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शिक्षक दिवस पर विशेष : रोज दिव्यांगता को मात देकर शबा 20 किमी दूर जाती हैं पढ़ाने

अजय कुमार मसौढ़ी : अगर जज्बा और लगन हो, तो बड़ी-से-बड़ी बाधा भी बौनी पड़ जाती है. बिहार के पटना के मसौढ़ी की रहनेवाली शिक्षिका शबा परवीन इसकी मिसाल हैं. 25 साल की शबा दिव्यांग हैं. वह अपने पैर से चल नहीं सकतीं, लेकिन ड्यूटी की पाबंद हैं. उनका स्कूल घर से 20 किलीमीटर दूर […]

अजय कुमार

मसौढ़ी : अगर जज्बा और लगन हो, तो बड़ी-से-बड़ी बाधा भी बौनी पड़ जाती है. बिहार के पटना के मसौढ़ी की रहनेवाली शिक्षिका शबा परवीन इसकी मिसाल हैं. 25 साल की शबा दिव्यांग हैं. वह अपने पैर से चल नहीं सकतीं, लेकिन ड्यूटी की पाबंद हैं. उनका स्कूल घर से 20 किलीमीटर दूर है, लेकिन रोज वह छोटी बहन की पीठ पर बैठ कर स्कूल पहुंच जाती हैं, वह भी समय पर.

उनकी नियुक्ति के सात माह हुए हैं. इस अवधि में वह सिर्फ एक दिन स्कूल नहीं जा पायीं, वह भी दो सितंबर को ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के कारण. शबा का परिवार मसौढ़ी के रहमतगंज में झोंपड़ीनुमा मकान में किराये पर रहता है.

मां बीड़ी बनाती हैं, तो पिता रिजवान नजर जामा मसजिद के गेट पर चाय की छोटी-सी दुकान चलाते हैं. शबा परवीन छोटी उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गयी थीं. उनकी कमर के नीचे का भाग निष्क्रिय हो गया है. उसके चल-फिर नहीं सकती हैं. लेकिन, परिवार की गरीबी व दिव्यांगता शबा के हौसले को तोड़ नहीं पायी. शबा ने मैट्रिक करने के बाद मसौढ़ी के टीएलएस कॉलेज से इंटर व स्नातक (इतिहास ऑनर्स) किया. इसके बाद वह लगातार प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल होती रहीं. इस दौरान उन्होंने एसटीइटी क्वालिफाइ किया. सात माह पहले शिक्षक के पद पर चयन हुआ. वह जहानाबाद के राजकीय महर्षि पंतजलि मध्य विद्यालय, मलहचक में पदस्थापित हैं. मसौढ़ी से इस स्कूल की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है.

वह पहले घर से छोटी बहन शाविया परवीन (20 वर्ष) की पीठ पर लटक कर तारेगना स्टेशन जाती हैं और ट्रेन से जहानाबाद स्टेशन पहुंचती हैं. फिर से वहां से दो किलोमीटर बहन की पीठ पर लटक कर शबा परवीन स्कूल पहुंचती हैं. यह रोज का सिलसिला है. सात महीने में सिर्फ एक दिन दो सितंबर को देशव्यापी हड़ताल वह स्कूल नहीं पायीं. जब तक शबा का शिक्षण कार्य खत्म नहीं हो जाता, छोटी बहन स्कूल के बरामदे पर बैठ कर दीदी की छुट्टी होने का इंतजार करती है. अपने स्कूल में छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

अभी वेतन भी शुरू नहीं

शबा को स्कूल में योगदान दिये हुए सात माह बीतने को है, लेकिन अब तक उनके वेतन का भुगतान शुरू नहीं हो पाया है. शिक्षा विभाग की मानें, तो अन शिक्षकों का वेतन नहीं हो पाया, जिनके कागजात की जांच कर जिले से मास्टर डाटा नहीं आया है. इसकी भी प्रक्रिया चल रही है. बहुत जल्द छूटे हुए उन शिक्षकों का भी वेतन शुरू हो जायेगा.

स्कूल से लौट कर बीड़ी भी बनाती हैं

स्कूल से घर लौट कर शबा बीड़ी भी बना कर अपने परिवार के खर्च में सहायता करती है. वह तीन बहन व एक भाई है. भाई पटना में फेरी का काम करता है. छोटी बहन शाविया परवीन मैट्रिक करने के बाद इंटर कर रही है. एक अन्य बहन बहुत छोटी है.

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