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सीएम की घोषणा : मिथिलांचल सहित 17 जिलों में की जायेगी मगही पान की खेती

प्रति इकाई 75% मिलेगा अनुदान कृषि विभाग ने मगही पान की खेती की विकास योजना की दी जानकारी पटना : मगही पान की खेती अब मगध इलाके से बाहर मिथिलांचल के जिलों में भी हो सकेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के बाद कृषि विभाग ने मगही पान की खेती के विकास की कार्ययोजना तैयार […]

प्रति इकाई 75% मिलेगा अनुदान
कृषि विभाग ने मगही पान की खेती की विकास योजना की दी जानकारी
पटना : मगही पान की खेती अब मगध इलाके से बाहर मिथिलांचल के जिलों में भी हो सकेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के बाद कृषि विभाग ने मगही पान की खेती के विकास की कार्ययोजना तैयार की है.
गुरुवार को कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि पहले से चल रहे नवादा, नालंदा, गया व मधुबनी जिलों के अलावा अन्य 13 जिलों मसलन वैशाली, खगड़िया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, शेखपुरा, बेगूसराय, सारण, सीवान व मुंगेर में पान शेटनेट की योजना चलायी जायेगी. इन जिलों में कुल 100 पान शेडनेट इकाई योजनाओं को विकसित किया जायेगा. प्रति इकाई 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में पान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इस हिसाब से राज्य के 15 जिलों में 50 हजार वर्ग मीटर में मगही पान की खेती होगी.
प्रति इकाई सवा चार लाख का अनुदान : पान की खेती में प्रति इकाई (500 वर्ग मीटर) शेडनेट में इकाई लागत 4.25 लाख पर 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में कृषकों की आकर सक योजना के तहत तैयार शेडनेट में पान की खेती वैज्ञानिक तरीके से करायी जायेगी.
दो वित्तीय वर्षों में कुल 339.66 लाख व्यय होंगे, जिनमें वित्तीय वर्ष 2019-20 में 286.46 लाख, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 53.2 लाख खर्च होंगे. भागलपुर के सबौर स्थित कृषि विवि के अधीन पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर में एक प्रत्यक्षण कार्यक्रम व एक पान ऑयल डिस्टीलेशन इकाई की स्थापना भी कार्ययोजना में शामिल है.
शेडनेट में होगी मिश्रित खेती
कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से शेडनेट में पान की खेती का प्रत्यक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है. इस योजना में संरक्षित कृषि के तहत शेडनेट के स्थायी संरचना का निर्माण, शेडनेट में ड्रिप व फॉगर से पटवन की व्यवस्था करनी है.
इससे पान की गुणवत्तायुक्त पत्तियों के उत्पादन में वृद्धि होगी तथा पान में लगने वाली कीट-व्याधि के प्रकोप से बचाव भी होगा. शेडनेट के भीतर परवल, पोई, पपीता, अरवी, मिर्च, लौकी, ककड़ी, पालक, अदरक इत्यादि की सफलतापूर्वक मिश्रित खेती से किसानों की अतिरिक्त आमदनी का लाभ होगा. गौरतलब है कि उत्तर बिहार में पान की बंगाल किस्म तथा दक्षिण बिहार में बंगाल और मगही किस्म की खेती की जाती है. मगही पान अन्य देशों को निर्यात भी किया जाता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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