पटना : बिहार में विपक्षी पार्टी भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जल्दबाजी में नया शराब कानून लागू करने पर पुनर्विचार करने का सुझाव देते हुए भविष्य में शराबबंदी को कैसे जारी रखा जाए इसके वास्ते विचार-विमर्श के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने को कहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि शराबबंदी को लेकर गत पांच अप्रैल की अधिसूचना को पटना उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करने को बिहार सरकार प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाए बल्कि न्यायालय के निर्णय के आलोक में आवश्यक संशोधन करने के बाद ही नया विधेयक अधिसूचित करे. पटना उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश में शराबबंदी को लेकर गत पांच अप्रैल को जारी अधिसूचना को कल खारिज कर दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलायी जिसमें नये शराब कानून को लागू करने के लिए मंत्रिपरिषद की कल बैठक बुलाये जाने का निर्णय लिया गया.
भाजपा नये शराबबंदी कानून के पक्ष में नहीं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डेय और पार्षद संजय मयुख और पार्टी प्रवक्ता देवेश कुमार की उपस्थिति में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुशील ने कहा कि भाजपा कठोर तालिबानी प्रावधानों के पक्ष में कभी नहीं रही है जिन्हें पटना उच्च न्यायालय ने कल खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार अध्यादेश के द्वारा या विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर शराबबंदी के नए कानून में आवश्यक परिवर्तन करे ताकि ये न्यायालय द्वारा पुन: खारिज नहीं किये जा सकें. सुशील ने आरोप लगाया कि सरकार अब शराबबंदी कानून को वापस लेना चाहती है और इसलिए खारिज किये गये प्रावधानों को नये कानून में शामिल रख रही है ताकि सरकार कह सके कि हम तो शराबबंदी लागू करना चाहते थे परन्तु न्यायालय ने खारिज कर दिया.
शहाबुद्दीन पर भाजपा का हमला
उन्होंने नीतीश कुमार पर मुख्यमंत्री बने रहने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दबाव में उनकी सरकार के शहाबुद्दीन को मदद करने का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या बिहार सरकार सतीश राज और गिरीश राज हत्या मामले में शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ जिसको लेकर मशहूर वकील प्रशांत भूषण उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं, में राज्य सरकार शीर्ष अदालत जाएगी. सुशील ने कहा कि सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि शहाबुद्दीन जेल में भी रहकर भी अपराध कराता है. ऐसी स्थिति में क्या सरकार न्यायालय से यह गुहार करेगी कि शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल में रखकर उसके सभी मामलों की सुनवाई बिहार से बाहर करायी जाये.
सरकार से पूछा सवाल
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन के चंदा बाबू के परिवार को मुकदमा लड़ने के लिए मन मुताबिक वकील रखने का खर्च वहन करेगी. सुशील ने कहा कि दिवगंत राजदेव रंजन की पत्नी की उच्चतम न्यायालय में याचिका जिसमें शहाबुद्दीन को बिहार से बाहर रखने और मामले की सुनवाई इस प्रदेश के बाहर कराने का आग्रह किया है, क्या सरकार उसके लिये भी उच्चतम न्यायालय जाएगी. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार शहाबुद्दीन के तमाम मामले जिसमें जमानत मिली हुई है, को चुनौती देगी.