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मॉडल संविदा खेती अधिनियम का प्रारूप इसी महीने होगा तैयार, राज्यों से साझा होगा : राधामोहन सिंह

नयी दिल्ली : कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि कृषि को व्यावहारिक बनाने और खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मॉडल संविदा खेती अधिनियम पर कार्य कर रही है, इसका प्रारुप इसी महीने तैयार हो जायेगा और राज्यों के साथ साझा किया जायेगा.राधामोहन सिंह ने ‘भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि […]

नयी दिल्ली : कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि कृषि को व्यावहारिक बनाने और खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मॉडल संविदा खेती अधिनियम पर कार्य कर रही है, इसका प्रारुप इसी महीने तैयार हो जायेगा और राज्यों के साथ साझा किया जायेगा.राधामोहन सिंह ने ‘भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि कृषि में कई तरह की बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनमें से एक हमारे जोत का आकार है. अधिकांश खेत छोटे और सीमांत प्रकृति के हैं और खेतों का औसत आकार केवल 1.1 हेक्टेयर है. भूमि विखंडित होती जा रही है. एक दुखद पहलू यह भी सामने आया है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 साल बाद भी हमारे किसान समुदाय में से 22.5 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हम मॉडल संविदा खेती (कंट्रैक्ट फार्मिंग) अधिनियम पर कार्य कर रहे हैं ताकि हम सुनिश्चित मार्केटिंग के साथ छोटे एवं सीमांत किसानों को जोड़ने में सक्षम हो सकें. इस बारे में सार्वजनिक राय आमंत्रित की जा रही है और इसी महीने मॉडल कानून का प्रारुप तैयार हो जायेगा, जिसे राज्यों के साथ साझा किया जायेगा.” कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि पंजाब और मध्य प्रदेश ने पहले ही भूमि पट्टे पर देने की नीति तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि संविदा खेती से किसानों को आदान प्रबंधन के जरिये लाभ प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और कंपनी को प्रोत्साहित करने से विस्तार सेवाएं प्राप्त होंगी.

राधामोहन सिंह ने कहा कि नीति आयोग ने राज्यों के साथ मॉडल भूमि पट्टे पर देने का एक अधिनियम साझा किया है जिससे लैंडपूलिंग की सुविधा प्राप्त होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि को प्रोत्साहित करने की पहल के तहत संविदा या ठेके पर खेती संबंधी बजटीय घोषणा को आगे बढ़ाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मॉडल संविदा खेती (कंट्रैक्ट फार्मिंग) अधिनियम तैयार करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था. ठेके पर खेती के बारे में प्रस्तावित कानून के मसौदे को सुधारे गए मॉडल कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) और मॉडल पट्टे पर आधारित भूमि अधिनियम के साथ आगे बढाया जायेगा. केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि गतिविधियों को नई गति प्रदान करने के साथ किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2017-18 के केंद्रीय बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि ठेके पर खेती के संबंध में मॉडल कानून तैयार किया जाएगा और इसे मंजूरी के लिए राज्यों के पास भेजा जाएगा. यह इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि जमीन और कृषि राज्य का विषय है और इसमें केंद्र सरकार की बहुत कम भूमिका है. कृषि मंत्री ने कहा कि जहां तक खेती के लिए जल की बात है तो पहले ही सिंचाई के तहत क्षेत्र विस्तार पर ध्यान केंद्रीत किया गया है और जल के कुशल उपयोग पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि अधिक उत्पादकता प्राप्त की जा सके. इसके साथ ही मंत्रालय प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है.

राधामोहन सिंह ने कहा, ‘‘ हम किसान के खेत की उपज और उसकी बाजार पहुंच में अंतर की बात समझते हैं. हम सब इस अंतर को विभिन्न फसलों के संदर्भ में खत्म करने के लिए बेहतर कृषि क्षेत्र प्रबंधन पर कार्य कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि खेती में विविधता लाने के साथ हमारा ध्यान कृषि के सभी पहलुओं पर है ताकि कृषि में जोखिम को कम किया जा सके. खेती से संसाधनों की संख्या बढने से न केवल कृषि जीडीपी में वृद्धि होगी बल्कि खेत के स्तर पर अधिक आय प्राप्त की जा सकेगी. इससे किसानों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा.

यह पूछे जाने पर कि सूखे के संकट से निपटने और किसानों एवं कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार क्या पहल कर रही है, कृषि मंत्री ने कहा ,‘‘ मैं आपको बताना चाहूंगा कि वर्ष 2014-15 और 2015-16 लगातार दो वर्षो के दौरान देश में सूखे की स्थिति रही है. इन दोनों वर्षो में अनेक राज्यों में कृषि क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित करने वाले गंभीर सूखे के बावजूद हमने कृषि उत्पादन पर कोई विशेष प्रभाव पड़ने नहीं दिया. 2016-17 में जब मानसून सामान्य रहा तब तीसरे अनुमान में खाद्यान्न का उत्पादन 27.3 करोड़ टन और दलहन का उत्पादन रिकार्ड 2.24 करोड़ टन हुआ.

कृषि मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही मंडी सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत की गयी है जिससे मंडियों को ई-नेम प्लेटफार्म के साथ जोड़ा गया है. इससे किसानों को अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलने में सहायता मिलेगी. इससे उत्पादन में भी वृद्धि होगी. राधामोहन सिंह ने कहा, ‘‘हमारी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण पहल किसानों की मानसून की अनियमितता से सुरक्षा के लिए समग्र प्रधानमंत्री फसल बीता योजना एवं संशोधित मौसम आधारित फसल बीमा योजना है. इसके तहत किसान की बीमा की दर खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी एवं व्यापारिक फसलों के लिए 5 प्रतिशत है. ऐसा फसल बीमा किसानों की आय का ध्यान सूखे के समय में भी रखेगा.

उन्होंने कहा कि आज की तिथि तक 55 प्रतिशत कृषि मानसून पर निर्भर है और उत्पादन वर्ष के दौरान हुई वर्षा पर निर्भर करता है. इस समस्या को महसूस करते हुए हमारी सरकार सिंचाई योजनाओं में अधिक कृषि क्षेत्र को शामिल करने पर बल दे रही है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का एक महत्वपूर्ण घटक ‘‘हर खेत को पानी” है और हमारी योजना आगामी पांच वर्ष में वर्तमान के 6.3 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में 9 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के दायरे में लाने की है.

कृषि मंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने लंबे समय से लंबित 99 सिंचाई परियोजनाओं को त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम :एआइबीपी: के तहत शामिल किया और ये सभी योजनाएं वर्ष 2019-20 तक पूरी हो जायेंगी. इसके अलावा पांच लाख से अधिक तालाबों के निर्माण के लक्ष्य को आगे बढाया जा रहा है.

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