Bihar News: भोजपुर जिला शिक्षा प्रणाली में एक बार फिर लापरवाही सामने आई है. जिले के 462 सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों और प्रभारी प्रधानाध्यापकों पर इंस्पायर अवार्ड योजना में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है. इन स्कूलों ने कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों का पंजीकरण नहीं कराया, जबकि शिक्षा विभाग ने पहले ही स्पष्ट निर्देश दिए थे कि हर स्कूल से कम से कम 7 छात्रों का नामांकन कर उनके नवाचार विचारों को बढ़ावा दिया जाए.
डीपीओ ने दिखाया सख्त रवैया
जिले की इस लापरवाही पर नाराज जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) चंदन प्रभाकर ने सभी दोषी प्राचार्यों को 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि अगर तय समय में जवाब नहीं मिला तो विभागीय और कानूनी कार्रवाई तय है. अधिकारी ने यह भी साफ किया कि बार-बार चेतावनी के बावजूद यदि कोई सुधार नहीं होता है, तो कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता.
जिला रैंकिंग भी हुई प्रभावित
इन लापरवाहियों का सीधा असर भोजपुर जिले की राज्य स्तरीय रैंकिंग पर भी पड़ा है. जिले की स्थिति गिरकर 32वें स्थान पर पहुंच गई है, जिससे शिक्षा विभाग की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है. पहले भी इन प्राचार्यों को कई बार चेतावनी दी जा चुकी है और बैठकों में निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन सुधार के कोई संकेत नहीं दिखे.
इन प्रखंडों में लापरवाही ज्यादा
डीपीओ चंदन प्रभाकर के अनुसार, जिन प्रखंडों में सबसे ज्यादा लापरवाही सामने आई है, उनमें जगदीशपुर, पीरो, आरा, बड़हरा, बिहिया, चरपोखरी, गड़हनी, उदवंतनगर, सहार, संदेश, कोईलवर और शाहपुर शामिल हैं. इन क्षेत्रों के अधिकतर स्कूलों में अभी तक छात्रों का पंजीकरण नहीं किया गया है.
प्राचार्यों की कार्यशैली पर उठे सवाल
शिक्षा विभाग का कहना है कि इंस्पायर अवार्ड योजना का उद्देश्य छात्रों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना है. इसके तहत विज्ञान और तकनीक में रुचि रखने वाले छात्रों को उनके विचारों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. लेकिन जब प्राचार्य ही रुचि नहीं दिखाते, तो योजना का लाभ छात्रों तक कैसे पहुंचेगा?
अब बचे नहीं बचेंगे
अब जब डीपीओ ने 24 घंटे का समय सीमा तय कर दी है, तो लापरवाह प्राचार्य खुद को बचा नहीं पाएंगे. यदि तय समय के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है. शिक्षा विभाग अब ऐसे अधिकारियों और शिक्षकों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है, जो योजनाओं को गंभीरता से नहीं लेते.
(जयश्री आनंद की रिपोर्ट)

