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लालू ने पीएम मोदी से पूछा सवाल, आप प्रधान सेवक फिर भी कालेधन के नाम पर परेशानी क्यों

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने विमुद्रीकरण के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल किये हैं. उन्होंने विज्ञप्ति जारी करते हुए पीएम को अपने सवालों से घेरा है.इसे तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि यह हकीकत में एक तुगलकी फरमान ही था, कहावत, भावनात्मक और वास्तविक तीनों रूप में. एक […]

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने विमुद्रीकरण के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल किये हैं. उन्होंने विज्ञप्ति जारी करते हुए पीएम को अपने सवालों से घेरा है.इसे तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि यह हकीकत में एक तुगलकी फरमान ही था, कहावत, भावनात्मक और वास्तविक तीनों रूप में. एक पखवाड़े पहले अचानक देशवासियों को यह फरमान सुनाया गया कि चार घंटे बाद देश की 86 फीसदी मुद्रा कागज हो जायेगी.
लालू प्रसाद ने पीएम पर सीधा निशाना साधते हुए कहा है कि आपके शब्दों में ही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान ‘सेवक’ हैं. फिर भी आपने बिना सोचे-विचार कैसे इतना बड़ा फैसला जनता पर थोप दिया. लालू ने कहा कि हम काले धन के सख्त विरोधी हैं. परंतु इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते.जिनके पास सचमुच में काला धन है, उन्हें दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा रहे हैं. जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना कुछ सोचे-समझे, आवेश में आकर सिर्फ अखबारों के मुख्यपृष्ठ पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है.
मोदीजी आपसे जनता इन सवालों पर चाहती जवाब
  • आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है. उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने के कगार पर है. किसानों ने आपका क्या बिगाड़ा था. किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है.
  • देश के भूखे, निर्धन, वंचित को सताने में प्रधानमंत्री को कौन-सा सुख प्राप्त हो रहा है. आपने जो हंगामा खड़ा किया है, उसके शोर-शराबे में करोड़ों लोगों की भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है.
  • प्रधानमंत्री बताये कि नोटबंदी के बाद उनका कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है. इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाली जो नकारात्मक संदेश पूरी दुनिया में गया है, उससे उबरने में कितने वर्ष लगेंगे.- प्रधानमंत्री बताये कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का जिम्मेवार कौन है.
  • इस कदम से देश की ग्रोथ-रेट जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे. विकास दर में गिरावट की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री लेंगे या किसी अन्य को बलि का बकरा ढूंढा जाएगा.
  • नोटबंदी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं. इनकी मौत का दोषी कौन है. क्या पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जायेगा.
  • छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा. असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्जाना कौन देगा.
  • इस निर्णय में क्या कैबिनेट की सहमति थी. अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे, क्योंकि जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के जिम्मेवार कौन-कौन हैं.
  • क्या आरएसएस को लोगों की पीड़ा से आनंद आ रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबंदी का स्वांग रचा गया है. संग प्रमुख मोहन भागवत इस मामले में चुप क्यों हैं.
  • प्रधानमंत्री समय सीमा निर्धारित करके बतायें कि उनके वादानुसार आम जनता के खाते में 15-15 लाख रुपये कब तक जमा होंगे.
  • क्या प्रधानमंत्री पूरी तरह आश्वस्त हैं कि बचे हुए 35 दिनों में वे सभी समस्याओं का निदान कर देंगे? अगर नहीं, तो बतायें कितने दिनों तक जनता को तड़पना पड़ेगा
Prabhat Khabar Digital Desk
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