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अब महामारी का खतरा, सड़कें बन गयीं शौचालय

आशंका. नहीं हो रहा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, अस्पतालों में जरूरतमंद दवाएं तक उपलब्ध नहीं बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही गंदगी बाहर निकलने लगी है. वहीं दलदल के कारण सड़क पर ही लोग शौच करने लगे हैं. पटना : बाढ़ का पानी शहरी क्षेत्रों से निकल गया है, लेकिन गांव में अब भी […]

आशंका. नहीं हो रहा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, अस्पतालों में जरूरतमंद दवाएं तक उपलब्ध नहीं
बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही गंदगी बाहर निकलने लगी है. वहीं दलदल के कारण सड़क पर ही लोग शौच करने लगे हैं.
पटना : बाढ़ का पानी शहरी क्षेत्रों से निकल गया है, लेकिन गांव में अब भी पानी से परेशानी है. फतुहा के दस गांव अब भी बाढ़ से ग्रस्त हैं, जहां से पानी नहीं निकला है. मनेर में कटाव से दो टोला बाढ़ से जलमग्न है. बाढ़ प्रभावित रहे गांवों में बिजली की भारी समस्या है. यहां के लोगों ने सड़क को ही शौचालय बना लिया है, जिससे महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है. बख्तियारपुर में सड़क से पानी निकल गया है, लेकिन दियारे क्षेत्र में अब भी पानी है.
जल स्तर घटने से यहां के लोगों को काफी दूर पानी व कीचड़ से होकर घर तक जाना पड़ता है. क्योंकि, पानी घटने से नाव गांव तक नहीं जा रही है. इन इलाकों में पानी घटने के बाद बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. गांव में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं हो रहा है और लोगों को पानी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए दवाइयां अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं.
गंगा का जल स्तर गांधी घाट में पहली बार डेंजर लेवल से नीचे पहुंच गया है. गुरुवार को गांधी घाट पर गंगा का जल स्तर 48.34 दर्ज किया गया. वहीं गंगा घाट का डेंजर लेवल 48.68 है. इसके साथ अब फिर से गंगा के बीच-बीच में पानी कम होने से टापू नजर आने लगे हैं. पानी घटने से कहीं-कहीं गंगा में घुटने भर पानी, तो कहीं कमर भर पानी हो गया है. ऐसे में अब राहत शिविरों में रहनेवाले लोग वापस घर लौटने लगे हैं, लेकिन इनके सामने सबसे बड़ा संकट दोबारा से घर बसाने का है, जो बाढ़ में ध्वस्त हो गये हैं.
दियारे के इलाकों में रहने वाले परिवार दीघा से सारा सामान लेकर वापस अपने घर लौट रहे हैं. बिंद टोली में बाढ़ का पानी निकल जाने के बाद अब कीचड़ है. शिविर से वापस पहुंच रहे लोग इनको साफ कर फिर से नया आशियाना बसाने की जुगत में हैं. दूसरी ओर गंगा के अलावे सोन व पुनपुन के जल स्तर में भी गिरावट हुई है.
गंगा का जल स्तर गिरने से एक बार फिर घाटों से गंगा दूर जाने लगी है. कुर्जी , दीघा, बांस घाट, एनआइटी घाट व कलेक्ट्रेट घाटों पर पानी काफी हद तक कम हुआ है. पानी कम होने से घाटों पर गंदगी बढ़ गयी है और यहां पर जानवरों का आवागमन बढ़ गया है. क्योंकि, बाढ़ के पानी में कई ऐसी चीजें घाटों पर आकर अटक गयी हैं, जिसे वहां से हटाना जरूरी है.
शिविरों में बीमारों की संख्या घटी
पटना. राहत शिविरों में लगाये गये मेडिकल कैंपों में बाढ़ से पीड़ित बीमार लोगों की संख्या में पिछले दो दिनों में भारी कमी आयी है. अब रोज केवल दस से पंद्रह मरीज ही शिविर में लगे मेडिकल कैंप में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं जो दो दिन पहले 80 से लेकर 100 बीमार तक कैंपों में डाक्टरी सलाह के लिए आ रहे थे.
गुरुवार को बीएन कॉलेजिएट के मेडिकल कैंप में जहां दस बीमार ही दो बजे तक निबंधित हुए थे वहीं बिहार विद्यापीठ कैंप में महज आठ. दीघा के कैंप का हाल भी कमोबेश यही था. यहां पर 12 मरीजों को इलाज हो सका था. इन तीनों कैंपों में बुधवार को भी औसत बीमारों की संख्या 15-16 ही थी. डाॅक्टरों का कहना था कि मामूली बीमारियों से लेकर खुजली और दस्त से जूझ रहे बीमार भी पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.
भादो तक राहत कैंपों को जारी रखने के लिए कर रहे गुहार
पटना : बाढ़ पीड़ितों को गंगा में फिर से पानी बढ़ने की चिंता सता रही है. उन्हें यह डर है कि भादो महीने तक बारिश होगी और इस बीच कहीं फिर से पानी आयेगा तो काफी दिक्कत होगी. इस बीच यदि उन्होंने आशियाना फिर से बनाया और उसे गंगा मइया के रौद्र रूप ने लील लिया तो फिर परेशानी काफी बढ़ जायेगी. दोबारा यदि वे टूटे तो खड़े नहीं हो पायेंगे.
इसी कारण वे चाह रहे हैं कि कम से कम भादो महीने खत्म होने तक यानी 18 सितंबर तक राहत कैंप लगातार चलता रहे. बीएन कॉलेजिएट कैंप में एक सप्ताह से ज्यादा समय तक रह रहे सबलपुर दियारा के बंगाली टोला के रहने वाले बुजुर्ग बाल्मिकी राय और शिवप्रसाद राय कहते हैं कि भादो भर तो एकदम नहीं जायेंगे. उनको 75 वाला बाढ़ भी याद है जब सब कुछ खत्म हो गया था और जैसे ही वे दोबारा अपना आशियाना खड़ा करने गये तो फिर से गंगा नदी में बाढ़ आ गयी थी. उन्होंने अधिकारियों से अपील करते हुए कहा है कि वे इस प्वाइंट को ध्यान में रखेंगे.
जंगल भी डूब गया कैसे छारेंगे छप्पर : कैंप में आपस में बातचीत कर रहे अजय कुमार और मनोज महतो कहते हैं कि बताइए सारा जंगल झार तो पानी में डूब कर खत्म हो गया. अब कैसे लकड़ी लायेंगे और किस प्रकार छप्पर छारेंगे? यहां से ले जाना संभव नहीं है न? पहले ही हमारा सब कुछ खत्म हो गया है अब इतनी ताकत नहीं है कि हम पटना से लकड़ी और टाट ले जायें और घर बनायें. यदि फिर से बाढ़ आयी तो हम तो बरबाद ही हो जायेंगे. रायपुर हरिजन टोला के सुरेश सिंह ने कहा कि अभी कल ही तो गये थे. काफी सांप-बिच्छू मिला है वहां पर, बहुत डर भी लगने लगा तो रात होने के पहले इस कैंप में लौट गये.
बिहार विद्यापीठ में चल रहे शिविर में चावल, दाल और सब्जी जब पीड़ितों के बीच बांटा जा रहा था. उसी वक्त एक महिला ने कैंप प्रभारी एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट राजीव मोहन सहाय से पूछा कि रोज रोज चावल नहीं खिलाइए सर… रोटियो बनवाइए. प्रभारी ने पूछा कि क्या रोटी बनाइएगा? डीएम साहब ने कहा है कि हम सब सामान मुहैया करा देते हैं. इस पर महिला ने टका सा जवाब दिया कि हां, हम घरवा में तो बनइवे न करते हैं और इहां बनावेंगे? इसके ठीक पहले वहां के कैंप में एनसीसी के लड़कों ने हेल्थ केयर कैंप लगाया और लोगों को व्यायाम, योग और खानपान की जानकारी दी.
दरभंगा-समस्तीपुर में 30.6 मिली मीटर बारिश
पटना. उत्तर बिहार के समस्तीपुर और दरभंगा में गुरुवार को तेज बारिश हुई, तो 10 दिनों से शांत पड़ी कमला-बलान ऊफान पर आ गयी. दरभंगा-झंझारपुर में कमला-बलान खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. अगले 24 घंटे में इसके जल स्तर में 45 सेंटीमीटर और वृद्धि होगी.
कमला-बलान के डेंजर-लेबल से ऊपर आने के बाद दरभंगा और समस्तीपुर में बाढ़ नियंत्रण कक्ष ने चौकसी बढ़ा दी है. गुरुवार को पटना, मुंगेर और मनेर में गंगा और सोन ने बड़ी राहत दी है. दोनों नदियां डेंजर लेवल से नीचे आ गयी हैं. अगले 24 घंटों में दीघा में गंगा 63, गांधी घाट में 56 और मुंगेर में 49 सेंटीमीटर, जबकि मनेर में सोन 64 सेंटीमीटर और नीचे आयेगी. मोकामा, भागलपुर और कहलगांव में गंगा, खगड़िया में बूढ़ी गंडक और कटिहार में कोसी ने भी आज कोई राहत नहीं दी. भागलपुर में गंगा 63, कहलगांव में 140, मोकामा में 33, खगड़िया में बूढ़ी गंडक 131 और कटिहार में कोसी खतरे के निशान 117 सेंटी मीटर ऊपर बह रही थी. केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 24 घंटों में कहलगांव में 19, भागलपुर में 55 और मोकामा में 56 सेंटी मीटर गंगा के जल स्तर में कमी आने की संभावना जतायी है.
उसी तरह खगड़िया में बूढ़ी गंडक के जल स्तर में कल तक 39 और कटिहार में कोसी के जल स्तर में 30 सेंटी मीटर की कमी आने की उम्मीद है. नौ जिलों में कहीं तेज, तो कहीं मध्यम बारिश हुई. सबसे अधिक बारिश समस्तीपुर और दरभंगा में क्रमश: 30.6 और 26.4 मिली मीटर हुई. सुपौल बारिश के मामले में तीसरे स्थान पर रहा, वहां 23.0 मिली मीटर बारिश हुई. पटना में 11.0 मिली मीटर बारिश हुई.
शिविरों में रोटी मेकर से बन रही हैं एक बार में 960 रोटियां
पटना : बाढ़ राहत शिविरों में रोटी बनाने वाली मशीन से शिविर में रहने वालों के लिए रोटियां बनायी जा रही हैं. बख्तियारपुर स्थित गणेश उच्च विद्यालय राहत शिविर में रोटी मेकर लगाया गया है, जिसे दिल्ली से मंगवाया गया है. इस मशीन के माध्यम से एक घंटे में 960 रोटियां तैयार कर ली जाती है. यह मशीन बिजली व गैस दोनों से चलता है. राहत शिविरों में लोगों की भीड़ को देख इस मशीन के माध्यम से रोटी बनाने का एक बड़ा काम बिल्कुल आसान हो गया है और इस काम से जुड़े लोगों को अन्य कामों में लगाया गया है.
जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के दिशा-निर्देश के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चापाकल को रोग मुक्त करने का कार्य शुरू हो गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पूर्व से संस्थापित चापाकल का पानी को रोगाणु मुक्त करने के लिए लाेक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अभियंताओं के द्वारा की जा रही है. गुरुवार को मनेर के विभिन्न स्थलों पर चापाकल को स्वच्छ किया गया और उसके पानी को पीने के योग्य बनाया गया. जिलाधिकारी के मुताबिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगे चापाकल को दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया है.
पटना में दो दिनों तक लाइट रेन की संभावना
पटना. बिहार का मौसम अगले दो दिनों तक बदला-बदला रहेगा. पटना सहित सभी जिलों में लाइट रेन होने की संभावना है. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक नार्थ बेस्ट-इस्ट व साउथ इस्ट में बुधवार की शाम से 48 घंटे का अलर्ट किया गया है. बुधवार की देर शाम में गया के रास्ते मॉनसून टर्फ लाइन बिहार में इंट्री की है, जिसके बाद पटना में देर रात 11 एमएम बारिश हुई है. फिलहाल टर्फ लाइन मालदह की ओर बढ़ रहा है, जो कि शनिवार तक वह नागालैंड की ओर शिफ्ट हो जायेगा. दूसरी आेर गुरुवार की सुबह में बादल छाया रहा. दोपहर में धूप आयी और कुछ एक जगहों पर हल्की बूंदा-बांदी भी हुई.
662 शिविरों में शरण लिये हैं चार लाख पीड़ित
पटना : 12 जिलों में बाढ़ के कारण अब भी चार लाख लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है. बाढ़ग्रस्त जिले बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार के 77 प्रखंडों के 580 पंचायतों के 2029 के 37.70 लाख की आबादी और 3.70 लाख पशु बाढ़ का सामना कर रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि बाढ़ से मरने वालों की संख्या 72 तक पहुंच चुकी है. उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए अब भी 2915 नाव चलाये जा रहे हैं.राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने राज्य में बाढ़ और राहत और बचाव की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग कर जानकारी ली.

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