मां ने शराब छीनने की कोशिश की, तो बेटा आपे से बाहर हो गया. बूढ़ी मां को मारने लगा, पत्नी सरिता बचाने पहुंची तो उसे भी कूट डाला. शराब का नशा इस तरह से सिर चढ़ा था कि एक पल के लिए लगा कि गणेश आज जान लेकर छोड़ेगा. जब सब्र का बांध टूट गया, तो सीता देवी ने कोतवाली पुलिस को फोन लगा दिया. फिर जो हुआ वह मां और बेटे दोनों को दर्द देने वाला था.
दरअसल मां ने फोन पर रोना शुरू किया और बेटे द्वारा पिटाई की शिकायत की. पुलिस उसकी बात सुन रही थी, लेकिन जैसे ही उसने बेटे के नशे की हालत में होने की शिकायत की, पुलिस के होश उड़ गये. तत्काल थाने से लोकेशन पूछा गया. सीता देवी ने अदालतगंज का पता बताया. दो मिनट में पुलिस पहुंच गयी और गणेश को नशे की हालत में गिरफ्तार कर लिया गया. गणेश के कब्जे से देशी शराब की पांच बोतलें बरामद की गयीं. पुलिस उसे लेकर थाने आ गयी. अदालतगंज में झोंपड़ी में होटल चला कर परिवार चलाने वाले गणेश को शराब पीने, रखने और मारपीट करने के जुर्म में जेल भेज दिया गया.
गणेश के थाना पहुंचने के बाद घर में तो शांति हो गयी, पर मां सीता देवी को मन अशांत हो गया. पल भर में बेटे के प्रति ममता जाग उठी. थाने में उसके साथ क्या सलूक होगा, पुलिस डंडे मारेगी, जेल भेजेगी, यह सब सोच कर उसका कलेजा कांप उठा. वह फौरन बहू सरिता को साथ ली और कोतवाली पहुंच गयी. बेटे के हाथ में हथकड़ी देखी तो रोने लगी. दारोगा का पैर पकड़ लिया. बोली- बेटे को छोड़ दो साहब, अब शराब नहीं पियेगा. उससे गलती हो गयी. जाने दो साहब, हमने गुस्से में फोन कर दिया. बेटा गणेश भी चुपचाप थाने में मौजूद बेंच पर बैठ कर सबकुछ एक टक देख रहा था. उसका नशा उतर गया था. उधर उसकी मां इन सबसे अनजान थी. वह मनुहार किये जा रही थी, इस पर थाने का दारोगा पुलिसिया रंग में आ गया. बोला… भाग जाओ यहां से, अब यह नहीं छूटेगा, मालूम नहीं है कि शराब पीने के जुर्म में सात की साल की सजा हो रही है. इतना सुनते ही सीता देवी फूट-फूट कर रोने लगी. वह पुत्र मोह में गलती का एहसास कर रही थी, बेटे को भी अपने किये पर पछतावा था, पर शराब ने उसे नहीं बख्शा.