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बिहार कैबिनेट ने विज्ञापन नीति और स्टार्ट अप नीति 2016 के प्रारूप को मंजूरी दी

पटना : बिहार राज्य मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के लिए बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 के प्रारूप को आज मंजूरी प्रदान कर दी.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के साथ पत्रकारों को संबोधित करते […]

पटना : बिहार राज्य मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के लिए बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 के प्रारूप को आज मंजूरी प्रदान कर दी.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के साथ पत्रकारों को संबोधित करते हुए उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 के प्रारूप को मंजूरी प्रदान कर दी.

राज्य सरकार एक ट्रस्ट बनायेगी

उन्होंने बताया कि वैसी इकाइयां जो कि पिछले पांच साल के भीतर गठित की गयी हैं और उनका टर्न ओवर सीमित है उन्हें स्टार्ट अप की श्रेणी में रखा गया है. सिद्धार्थ ने बताया कि इस श्रेणी में वैसी इकाइयों को रखा गया है जो कि नई खोज और विकास परख उत्पाद और तकनीक विकसित करेंगे. उन्होंने बताया कि स्टार्ट अप के लिए राज्य सरकार एक ट्रस्ट बनायेगी और एक फंड मैनेजर की नियुक्ति की जायेगी जो कि एक स्वतंत्र निकाय होगी जो कि किसी भी स्टार्ट अप की जांच करेगी और उसे प्रमाण पत्र देगी. सिद्धार्थ ने बताया कि स्टार्ट अप का राज्य एवं जिला स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा और एक स्टार्ट अप पोर्टल होगा जिसके जरिये कोई भी युवा अपने स्टार्ट अप के लिए आवेदन दे सकते हैं.

निबंधन हासिल करने से छूट होगी

उन्होंने बताया कि लोगों के जीवन रक्षक और सुरक्षा से जुड़े यथा फूड, ड्रग, भवन आदि से संबंधित लाइसेंस प्राप्त करने को छोड़कर किसी भी स्टार्ट अप को अगले पांच साल तक के लिए किसी भी प्रकार के लाइसेंस और निबंधन हासिल करने से छूट होगी तथा उनकी जांच नहीं होगी. सिद्धार्थ ने बताया कि स्टार्ट अप को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्टार्ट अप के सहयोग लिए एक इंक्युबेटर की व्यवस्था की जाएगी होगा. प्रत्येक स्टार्ट अप के लिए उन्हें दो लाख रुपये दिया जाएगा तथा जो भी इंक्युबेटर किसी भी स्टार्ट अप के लिए राशि का जुगाड़ करेंगे उन्हें उक्त राशि का दो प्रतिशत राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्टार्ट अप के लिए सरकारी स्तर पर पटना स्थित आईआईटी, एनआईटी, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, निफ्ट और बीआईटी आदि संस्थाओं को शामिल किया गया है.

प्रत्येक स्टार्ट अप को दस लाख रुपये तक का सहयोग

सिद्धार्थ ने बताया कि प्रत्येक स्टार्ट अप को दस लाख रुपये तक का सहयोग कोष दिया जायेगा और अपने लिए राशि का जुगाड़ करने के लिए प्रचार-प्रसार आदि करने के वास्ते व्यय की जाने वाली राशि का 2 प्रतिशत वहन करेगी और अगर किसी अन्य स्रोतों यथा भारत सरकार का विश्व बैंक आदि द्वारा जितनी राशि की फंडिंग की जायेगी उसके अनुरूप ही राशि राज्य सरकार द्वारा राशि दी जायेगी. उन्होंने बताया कि इसके तहत गठित 500 करोड रुपये के कैपिटल वेंचर फंड में से 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 5 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने बिहार विज्ञापन नीति 2016 को स्वीकृति प्रदान कर दी है जो कि 2008 की विज्ञापन नीति का स्थान लेगी.

बिहार विज्ञापन नीति 2016 को स्वीकृति

उन्होंने बताया कि बिहार विज्ञापन नीति 2016 के तहत एक दर निर्धारण समिति का गठन किया जायेगा और किसी भी माध्यम यथा प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो और वेबसाइट आदि के लिए अब अपना विभागीय दर निर्धारित किया जाएगा जबकि पूर्व में डीएवीपी की दर के अनुसार निर्धारित किया जाता था. ब्रजेश ने बताया कि दर निर्धारण समिति के अध्यक्ष सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रधान सचिव अथवा सचिव होंगे और इसमें विभागीय निदेशक के अलावा वित्त विभाग, गृह विभाग के एक-एक प्रतिनिधि आदि शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि नई विज्ञापन नीति में पूर्व में निर्धारित माध्यमों का विस्तार करते हुए उसमें समाचार पत्र-पत्रिका के अलावा स्मारिका, विज्ञान पत्रिका, खेल पत्रिका, कला, साहित्य एवं सांस्कृतिक पत्रिका और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में सेटेलाईट चैनल, केबुल चैनल, रोडियो, वेबसाईट, सोशल मीडिया, मोबाईल एप्स, एसएमएस, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, माल, एयरपोर्ट, मेट्रो स्टेशन, ट्रेन, निजी थियेटर, प्रचार वाहन, पम्फलेट, पोस्टर, मीडिया घरानों के कांक्लेव और वर्कशाप, होर्डिंग आदि शामिल हैं.

नई नीति में एक खाता संधारित किया जाएगा

ब्रजेश ने बताया कि पूर्व में सरकारी विज्ञापनों का भुगतान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा किया जाता था और निगम, बोर्ड एवं सोसाईटी अपने विज्ञापनों का भुगतान स्वयं करती थी, पर नई नीति में एक खाता संधारित किया जाएगा जिसमें सभी निगम, बोर्ड एवं सोसाईटी वर्ष के शुरुआत में एक निर्धारित राशि जमा करेंगे और उनके जो विज्ञापन आएंगे पीआरडी उसी राशि से उसका भुगतान करेगा.

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