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सामाजिक-आर्थिक जनगणना पेश : बिहार में 65 % ग्रामीण परिवार भूमिहीन
सामाजिक-आर्थिक जनगणना पेश, जातिगत आंकड़े अभी नहीं करीब आठ दशक बाद भारत की सामाजिक, जातीय और परिवारों की आर्थिक प्रगति की सही-सही तसवीर सामने आयी है. शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सामाजिक, आर्थिक एवं जातीय जनगणना के औपबंधिक आंकड़े जारी किये. 1931 के बाद पहली बार देश में इस तरह की जनगणना की गयी है. […]
सामाजिक-आर्थिक जनगणना पेश, जातिगत आंकड़े अभी नहीं
करीब आठ दशक बाद भारत की सामाजिक, जातीय और परिवारों की आर्थिक प्रगति की सही-सही तसवीर सामने आयी है. शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सामाजिक, आर्थिक एवं जातीय जनगणना के औपबंधिक आंकड़े जारी किये. 1931 के बाद पहली बार देश में इस तरह की जनगणना की गयी है. इसके मुताबिक, करीब 39.39 } ग्रामीण परिवारों की आय 10 हजार रुपये मासिक से कम है और उनके पास कोई वाहन नहीं है.
पटना : सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना, 2011 के मुताबिक बिहार के कुल ग्रामीण परिवारों में से 65 फीसदी भूमिहीन हैं. देश स्तर पर यह आंकड़ा 56 फीसदी है. देश भर में सबसे अधिक 98 फीसदी ग्रामीण भूमिहीन परिवार चंडीगढ़ में हैं. बिहार के गांवों में सिर्फ 3.89 फीसदी परिवार सरकारी नौकरी में हैं और 54.33 फीसदी भूमिहीन परिवार मजदूरी करते हैं. सरकारी नौकरी का राष्ट्रीय औसत पांच फीसदी है.
शुक्रवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना, 2011 के आंकड़े जारी किये.
उन्होंने कहा, योजनाओं की विशालता और हर सरकार की पहुंच को देखते हुए इस दस्तावेज से हमें नीति नियोजन के लिहाज से लक्षित समूह को सहायता पहुंचाने में मदद मिलेगी. इस दस्तावेज में कई तरह के ब्योरे हैं. जैसे-कौन लोग हैं, जो जीवन शैली के लिहाज से आगे बढ़े हैं, कौन-से ऐसे समूह हैं, जिन पर भावी योजनाओं में ध्यान देना है. इससे बेहतर नीति नियोजन में मदद मिलेगी. रिपोर्ट में कहा गया कि देश के सिर्फ 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर देते हैं, जबकि वेतनभोगी ग्रामीण परिवारों की संख्या 10 प्रतिशत है.
आयकर देनेवाले अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 3.49 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति के ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 3.34 प्रतिशत है. बिहार में 2.73 फीसदी ग्रामीण परिवार आयकर या पेशा कर देते हैं. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया व चारपहिया वाहनों वाले परिवार 11.70 फीसदी और 10 हजार से ऊपर की आमदनी वाले 6.87 फीसदी परिवार हैं.
ग्रामीण भूमिहीनों के मामले में बिहार से चंडीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, दमन, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश आगे हैं. 1931 के बाद यह पहली जनगणना है, जिसमें क्षेत्र विशेष, समुदाय, जाति एवं आर्थिक समूह संबंधी विभिन्न किस्म के ब्योरे हैं और भारत में परिवारों की प्रगति का आकलन किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत हिस्से के पास भूमि नहीं है, जिनमें 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग भूमिहीन स्वामित्ववाले हैं. इसके अलावा 11 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास फ्रिज है और 20.69 प्रतिशत के पास एक मोटरगाड़ी या एक मत्स्य नौका है.सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी पंजाब में 36.74 प्रतिशत है.
अजा : सिर्फ आठ हजार के पास कार
बिहार में अनुसूचित जाति के करीब 85 हजार ग्रामीण परिवारों (2.83 फीसदी) की आय 10 हजार रुपये मासिक से ज्यादा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.69 फीसदी है. राज्य में सिर्फ आठ हजार अजा परिवारों के पास चारपहिया वाहन हैं. 22 फीसदी के पास कोई फोन नहीं है.
18.42 फीसदी की आय कृषि से
देश के कुल ग्रामीण परिवारों में से 30.10 } परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 18.42 फीसदी है. बिहार में 1.25 करोड़ ग्रामीण परिवार (70.59 फीसदी) दिहाड़ी मजदूर हैं, जबकि देश में 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) परिवार दिहाड़ी से अपनी रोजी कमाते हैं. बिहार में 54.33 फीसदी भूमिहीन परिवार अनियमित रूप से मजदूरी करते हैं.
मकान के मामले में आगे
ग्रामीण परिवारों के पास मकान के मामले में बिहार जम्मू-कश्मीर को छोड़ बाकी सबसे आगे है. देश में 94 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मकान हैं, जबकि बिहार में 98.81 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास अपना मकान है, जिनमें 57 फीसदी कच्चे व 42 फीसदी पक्के मकान हैं.
हर तीसरा परिवार भूमिहीन मजदूर
रपट से संकेत मिलता है कि गांवों में हर तीसरा परिवार भूमिहीन है, जो अपनी आजीविका के लिए शारीरिक श्रम पर निर्भर है. बिहार में यह संख्या आधे से ज्यादा है.
ये लोग शामिल नहीं
इस सेंसस में वे परिवार शामिल नहीं हैं, जो 14 तय पैरामीटर में से किसी एक में भी शामिल हैं. मसलन खेती से जुड़ीं मशीनें, वाहन, 50 हजार रुपये से ज्यादा सीमा वाला किसान क्रेडिट, तीन से ज्यादा कमरों वाले पक्के मकान, लैंडलाइन फोन और फ्रिज जैसी अन्य चीजें जिनके पास हैं, वे इसमें शामिल नहीं किये गये हैं.
कहां होगा उपयोगी
ये आंकड़े सबके लिए आवास, शिक्षा एवं कौशल विकास, मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, विशिष्ट रूप से समर्थ लोगों के लिए पहलों, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों के लिए हस्तक्षेप और वंचितों के साक्ष्य के आधार पर परिवारों-व्यक्तियों की पात्रता तय करने के संबंध में इसका अर्थपूर्ण उपयोग किया जायेगा. इससे अंत्योदय मिशन का रास्ता साफ होगा ताकि ग्राम पंचायत गरीबी उन्मूलन योजना के जरिये परिवारों की गरीबी घटाई जा सके.
कुल परिवार
भारत – 179164754
बिहार – 17662724
वेतनभोगी
भारत बिहार
कुल 17338251 (9.68}) 106431 (6.03})
सरकारी 8989248 (5.02}) 713201(4.04})
निजी 6407754 (3.58}) 241753 (1.37})
शिक्षा
भारत बिहार
अनपढ़ 315786931 (35.73}) 42890099 (43.85)
प्राइमरी से कम 123427659 (13.97}) 19269966(19.70)
प्राइमरी तक 157111009 (17.18}) 14745696(15.08)
मिडिल स्कूल तक 119620648 (13.53) 8618739 (8.18})
सेकेंडरी तक 84619867 (9.57) 6179917 (6.32})
हायर सेकेंडरी 47821608 (5.41) 3552680 (3.63})
स्नातक और ऊपर 30513307 (3.45) 2231780 (2.28})
संपत्ति भारत बिहार
फ्रिज 19772939 (11.04}) 461067 (2.61)
लैंडलाइन फोन 1785476 (1}) 107625 (0.61)
मोबाइल 122453752 (68.35}) 14510889 (82.16)
लैंड लाइन+मो. 4874886 (2.72}) 154778 (0.88)
गाड़ी 37077942 (20.69}) 2066897 (11.70)
(नोट – गाड़ी में दो, तीन, चार पहिया के साथ मछली पकड़ने वाला मोटरबोट भी शामिल.)
भूमि स्वामित्व
भारत बिहार
कुल जमीन 1057522765.188 307346303.18
भूमि वाले परिवार 78378173 (44}) 6169414 (35})
भूमिहीन परिवार 100777240 (56}) 11490154 (65})
(जमीन के आंकड़े हेक्टेयर में)
जातीय संरचना
भारत
एससी 33065266 (18.46})
एसटी 19646873 (10.97})
बिहार
एससी 2997987 (16.97})
एसटी 286284 (1.62})
यह कहना सही नहीं है कि बिहार विस चुनाव के मद्देनजर जाति आधारित आंकड़े जारी नहीं किये गये. यह जनगणना के डीजी के अधिकार क्षेत्र में है. यह उनको तय करना है कि वह इस बारे में क्या सोचते हैं.
चौधरी वीरेंद्र सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री
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