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नीतीश को जदयू विधानमंडल दल के नेता की मान्यता पर हाईकोर्ट की रोक

पटना : पटना हाइकोर्ट ने बिहार विधानसभा सचिवालय के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता दी गयी है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और विकास जैन के खंडपीठ ने मांझी खेमे के विधायक राजेश्वर राज की जनहित याचिका […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने बिहार विधानसभा सचिवालय के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता दी गयी है.
मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और विकास जैन के खंडपीठ ने मांझी खेमे के विधायक राजेश्वर राज की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को यह रोक लगायी.
इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी. खंडपीठ ने कहा कि जब तक राज्यपाल का इस संबंध में कोई निर्णय सामने नहीं आ जाता, तब तक सात फरवरी, 2015 को विधानसभा के कार्यकारी सचिव के दस्तखत से जारी पत्र पर अंतरिम रोक लगायी जाती है.
सुनवाई के दौरान जब विधानसभा के वकील वाइवी गिरि ने कहा कि यह मामला जनहित याचिका के लायक नहीं है, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो कानूनी पक्ष है, उसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकते. विधानसभा के सचिव हरेराम मुखिया ने सात फरवरी को अधिसूचना जारी की थी, जिसमें नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता दी गयी थी. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि नीतीश कुमार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के निर्देश पर बुलायी विधायक दल की बैठक में जीतन राम मांझी की जगह नया नेता चुन लिया गया है.
काराकाट के विधायक राजेश्वर राज ने जनहित याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के इस फैसले को चुनौती दी थी. इसमें राज्य सरकार, विधानसभा, जदयू अध्यक्ष शरद यादव और नीतीश कुमार को पार्टी बनाया गया है. राज्य सरकार की ओर से प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर और याचिकाकर्ता की ओर से शशिभूषण कुमार मंगलम ने अपना पक्ष रखा.
दिन भर रही भ्रम की स्थिति
हाइकोर्ट के इस आदेश को लेकर बुधवार को दिन भर भ्रम की स्थिति बनी रही. न्यूज चैनलों पर यह खबर प्रसारित होने लगी कि शरद यादव के निर्देश पर जदयू विधायक दल की बैठक बुलाये जाने को कोर्ट ने अवैध करार दिया है. मीडिया पर चल रही खबरों को देख खुद याचिकाकर्ता राजेश्वर राज सामने आये और उन्होंने भी कोर्ट के आदेश के बारे में सफाई दी. साथ ही जदयू की ओर से पूर्व मंत्री पीके शाही ने पक्ष रखा.
नीतीश के नेता चुने जाने पर कोर्ट ने नहीं की टिप्पणी : शाही
पटना. पटना हाइकोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मंत्री व कानून के जानकार पीके शाही ने कहा कि कोर्ट ने नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल का नेता चुने जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही जदयू के विधानमंडल दल की बैठक पर ही कुछ कहा है.
कोर्ट ने सिर्फ इतना कहा है कि बिहार विधानसभा ने नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में जो मान्यता दी है, उसका लीगल कांसिक्वेंश नहीं लिया जायेगा. इस पर निर्णय राज्यपाल को लेना है. हाइकोर्ट ने स्टे नहीं किया है.
जदयू कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू नेता पीके शाही ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा हाइकोर्ट के निर्णय को गलत तरीके से भी पेश किया जा रहा है.
कहा जा रहा है कि हाइकोर्ट ने जदयू विधानमंडल दल की बैठक, इस बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुने जाने और विधानसभा सचिवालय के फैसले पर स्टे लगा दिया है. इस तरह की बातें कह कर भ्रम फैलायी जा रही है. हाइकोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को अब निर्णय लेना है और वे फैसला ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि जदयू विधानमंडल की बैठक वैध थी और नीतीश कुमार को नेता चुना जाना भी सही था.
असंवैधानिक कामों पर कोर्ट ने लगायी रोक : राजेश्वर
याचिकाकर्ता और जदयू से निलंबित विधायक राजेश्वर राज ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले से बिहार को राहत मिली है. पिछले दिनों लगातार जो असंसदीय और असंवैधानिक कोशिश की जा रही थी, एक महादलित मुख्यमंत्री को जिस प्रकार बेइज्जत कर हटाने की कोशिश की जा रही थी, हाइकोर्ट ने उस पर अंकुश
लगाया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अब हम लोग राज्यपाल के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. शुरू से हम असंवैधानिक काम के खिलाफ रहे हैं. बिहार की राजनीति में जो संवैधानिक संकट पैदा की जा रही थी, उस पर अब रोक लगी है. साथ ही अब लोगों में न्याय के प्रति आस्था बढ़ी है. अब इस मामले को राष्ट्रपति और राज्यपाल देखेंगे. इस मौके पर जदयू से निलंबित विधायक राजीव रंजन, जदयू से निष्कासित राहुल शर्मा, सुरेश चंचल भी मौजूद थे.
विधानसभा में अनअटैच मेंबर हैं मांझी : स्पीकर
विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बिहार विधानसभा में अनअटैच मेंबर के रूप में हैं. आज की तारीख में वह विधानसभा में जदयू के सदस्य नहीं हैं.
अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने ने कहा कि विधानसभा सचिवालय के पास अलग तरह की समस्या है. जीतन राम मांझी को पहले जदयू के अध्यक्ष के पत्र के आधार पर जदयू विधानमंडल दल का नेता बनाया गया था. उसके बाद फिर से जदयू के अध्यक्ष का पत्र आया कि जीतन राम मांझी के स्थान पर नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल का नया नेता चुना गया है.
साथ ही जीतन राम मांझी को पार्टी से निष्कासन होने की सूचना भी दी गयी. जीतन राम मांझी के बारे में कहा गया कि उन्हें बहुमत नहीं है और जदयू समेत समर्थित दलों का समर्थन नीतीश कुमार के साथ है. इसी आधार पर विधानसभा सचिवालय ने अपना काम किया था. अब विधानसभा के फ्लोर पर बहुमत टेस्ट होना है.
इससे पहले उन्होंने कहा कि विधानसभा कार्य संचालन नियमावली और संविधान के अनुसार चलती है. विधानसभा ने जो निर्णय लिया था, वह सही है और नियमानुकूल है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार लिया गया फैसला था. उन्होंने कहा कि जदयू के विधानमंडल दल के नेता और विधानसभा दल के नेता अलग-अलग हैं. नीतीश कुमार को विधानसभा का नेता नहीं बनाया गया है.
विजय कुमार चौधरी विधानसभा में जदयू के नेता हैं. पिछले दिनों गवर्नर से हुई मुलाकात पर स्पीकर ने कहा कि कुछ बातें जैसी मीडिया में आयीं, वैसी नहीं हैं. वह बैठक औपचारिक थी. गवर्नर यूपी के स्पीकर रह चुके हैं और उन्हें कानून की पूरी जानकारी है. वह उचित फैसला लेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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