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केंद्र ने बिहार की मांगें ठुकरायीं, राज्य में नहीं लागू हो सकेगी पीएम फसल बीमा योजना

नयी दिल्ली/पटना : केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना पर राज्य सरकार की कोई भी मांग मानने से इनकार कर दिया है. सोमवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने राज्य सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से बीमा का प्रीमियम उत्तर […]

नयी दिल्ली/पटना : केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना पर राज्य सरकार की कोई भी मांग मानने से इनकार कर दिया है. सोमवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने राज्य सरकार का पक्ष रखा.
उन्होंने राज्य सरकार की ओर से बीमा का प्रीमियम उत्तर प्रदेश के लिए तय दर यानी 4.09% करने और प्रीमियम मद में आनेवाले खर्च का 90% केंद्र आैर 10% राज्य सरकार को वहन करने मांग की. लेकिन, केंद्र ने दोनों ही मांगों को ठुकरा दिया. जिस प्रकार से केंद्र ने बिहार के अनुरोध को ठुकरा दिया है, उससे अब यह साफ हो गया है कि वर्तमान परिस्थिति में बिहार में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने 15 अगस्त तक राज्य को इस योजना के लिए बीमा कपंनियों का चयन करने को कहा था. लेकिन, राज्य सरकार यूपी के तर्ज पर प्रीमियम दर तय करने और केंद्र की योजना होने के कारण केंद्रांश को 90% वहन करने की मांग रखी थी. राज्य के 16 लाख किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिलना था.
बलिया में छह और बक्सर में 15% की प्रीमियम कैसे है उचित : मंत्री : बैठक के बाद केंद्र के रुख पर असंतोष जाहिर करते हुए सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि बिहार की जनता सब कुछ देख रही है. उन्होंने कहा कि यूपी के बलिया जिले में बीमा की प्रीमियम दर 6% और उससे सटे बिहार के बक्सर जिले में 15% प्रीमियम की दर को कैसे स्वीकार किया जायेगा.
मंत्री ने कहा कि फसलों की जितनी क्षति नहीं होती है, उससे अधिक बीमा कंपनी को प्रीमियम देना होगा. हम यही प्रीमियम की राशि किसानों में बांट देंगे. हमारा काम किसानों की मदद करना है, न कि बीमा कंपनी को.
मेहता ने कहा कि पीएम सड़क योजना की तरह ही पीएम फसल बीमा योजना में भी शत-प्रतिशत राशि केंद्र को देना चाहिए. बीमा योजना में कम-से-कम 90% राशि तो केंद्र सरकार दे. अन्यथा पीएम फसल बीमा योजना का नाम बदल कर पीएम-सीएम फसल बीमा योजना करें. नाम और क्रेडिट केंद्र ले और पैसा राज्य सरकार दे यह नहीं चलेगा. बैठक में केंद्र की ओर से कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अाशीष भूटानी और बिहार से सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा और सहकारिता पदाधिकारी विकास बरियार.
पीएम फसल बीमा योजना पर राज्य में अब तक की कार्रवाई
कैबिनेट ने 26 मई को खरीफ, 2016 मौसम से इस बीमा योजना लागू करने का संकल्‍प पत्र जारी किया गया और इसे गजट में प्रकाशित किया.
राज्य सरकार ने 14 जून को राज्‍य स्‍तरीय बैंकर्स समिति, पटना को सभी ऋणी किसानों से अनिवार्य रूप से फसल बीमा का प्रीमियम काटने का निर्देश दिया.
21 जून को राज्‍य स्‍तरीय बैंकर्स समिति ने सभी बैंकों को प्रीमियम काटने का निर्देश दिया.
सहकारिता विभाग द्वारा योजना शुरू करने की विज्ञप्ति जारी किया.
राज्‍य के सभी केसीसी धारक किसानों के मिले कर्ज की राशि से बीमा मद में प्रीमियम के लिए दो प्रतिशत राशि की कटौती की.
नयी दिल्ली में बैठक बेनतीजा, बिहार की दो मांगें
बिहार के लिए प्रीमियम की दर 14.92% से घटा कर 4.09% हो, जो यूपी के लिए तय है
प्रीमियम पर आनेवाले खर्च का 90% केंद्र व 10% राज्य सरकार वहन करें. अभी यह 50:50 है
राज्य सरकार अनुदान देकर करेगी फसल क्षति की भरपाई: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना नहीं लागू होने की स्थिति में किसानों को राज्य सरकार फसल क्षति अनुदान देकर भरपाई करेगी. इसकी तैयारी सरकार के स्तर पर शुरू हो चुकी है.
पीएम फसल बीमा योजना पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच बीमा की प्रीमियम दर पर सहमति नहीं बनने के कारण राज्य सरकार फसल क्षति अनुदान के रूप में भरपाई की तैयारी शुरू की है. सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकाकारी का मानना है कि ऐसी व्यवस्था से किसानों को फसल बीमा नहीं होने पर भी क्षति की भरपाई हो जायेगी. सहकारिता विभाग के अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार का साफ मानना है कि जितनी राशि बीमा कंपनियां राज्य के किसानाें को देंगी, उससे कई गुना वे प्रीमियम के रूप में वसूल करेेंगी.
ऐसे में राज्य सरकार बीमा कंपनियों को देनेवाली राशि से ही किसानों को फसल क्षति अनुदान दे देगी. विभागीय अधिकारी ने बताया कि पिछले साल राज्य के किसानों को सुखाड़ से हुई क्षति से निबटने के लिए 200 करोड़ रुपये दिये थे. फिलहाल राज्य के किसानाें को सरकार डीजल सब्सिडी का लाभ दे रही है.
प्रखंड स्तर पर खरीफ फसलों के तैयार हो रहे हैं डाटा : कृषि विभाग किसानों के फसलों की वास्तविक स्थिति की जानकारी के लिए प्रखंड स्तर पर ब्योरा तैयार कर रहा है, जिसमें धान की रोपनी, मक्के अौर अन्य खरीफ फसलों की बुअाई की स्थिति की जानकारी ली जा रही है.
इसमें कम बारिश से फसलों की क्षति का ब्योरा भी शामिल होगा. प्रतिदिन के बारिश का ब्योरा भी जमा किया जा रहा है. इससे राज्य सरकार को किसानों के फसल क्षति पर अनुदान देने में सहुलियत होगी. यह ब्योरा 15 अगस्त तक लिया जायेगा. 15 अगस्त के बाद यह तय किया जायेगा कि फसलों की क्षति कहां-कहां हुई है.
हम करेंगे दोबारा अनुरोध : आलोक मेहता
सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि फिलहाल किसानों को बीमा के लिए केंद्र सरकार से हम दुबारा अनुरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जितनी क्षति नहीं होती है, उससे अधिक प्रीमियम देना होगा. हम उस प्रीमियम की राशि काे ही किसान में बांट देंगे. मेहता ने कहा कि फिलहाल फसल बीमा के वैकल्पिक इंतजाम पर विचार नहीं हुआ है, लेकिन सरकार किसानों के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझती है. हम अपने किसान को डीजल अनुदान दे रहें हैं. इससे भी रिस्क फैक्टर घटेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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