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प्रशांत किशोर : जिस किसी चीज को छू लेते हैं, वह ”सोना” बन जाती है

पटना: वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव और पिछले साल के आम चुनाव के दौरान ब्रांड नरेंद्र मोदी को स्थापित करने में जिस व्यक्ति ने अहम भूमिका निभायी, उसने बिहार में नीतीश कुमार की अभियान रणनीति तैयार करने में बडा योगदान दिया और कुमार ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी विजय प्राप्त की. […]

पटना: वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव और पिछले साल के आम चुनाव के दौरान ब्रांड नरेंद्र मोदी को स्थापित करने में जिस व्यक्ति ने अहम भूमिका निभायी, उसने बिहार में नीतीश कुमार की अभियान रणनीति तैयार करने में बडा योगदान दिया और कुमार ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी विजय प्राप्त की. बिहार विधानसभा चुनाव में महागंठबंधन की नैया पार लगाने वाले प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी नियुक्त किये गये हैं. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. इस संबंध में गुरुवार को मंत्रिमंडल समन्वय विभाग ने अधिसूचना जारी की.

आपको बता दें कि बिहार के प्रशांत किशोर ने वर्ष 2011 में अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य विशेषज्ञ की नौकरी छोड दी थी और वह युवा पेशेवरों का एक समूह बनाने भारत लौट आए थे. उन्होंने 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव और 2014 के आम चुनाव में मोदी को सुशासन के चेहरे के रुप में पेश करने की रणनीति बनायी और भारी सफलता भी मिली. किशोर ने एक बार फिर अपनी कामयाबी का झंडा गाडा और नीतीश कुमार के बिहार में भाजपा नीत राजग को करारी शिकस्त देकर लगातार तीसरा बार जीत दर्ज करने में उनकी अहम भूमिका रही. जदयू नेता नीतीश कुमार के प्रतिद्वंद्वी नरेंद्र मोदी ने यहां अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था और कम से कम 31 चुनावी रैलियां संबोधित की जबकि सामान्यत: प्रधानमंत्री राज्य के चुनाव इतनी रैलियां नहीं करते हैं.

किशोर के बारे में एक कहावत है कि वह जिस किसी चीज को छू लेते हैं, वह सोना बन जाती है की लोकप्रिय ‘चाय पर चर्चा’ पहल की अवधारणा रचने और क्रियान्वित करने वाले किशोर (37) ने विकल्प ‘पर्चा पे चर्चा’ तैयार किया जिसके तहत नीतीश के चुनाव प्रबंधकों ने पिछले दशक में राज्य सरकार के प्रदर्शन पर लोगों से उनकी राय मांगी. किशोर की टोली को यह अहसास होने के बाद कि जदयू भाजपा से संसाधनों के मामले में नहीं टिक सकती, उसने ‘हर घर दस्तक’ रणनीति भी बनायी जिससे जदयू को जनसमूह से निजी संपर्क कायम करने में मदद मिली.

जब शीर्ष भाजपा नेता हेलीकॉप्टर से पूरे बिहार की खाक छान रहे थे तब नीतीश कुमार और उनके पार्टी कार्यकर्ता सीधे संपर्क के तहत मतदाताओं के घर घर जाकर उनसे वोट मांग रहे थे. किशोर की टीम के सदस्यों ने कहा कि जब टीम पटना पहुंची तब सामान्यत: बिल्कुल कम बोलने वाले कुमार बमुश्किल चर्चा का विषय थे. पर्दे के पीछे से अहर्निश काम करते हुए टीम के सदस्यों ने एक ऐसी रणनीति बनायी कि कुमार ने मोदी की हर तीखी आलोचना का सामना हाजिर जवाबी से किया. किशोर मोदी के 2014 के चुनाव अभियान पर काम करने को अपनी टीम बनाने के लिये ‘सिटीजंस फोर एकाउंटेबल गर्वनेंस’ (कैग) के तहत भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से स्नातकों को ले कर आये थे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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