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मोदी जी, मैं मैरेज ब्यूरो तो चलाता नहीं : नीतीश

पटना : सुशील जी, मैं कोई मैरेज ब्यूरो तो नहीं चलाता हूं. यह जवाब हैं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को उनके संजय सिंह नाम के अधिकारी को लेकर पूछे गये सवाल पर जवाब दिया है. मोदी ने नीतीश कुमार से पूछा था कि अधिकारी संजय सिंह की शादी […]

पटना : सुशील जी, मैं कोई मैरेज ब्यूरो तो नहीं चलाता हूं. यह जवाब हैं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को उनके संजय सिंह नाम के अधिकारी को लेकर पूछे गये सवाल पर जवाब दिया है.
मोदी ने नीतीश कुमार से पूछा था कि अधिकारी संजय सिंह की शादी उनके करीबी राज्यसभा सदस्य के रिश्तेदार से हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री को राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने उनके सभी सवालों के जवाब उपलब्ध कराया है. इसी आधार पर उन्होंने भाजपा नेता सुशील मोदी के सवालों का भी करारा जवाब दिया. सवाल-जवाब की यह पूरी कहानी पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पर पोस्ट किया है.
सुशील मोदी को दिये जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएमसीएच दवा खरीद मामले में निगरानी ब्यूरो अपना काम कर रहा है. किसी भी अधिकारी को बचाया नहीं गया है. उन्होंने संजय कुमार को लेकर भी सभी सवालों के बिंदुवार जवाब दिये हैं. मुख्य सचिव ने पूर्व मुख्यमंत्री को भेजे जवाब में बताया है कि दवा खरीद की निविदा में राज्य स्वास्थ्य समिति और बिहार चिकित्सा सेवा आधारभूत संरचना निगम को स्वास्थ्य मंत्री के अनुमति की आवश्यकता नहीं थी.
कभी भी इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री का अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया. राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से दवा और उपकरण खरीद मामले में पहली निविदा 30 अक्तूबर,2010 को, दूसरी निविदा 21 सितंबर, 2011 को और तीसरी निविदा दो अप्रैल,2013 को निकाली गयी. जबकि निगम द्वारा दवा और उपकरण खरीद की पहली निविदा जनवरी,2012 में निकाली गयी. इसे बाद में रद्द कर दिया गया था.
दोबारा फरवरी, 2013 में दवा खरीद की निविदा जारी की गयी. उपकरण खरीद के लिए मई 2012 से समय-समय पर निविदा एमडी की ओर से जारी किये जाते रहे. मुख्य सचिव ने क्रय समिति और तकनीकी कोर कमेटी के गठन संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति में दवा व उपकरण खरीद के लिए तकनीकी कोर कमेटी का गठन अंतिम बार सात जुलाई, 2010 को प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग की अनुमति से किया गया.
न्यूनतम दर घोषित करने हेतु अधिकृत परियोजना आकलन कमेटी का अंतिम बार गठन 11 अक्तूबर, 2008 को किया गया. इसके लिए तत्कालीन विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित शासी निकाय का अनुमोदन प्राप्त था. इस मामले में भी स्वास्थ्य मंत्री की कोई भूमिका नहीं थी. उनका अनुमोदन नहीं लिया गया था.
ऐसे खरीदीं गयी दवाएं : तकनीकी कमेटी ने दवा और उपकरण के क्रय के संबंध में प्राप्त निविदा का मूल्यांकन कर तकनीकी रूप से योग्य एवं अयोग्य निविदाओं की अनुशंसा की गयी. निगम के एमडी की सहमति के बाद योग्य निविदा दाताओं की निविदा खोली गयी. न्यूनतम दर वाले निविदा को एमडी ने मंजूरी दी. दवा क्रय से संबंधित पूरी प्रक्रिया बीएमएसआइसीएल के स्तर से की जाती है, इसमें स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका नहीं होती.
दवा व उपकरण क्रय से संबंधित इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और विभाग के मंत्री के स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया.
सात महीने नीतीश कुमार के आप्त सचिव रहे थे संजय सिंह : जहां तक संजय कुमार के बारे में जानकारी की बात है तो वह 20 जनवरी, 2006 से 28 अगस्त, 2008 तक पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आप्त सचिव के रूप में पदस्थापित थे. दूसरी बार उनकी प्रतिनियुक्ति 12 जनवरी, 2011 को हुई.
संयुक्त सचिव संजय कुमार को लेकर मोदी के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग ने कभी भी उन्हें तकनीकी इवैल्यूशन कमेटी का अध्यक्ष या सदस्य नहीं बनाया था. उन्हें बीएमएसआइसीएल के एमडी की ओर से तकनीकी समिति के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया था. जांच के क्रम में यह बात सामने आयी कि तकनीकी मूल्यांकन समिति की कार्यवाही में संजय कुमार को अध्यक्ष के रूप में दिखाया गया है.

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