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मोदी के भूमि अधिग्रहण बिल का जदयू ने किया विरोध, नीतीश कुमार भूख हड़ताल

पटना : केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को जदयू के प्रदेश मुख्यालय में 24 घंटे के उपवास पर बैठेंगे. उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह समेत सांसद, मंत्री, पटना जिले से आनेवाले विधायक, विधान पार्षद समेत पार्टी के पदाधिकारी शामिल होंगे. मुख्यमंत्री सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय […]

पटना : केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को जदयू के प्रदेश मुख्यालय में 24 घंटे के उपवास पर बैठेंगे. उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह समेत सांसद, मंत्री, पटना जिले से आनेवाले विधायक, विधान पार्षद समेत पार्टी के पदाधिकारी शामिल होंगे. मुख्यमंत्री सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय पहुंच जायेंगे, जहां वह अगले दिन सुबह 10 बजे तक मौजूद रहेंगे.
उपवास के दौरान नीतीश समेत पार्टी के सभी नेता सिर्फ नींबू पानी ग्रहण करेंगे. वहीं, पटना के अलावा सभी जिलों और प्रखंड मुख्यालयों में 12 घंटे का राज्यव्यापी उपवास होगा.
शुक्रवार की देर रात तक उपवास स्थल पर गद्दा, पंखा समेत लाइट की पूरी व्यवस्था कर दी गयी. दिल्ली से पटना पहुंचने के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने उपवास स्थल पर तैयारियों का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि उपवास कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गयी है. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पार्टी मुख्यालय में 24 घंटे का उपवास शनिवार की सुबह 10 शुरू होगा और रविवार की सुबह 10 बजे यह समाप्त होगा.
जिला मुख्यालयों व प्रखंड मुख्यालयों में सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक यह उपवास चलेगा. विधायक-विधान पार्षद जो जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां के जिला व प्रखंड में उपवास का प्रतिनिधित्व करेंगे. पटना के जदयू मुख्यालय समेत कारगिल चौक भी जदयू जिला व महानगर के नेता-कार्यकर्ता उपवास पर बैठेंगे. उन्होंने कहा कि उपवास के जरिये भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध करना है. अपनी आवाज बुलंद करनी है और देश के जनमानस को जागरूक व जागृत करना है. उपवास का मकसद है कि केंद्र सरकार सजग हो और अपना निर्णय बदले. अगर बिल का निर्णय बदलता है यह जनतांत्रिक जीत होगी. इस विधेयक का विपक्ष के साथ-साथ केंद्र सरकार में शामिल दलों ने भी विरोध किया है. यह एक ऐसा सवाल है, जिससे पार्टियों के बैरियर को तोड़ा है. यह विधेयक कॉरपोरेट घरानों को खुश करने के लिए है. इससे किसानों की खेती वाली जमीन भी जबरन ले ली जायेगी.
हॉल में 30 और परिसर में 100 आदमी के बैठने की व्यवस्था
जदयू मुख्यालय स्थित हॉल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, सांसद, विधायक, विधान पार्षद समेत 30 लोग ही उपवास पर बैठेंगे. हॉल में गद्दा, तकिया की व्यवस्था की गयी है. हॉल के बाहर कार्यालय परिसर व परिसर के बाहर भी टेंट लगाया गया है. परिसर में तोशक बिछायी गयी है. यहां 28 पंखे और लाइटिंग की पूरी व्यवस्था की गयी है. वहीं, परिसर के बाहर 300 लोगों के बैठने के लिए कुरसियों की व्यवस्था की जा रही है. उपवास के दौरान कोई भी नेता अन्न ग्रहण नहीं करेंगे. उन्हें सिर्फ नींबू पानी दिया जायेगा. जदयू का चिकित्सा प्रकोष्ठ डॉक्टरों की टीम के साथ मौजूद रहेगा. वहीं सांस्कृतिक प्रकोष्ठ निगरुण भजन गाता रहेगा.
मैंने रद्द नहीं किया था भोज पर नरेंद्र मोदी का निमंत्रण : नीतीश
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भोज पर नरेंद्र मोदी के निमंत्रण को मैंने रद्द नहीं किया था. भाजपा ने ही निमंत्रण को रद्द करने का सुझाव दिया था. वह शुक्रवार को विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. जदयू-भाजपा गंठबंधन टूटने के लिए भाजपा को ही जिम्मेवार ठहराते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि गंठबंधन को लेकर अगले दिन की बैठक में वे लोग आते और वे जो कहते, वही होता.
यदि वे कहते, तो एसेंबली भंग कर हमलोग चुनाव में जाते. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेता ने गंठबंधन के मुद्दे पर कहा था कि आप अपना निर्णय ले लिजिए. उन्होंने कहा कि भाजपा 2010 के पूर्व की घटना का उल्लेख कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती हैं. यह उनकी मानसिकता को बताता है.
सदन के विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के आरोपों का एक-एक कर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 2010 के चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने ही अपनी अलग लाइन ली. जीत एनडीए की थी, पर उन्होंने गांधी मैदान में भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देने के लिए रैली आयोजित की. जबकि उन्हें एनडीए की सभा आयोजित करनी चाहिए थी, क्यों जीत गंठबंधन की थी.
नरेंद्र मोदी से नहीं मिलने संबंधी भाजपा के आरोप पर उन्होंने कहा कि पीएम से मिलने में मुङो परहेज क्यों? बिहार के विकास के लिए जहां जाना होगा, जरूर जाऊंगा. क्या नरेंद्र मोदी बीजेपी के पीएम हैं?
कुमार ने कहा कि भाजपा पीएम का दुरुपयोग कर रही है. बिहार के मुद्दे पर विभाजन नहीं होना चाहिए, बल्कि एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए. 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों से बिहार को अधिक लाभ होने के सुशील मोदी के दावे पर उन्होंने कहा कि बिहार को पूर्व से मिल रहे बजट प्रावधान में 1.3 प्रतिशत का घाटा हो रहा है. 14 वें वित्त आयोग की रिपोर्ट पर विस्तार से ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार को राज्य पुनर्गठन को लेकर 12 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिला है. इसके लिए मैंने केंद्र को धन्यवाद दिया है.
कश्मीर पर भाजपा को घेरते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों की हत्या कर दी है. पहले कहते थे कि एक झंडा, एक विधान और एक निशान- जहां मुखर्जी हुए कुरबान. अब सत्ता के लिए तो दो झंडे, दो निशान और बाप-बेटी की पार्टी के साङोदार बन गये हैं.
आप भी तो हैं पुराना चेहरा
मुख्यमंत्री ने सुशील कुमार मोदी के भाषण पर चुटकी लेते हुए कहा कि मोदी कहते हैं कि बिहार को अब नया चेहरा चाहिए, तो मेरे साथ ही आप भी तो पुराना चेहरा हैं. आप भी रिजेक्ट कर दिये जायेंगे. कहते थे कि जदयू के 40-50 विधायक संपर्क में हैं. मांझी को समर्थन की जुगाड़ करने की बात करते थे. महाराष्ट्र में शिवसेना के समर्थन से सरकार बनाने के बाद अब इस पुराने सहयोगी से संबंध खराब कर लिया. झारखंड में जेवीएम को तोड़ा, क्योंकि आजसू पर भरोसा नहीं है.
मुख्यमंत्री बदलने पर भाजपा के विरोध पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में उमा भारती को हटाने को क्या कहा जा सकता है कि लोध के साथ धोखा हुआ या बाबू लाल गौर को हटाने को कहा जा सकता है कि यादव को अपमानित किया गया. मुख्यमंत्री का चयन पार्टी का अंदरूनी मामला होता है. यह पद किसी जाति का नहीं होता है. मांझी पर भाजपा के बयानों की तिथिवार चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा में भी कई गुट हैं. एक प्रेम कुमार का गुट, एक नंदकिशोर यादव का गुट और एक आर्य का गुट है. जदयू प्रवक्ता द्वारा अपशब्द कहलाने के आरोप पर उन्होंने कहा कि आपके प्रवक्ता क्या-क्या नहीं बोलते, हम नहीं बोल सकते हैं. ऐसे में क्या जदयू कुछ नहीं बोले? उन्होंने कहा कि कौन प्रवक्ता क्या बोलता है, मैं नहीं जानता. यदि जदयू के प्रवक्ता को वे भोपूं कहते हैं तो आपके प्रवक्ता क्या हैं?
इधर सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जून, 2010 में नरेंद्र मोदी के पटना आगमन के समय भाजपा नेताओं के लिए भोज रद्द कर देने मामले में सरासर झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने यह शर्त रखी थी कि भोज में नरेंद्र मोदी को वह स्वीकार नहीं करेंगे. उनको छोड़ बाकी लोग निमंत्रण पर आ सकते हैं. इस पर लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि ऐसा संभव नहीं होगा. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं और हमारी कार्यसमिति की बैठक में वह शामिल होने आये हैं.
हम उनको छोड़ कर भोज में नहीं जायेंगे. भाजपा की ओर से मैं ही बात कर रहा था. उस दिन मुङो याद है कि दोपहर करीब पौने तीन बजे तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही. नीतीश कुमार ने कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी आयेंगे, तो भोज कैंसिल हो जायेगा. इधर, नरेंद्र मोदी ने पार्टी के भीतर कहा भी कि मैं नहीं जाऊंगा, आप लोग जाएं. लेकिन, आडवाणी जी ने कहा कि ऐसा नहीं होगा. हममें से कोई नहीं जायेगा और उन्हें सूचित कर दिया गया. इसके बाद नीतीश कुमार को लगा कि गंठबंधन टूट जायेगा और सरकार चली जायेगी. इसलिए सरकार बचाने के लिए गंठबंधन बचाने की जुगाड़ में लगे रहे. यही कारण था कि 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 102 सीटें दी गयीं.

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