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छुआछुत का हुआ शिकार, पूजा के बाद मूर्तियां धुलवायी गयी : मांझी

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने देश में जाति व्यवस्था की निंदा करते हुए स्वयं के महादलित के प्रति समाज में बरती जा रही अस्पृश्यता और पूर्वाग्रह का शिकार होने की बात करते हुए आज दावा किया कि कुछ महीनों पूर्व जब वे मधुबनी जिला में एक मंदिर में गए थे तो […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने देश में जाति व्यवस्था की निंदा करते हुए स्वयं के महादलित के प्रति समाज में बरती जा रही अस्पृश्यता और पूर्वाग्रह का शिकार होने की बात करते हुए आज दावा किया कि कुछ महीनों पूर्व जब वे मधुबनी जिला में एक मंदिर में गए थे तो उनके वहां से पूजा कर लौटने के बाद वहां रखी मूर्तियों को धुलवाया गया था.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की जयंती के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए मांझी ने जातिवाद की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘बिहार विधानसभा उपचुनाव के सिलसिले में मैं मधुबनी गया था. बडे शौक से लोग मुझे एक मंदिर में ले गए. यह बात हमको पता नहीं था पर बाद में राम लषण राम रमण जी (जदयू नेता और बिहार में खनिज मंत्री) ने बताया कि आपके जाने के बाद मूर्ति को धुलवाया गया’.

उन्होंने कहा, ‘‘जरा सोचिए कहां हैं हम. जब लोग काम के लिए हमारे पास आते हैं तो पैर छूकर प्रणाम करते हैं. शिडुल कास्ट (अनुसूचित जाति: के लोग पैर छूकर मुझे प्रणाम नहीं करते लेकिन जो काम लेने वाले हैं वह सबसे पहले सष्टांग करने लग जाते हैं लेकिन उसके दिल में क्या बसा है उसका अंदाजा मुझे उसी घटना से लगा’’.

मांझी ने कहा कि ऐसा (मूर्ति और मंदिर को धोते) उन्होंने स्वयं नहीं देखा है, ऐसा रमण जी ने उन्हें बताया. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘व्यवस्था में कुछ लोग (प्रशासनिक अधिकारी) हमलोगों (दलित) के प्रति जिस तरह की सोच रखते हैं, उसके हमलोग एक घायल सिपाही हैं.’’ प्रशासनिक अधिकारी की अनुसूचित जाति वर्ग के प्रति सोच के बारे में मेडिकल में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के नामांकन का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के 69 छात्रों का नामांकन नहीं हो रहा था पर उच्च न्यायालय के एक आदेश, जिसमें हर हालत में उन सीटों को भरने का निर्देश दिया गया था, के आधार पर इन छात्रों के नामांकन का उनके निर्देश पर पदाधिकारियों ने कहा कि यह लिख दो कि जीतन राम मांझी चाहते हैं कि इन सभी छात्रों का नामांकन हो.

मांझी ने कहा, ‘‘इस मामले में मैंने जोखिम उठाया है और इससे बहुत लोग खुश नहीं होंगे और कहते होंगे कि इसने ऐसा कर दिया इसलिए इसको चलो मारे मारे लंगडी.’’ अपने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में मांझी ने कहा, ‘‘हम मानकर यह चल रहे हैं हमारी आयु दस महीने की है. लडाने के लिए कोई भले आकर कहता है कि अगला मुख्यमंत्री तो आप ही होंगे पर ऐसे लोगों से हम कहते हैं कि क्या हम कभी मुख्यमंत्री के रुप में अपेक्षित थे. हम सोचते थे कि जीतन राम मांझी मुसहर-भूइंया को कौन मुख्यमंत्री बनाएगा.’’ मांझी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने एक उदाहरण पेश किया और ‘‘हमारे जैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया.’’

Prabhat Khabar Digital Desk
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