनिवार्य करें समाज कल्याण विभाग ने सभी जिलों को निर्देशित किया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के मुख्य द्वार पर केंद्र, सेविका-सहायिका का नाम अनिवार्य रूप से अंकित रहे. ऐसा नहीं करने वाले केंद्र की संचालिका और हर दिन निरीक्षण करने वाली एलएस पर कार्रवाई करें. इसे सख्ती से पालन कराया जाए.
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