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सवर्ण आयोग की सिफारिशों पर अमल वाला बिहार अकेला राज्य

राज्य में सवर्ण जातियों (हिंदू और मुसलमान) के शैक्षणिक व आर्थिक हालात का जायजा लेने के लिए 2011 में बने सवर्ण आयोग की सिफारिशों पर नीतीश सरकार ने अमल शुरू कर दिया है. इसके तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये से कम आमदनी वाले सवर्ण जाति के परिवारों के जो बच्चे प्रथम श्रेणी में दसवीं की […]

राज्य में सवर्ण जातियों (हिंदू और मुसलमान) के शैक्षणिक व आर्थिक हालात का जायजा लेने के लिए 2011 में बने सवर्ण आयोग की सिफारिशों पर नीतीश सरकार ने अमल शुरू कर दिया है. इसके तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये से कम आमदनी वाले सवर्ण जाति के परिवारों के जो बच्चे प्रथम श्रेणी में दसवीं की परीक्षा पास करेंगे, उन्हें दस हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी. आयोग की अन्य सिफारिशों को लागू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनायी गयी है.यह कमेटी संबंधित विभागों से विमर्श कर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी. राज्य सरकार का यह कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इससे सवर्ण गरीबों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिलेगा. मालूम हो कि ऊंची जाति के गरीबों की पहचान के लिए आयोग बनाने और उसकी अनुशंसाओं को अमल में लानेवाला बिहार इकलौता राज्य है.

पटना: हिंदुओं और मुसलमानों में ऊंची जातियों की शैक्षणिक व आर्थिक स्थितियों का पता लगाने के लिए बने राज्य सवर्ण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सालाना डेढ़ लाख रुपये से कम आमदनी वाले ऊंची जाति के परिवारों को गरीब की श्रेणी में रखा जाये. आयोग ने सभी कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में ऊंची जाति के ऐसे परिवारों को शामिल करने का भी सुझाव दिया है. देश में सवर्ण आयोग बनाने और उसकी सिफारिशों पर अमल करने वाला बिहार अकेला राज्य है.

आयोग की अन्य सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार ने मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी. आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, पर उसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. आयोग ने हिंदुओं में ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और कायस्थ जातियों तथा मुसलमानों की शेख, सैयद और पठान की शैक्षणिक व आर्थिक हालातों का जायजा लिया है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 38 में से 20 जिलों में ऊंची जातियों की शैक्षणिक व आर्थिक स्थितियों का सव्रेक्षण किया गया. इन जिलों का चुनाव रैंडम तरीके से किया गया था.

सालाना डेढ़ लाख से कम कमानेवाले सवर्ण परिवार माने जायेंगे गरीब

2011 में बने सवर्ण आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अब सालाना डेढ़ लाख रुपये से कम आमदनी वाले सवर्ण जाति के परिवार गरीब माने जायेंगे.राज्य में ऊंची जातियों की शैक्षिक व आर्थिक स्थितियों के आकलन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सवर्ण आयोग बनाने का निर्णय किया था. आयोग की सिफारिशों पर बिहार सरकार ने अमल शुरू कर दिया है. जानिए आयोग के गठन, उद्देश्य व सिफारिशों के बारे में.

सालाना डेढ़ लाख से कम कमानेवाले सवर्ण परिवार गरीब

गरीब सवर्णो को सभी कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में रखने की अनुशंसा

कक्षा एक से दस तक के छात्र जिनकी पारिवारिक आय डेढ़ लाख या उससे कम होगी वैसे उंची जाति के छात्रों को भी छात्रवृत्ति मिलेगी

आयोग को क्या पता करना था

ऊंची जातियों में शैक्षणिक व आर्थिक रूप से कमजोर समूह की पहचान करना.

ऊंची जातियों में ऐसे वर्ग की पहचान करना जिनके पास दूसरे वर्ग की तुलना में आर्थिक उपाजर्न के सीमित स्नेत हैं, जिसमें जमीन भी शामिल है. और उनके पुश्तैनी धंधे की महत्ता कम हो रही है, इसका आकलन करना.

उनके पिछड़ेपन के कारणों की तलाश करना और उनके व्यापक हित में सुझाव देना.

आयोग की ये हैं सिफारिशें

ऐतिहासिक कारणों से ऊंची जाति के लोगों के बीच जो प्रतिकूल हालात हैं, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है. इसलिए अब इस पर मन:स्थिति बदलने की जरूरत है. प्रतिकूल स्थितियों में रह रहे लोगों पर कल्याणकारी योजनाओं के जरिये विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

राज्य सरकार आर्थिक आधार पर एक पैमाना तय कर जिससे ऊंची जाति के उन लोगों की पहचान की जा सके जो प्रतिकृल परिस्थितियों में रह रहे हैं. सालाना डेढ़ लाख रुपये से कम आमदनी वाले ऊंची जाति के परिवारों को सभी तरह की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए.

वंचित लोगों के लिए चल रहीं कल्याणकारी योजनाएं उनकी पांच बुनियादी जरूरतों से जुड़ी होती हैं. इनमें है: शिक्षा, आवास, शौचालय, खेती और समाज कल्याण. इन सभी योजनाओं को इस प्रकार निरूपित किया जाना चाहिए, जिससे ऊंची जाति के वंचितों को भी इस दायरे में शामिल किया जा सके. खासतौर पर छात्रवृति योजनाएं ऊंची जाति के वंचितों के लिए विस्तारित किया जाना चाहिए. दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास करने वाले ऊंची जाति के वंचित छात्रों को प्रोत्साहन योजना का लाभ मिलना चाहिए.

आयोग कब और कैसे बना

राज्य में ऊंची जातियों की शैक्षिक व आर्थिक स्थितियों का आकलन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सवर्ण आयोग बनाने का फैसला किया. 27 जनवरी 2011 को कैबिनेट ने सवर्ण आयोग बनाने को मंजूरी दे दी. सवर्ण आयोग बनाने वाला बिहार अकेला राज्य है. मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद से ही लगभग सभी पार्टियां ऊंची जाति के गरीबों की हिमायत करती रही हैं. वे कहती रही हैं कि ऊंची जाति में जो गरीब लोग हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा मिलना चाहिए.

ये थे अध्यक्ष और सदस्य

इलाहाबाद हाइकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश डीके त्रिवेदी की अध्यक्षता में आयोग बना. इसके उपाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद सिंह बनाये गये थे और सदस्यों में नरेंद्र प्रसाद सिंह, फरहत अब्बास व संजय प्रकाश शामिल थे. बाद में भाजपा कोटे संजय प्रकाश के आयोग से हट जाने के बाद रिपुदमन श्रीवास्तव सदस्य बनाये गये थे. आयोग ने 25 मई 2011 को घोषणा की थी कि अगले छह महीने में वह सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी. 2013 में आयोग ने 11 जिलों के सव्रेक्षण के आधार पर सरकार को एक रिपोर्ट दी थी. 20 जिलों पर आधारित आयोग ने अपनी मुकम्मल रिपोर्ट अब जाकर सौंपी है.

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