21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आयुर्वेदिक कॉलेज की 40 सीटों में 19 पर ही नामांकन

पटना : राज्य में आयुर्वेदिक पद्धति से शिक्षा पाने वाले विद्यार्थियों का इस विधा से आकर्षण समाप्त होता जा रहा है. राज्य का सबसे पुराना व प्रतिष्ठित आयुर्वेद का शैक्षणिक संस्थान राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना है. यहां पर बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) में वर्तमान सत्र में आधी से अधिक सीटें खाली रह […]

पटना : राज्य में आयुर्वेदिक पद्धति से शिक्षा पाने वाले विद्यार्थियों का इस विधा से आकर्षण समाप्त होता जा रहा है. राज्य का सबसे पुराना व प्रतिष्ठित आयुर्वेद का शैक्षणिक संस्थान राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना है.
यहां पर बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) में वर्तमान सत्र में आधी से अधिक सीटें खाली रह गयी है. 40 सीटों की जगह मात्र 19 विद्यार्थियों ने ही नामांकन लिया. इसमें भी एक विद्यार्थी ने बीच में ही आयुर्वेद की पढ़ायी छोड़कर वेटनरी कॉलेज में अपना नामांकन करा लिया. आयुर्वेदिक कॉलेज में नामांकन का शुल्क महज पांच हजार रुपये है. इतनी कम राशि में भी विद्यार्थी आकर्षित नहीं हो रहे हैं.
राज्य में पांच सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज है. इसमें पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, बेगूसराय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, बक्सर आयुर्वेदिक कॉलेज, दरभंगा आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल और भागलपुर आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल शामिल है. पटना आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल को छोड़कर शेष सभी आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पतालों में संरचना के अभाव में बीएएमएस कोर्स मेें नामांकन पर रोक लगा दी गयी है.
पटना आयुर्वेदिक कॉलेज में 40 सीटों पर नामांकन की अनुमति केंद्रीय चिकित्सा परिषद ने दी है. इस कॉलेज में शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए कुल 45 चिकित्सक शिक्षकों का पदस्थापन किया गया है. स्थिति यह है कि इस सत्र में 40 सीटों की जगह महज 19 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है. मालूम हो कि लंबे समय से आयुर्वेद से डिग्री हासिल करनेवाले चिकित्सकों को सरकारी नौकरी में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है. इधर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत तीन वर्ष पहले अनुबंध पर आयुर्वेद के चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी थी.
उनको भी एलोपैथ के चिकित्सकों के समान मानदेय नहीं मिलता है. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में नामांकन करने वाले विद्यार्थियों को लेकर सरकार द्वारा कोई शर्त नहीं लगायी गयी है. एलोपैथ में नामांकन लेनेवाले विद्यार्थियों को नामांकन लेने के बाद कॉलेज छोड़ने पर अलग अलग शुल्क निर्धारित किया गया है. आयुर्वेद में कॉलेज छोड़ने के बाद ऐसा कोई बंधन विद्यार्थियों पर नहीं है.
यही कारण है कि तीन साल की पढ़ायी करने के बाद भी विद्यार्थी एमबीबीएस में नामांकन होने के बाद पढ़ायी बीच में ही छोड़कर चले जाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें