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पटना : आखिर पब्लिक पुलिस का भरोसा करे भी तो कैसे

पुलिस ने पहले हत्यारोपित मान कर उत्पीड़न किया, फिर बोली तथ्यों की थी भूल पटना : जिला खगड़िया के चित्रगुप्त नगर थाना क्षेत्र में इनो साह की पत्नी सरिता देवी की मौत होने के बाद पुलिस ने 20 जुलाई 17 को दहेज हत्या का (कांड संख्या 492/17) केस दर्ज किया. पुलिस ने जांच में इनो […]

पुलिस ने पहले हत्यारोपित मान कर उत्पीड़न किया, फिर बोली तथ्यों की थी भूल
पटना : जिला खगड़िया के चित्रगुप्त नगर थाना क्षेत्र में इनो साह की पत्नी सरिता देवी की मौत होने के बाद पुलिस ने 20 जुलाई 17 को दहेज हत्या का (कांड संख्या 492/17) केस दर्ज किया. पुलिस ने जांच में इनो साह के चाचा अरविंद साह सहित पूरे परिवार को हत्यारोपित बना दिया.
खुद को बेगुनाह साबित करने में अरविंद को एक साल लग गये. इस दौरान उसका पारिवारिक व सामाजिक जीवन प्रभावित हो गया. एसपी इस मामले को गलत अनुसंधान की जगह ‘तथ्य की भूल’ मान कर थाना पुलिस को बख्श देते हैं. ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जो पब्लिक को पुलिस से फ्रेंडली नहीं होने दे रहे हैं.
पुलिस के आला अधिकारी हर मंच से कह रहे हैं कि थाना पुलिस लोगों में भरोसा पैदा करे. जनता से फ्रेंडली होने की खूब अपील की जा रही है. पब्लिक पुलिस का भरोसा करे भी तो कैसे.
एसपी लखीसराय ने भेज दी झूठी रिपोर्ट, आयोग ने पूछा कारण : बिहार मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया है कि एसपी लखीसराय से पूछा जाये कि किस कारण से गलत तथ्यों के आधार पर उन्होंने आयोग में रिपोर्ट दी. लखीसराय के कवैया थाना क्षेत्र निवासी सन्नी चावला और नवीन कुमार मानवाधिकार आयोग में गुहार नहीं लगाते, तो पुलिस की
कारगुजारी उजागर ही नहीं होती. दोनों के खिलाफ एससीएसटी थाने में दलित उत्पीड़न के तहत केस (12/17 ) केस दर्ज हुआ. अनुसंधान में घटना झूठी पायी गयी. पुलिस ने दोनों पर कवैया थाने में भी केस दर्ज किया. इस मामले में कोर्ट ने दोबारा जांच के आदेश दिये. पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ दोनों ने बिहार मानवाधिकार आयोग में शिकायत की. दोनों के मामले में एसडीपीओ लखीसराय और डीएसपी मुख्यालय ने दोनों अन्य मामलों का अभियुक्त बताते हुए रिपोर्ट भेज दी. वास्तविकता यह थी कि पुलिस जिस केस का जिक्र कर रही थी, उसमें सन्नी और नवीन न तो प्राथमिक अभियुक्त थे, न आरोपपत्र में उनको अभियुक्त बनाया गया था.
दिल्ली से खरीदी कार को चोरी की मानी
सुपाैल निवासी आकाश ने दिल्ली से एक कार खरीदी थी. चेकिंग के दौरान पिपरा थाना पुलिस ने उनकी गाड़ी को चेक किया. आकाश दस्तावेज नहीं दिखा सके, तो पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया. कार को चोरी की बता कर केस भी दर्ज कर लिया. मामले की जांच हुई, तो सहायक अवर निरीक्षक उत्पीड़न के दोषी पाये गये. एसपी ने इस मामले में कार्रवाई की है.
क्या कहते हैं अधिकारी
झूठे मामले में फंसाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. सरकार और पुलिस मुख्यालय का सख्त आदेश है कि पुलिस मानवाधिकार का पालन करे.
जितेंद्र कुमार, एडीजी मुख्यालय

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