पटना : बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग (बीएचआरसी) ने प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत पिछले चार सालों के दौरान 703 पीड़ितों का बच्चेदानी निकालने के मामलों में 15 करोड़ रुपये मुआवजा दिये जाने का आज राज्य सरकार को निर्देश दिया है. बीएचआरसी के अध्यक्ष बिलाल नाजकी ने इस मामले में राज्य सरकार को पीड़ितों को अगले तीन महीने के भीतर मुआवजा दिये जाने का निर्देश दिया है.
वर्ष 2012 में बिहार के सारण, सीतामढी, समस्तीपुर, जमुई, रोहतास, बेगूसराय, कटिहार और सुपौल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं की बच्चेदानी निकाले जाने का मामला उजागर होने पर बीएचआरसी ने स्वत: संज्ञान लिया था और इसकी जांच के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर विशेषज्ञों की एक टीम का गठन किया गया था. जिसने इस वर्ष फरवरी महीने में बीएचआरसी के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
इन पीड़ित महिलाओं में एक की उम्र 20 वर्ष से कम, 103 की 20 से 30 साल, 288 की 30 से 40 वर्ष और 163 की 40 से अधिक साल की हैं. बच्चेदानी निकालने के कुछ मामलों में बिना सर्जरी के लिए लाभांवितों को मिलने वाली राशि का बंदरबांट कर लिया गया. कुछ मामलों में तो फर्जी चिकित्सकों द्वारा आॅपरेशन किया गया.
बीएचआरसी ने इस मामले में 20 से 40 आयुवर्ग की पीड़ित महिलाओं को 2.5-2.5 लाख रुपये तथा 40 से अधिक उम्र वाली महिलाओं को 1.5 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश दिया है.