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उठाओ फायदा : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
ढलती उम्र में आर्थिक मदद उम्र के साथ-साथ रिश्ते-नाते भी छूटने लगते हैं. घरों में बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार होने लगते हैं. धन अर्जित न करने की असहनीय पीड़ा उन्हें ग्रसित करने लगती है और उम्र के ढलान के साथ बीमारियां भी दामन थामने लग जाती है. आर्थिक उपार्जन की बेबसी कहीं बुजुर्गों की अनदेखी […]
ढलती उम्र में आर्थिक मदद
उम्र के साथ-साथ रिश्ते-नाते भी छूटने लगते हैं. घरों में बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार होने लगते हैं. धन अर्जित न करने की असहनीय पीड़ा उन्हें ग्रसित करने लगती है और उम्र के ढलान के साथ बीमारियां भी दामन थामने लग जाती है. आर्थिक उपार्जन की बेबसी कहीं बुजुर्गों की अनदेखी न कर दे. इसके लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना की शुरुआत की गयी है. ताकि वे ढ़लती उम्र में भी दूसरों पर बोझ न बन सकें. अपनी सुरक्षा कर सकें.
क्या है योजना
राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना की शुरुअात वर्ष 1995 में की गयी है. योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों की ओर से किया जाता है. इसके लिए भारत सरकार राज्य सरकार को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है.
इन्हें मिलता है लाभ
योजना का लाभ केवल उन्हीं बुजुर्गाें को दिया जाना है. जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए. साथ ही आवेदक गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार से संबंधित होना चाहिए.
पेंशन की राशि 60 वर्ष से 79 वर्ष तक आयु के वृद्धों को प्रतिमाह 400 रुपये की दर से राशि का लाभ दिया जाता है. इसमें 200 रुपये भारत सरकार और 200 राज्य सरकार द्वारा अंशदान के रूप में दिया जाता है. 80 वर्ष अथवा इससे अधिक आयु के वृद्धों को प्रतिमाह 500 रुपये की दर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के रूप में राशि प्रदान की जाती है.
यहां करें आवेदन
बीपीएल परिवार के 60 और उससे अधिक आयु के वृद्धजन प्रत्येक जिले में प्रखंड स्तर पर आरटीपीएस कार्यालय खोले गये हैं. जहां अलग से अनुमंडल पदाधिकारी नियुक्त किये गये हैं. काउंटर पर नामांकन कराने के बाद योजना का लाभ लाभार्थी को दिया जाना है.
वर्षवार लाभान्वितों की संख्या
वर्ष आवंटन व्यय लाभान्वित
2013-14 6,1385.60 5,556.69 25,85,510
1014-15 8,1495.50 6,445.50 36.8500
2015-16 9,1496.50 8,995.58 39.7600
2016-17 …… …… 47.7600
शिविर प्रत्येक महीने के अंत में नजदीकी सामुदायिक भवन या सरकारी स्कूल में लगायी जाती है. इसकी सूचना लाभार्थियों को पहले ही दे दी जाती है.
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