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सफाई व्यवस्था ठप, शहर की सड़कों पर जमा हो गया 1200 टन कचरा, नहीं माने सफाईकर्मी, आज भी जारी रहेगी हड़ताल

सफाईकर्मियों ने काम-काज रखा बंद, दुर्गंध से सड़कों पर आना-जाना मुहाल पटना : पटना नगर निगम में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की हड़ताल के कारण दूसरे दिन भी शहर की सफाई व्यवस्था ठप रही. मंगलवार को कर्मियों ने काम-काज बंद रखा. लगभग 48 घंटे की हड़ताल से शहर में 1200 टन से अधिक कचरा सड़कों […]

सफाईकर्मियों ने काम-काज रखा बंद, दुर्गंध से सड़कों पर आना-जाना मुहाल
पटना : पटना नगर निगम में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की हड़ताल के कारण दूसरे दिन भी शहर की सफाई व्यवस्था ठप रही. मंगलवार को कर्मियों ने काम-काज बंद रखा.
लगभग 48 घंटे की हड़ताल से शहर में 1200 टन से अधिक कचरा सड़कों पर जमा रहा. डोर-टू-डोर कचरा कलेक्ट करनेवाली गाड़ी भी कई इलाके में नहीं पहुंची. बोरिंग रोड चौराहा, आइजीआइएमएस के समीप, सचिवालय के समीप, लोहानीपुर, किदवइपुरी, बोरिंग केनाल रोड और कई मुहल्लों में सड़क पर कचरा पड़ा था. घरों, होटलों, रेस्तरां से निकलने वाले कचरे से दुर्गंध निकलने लगी है, जिससे लोग परेशान हैं.
हालांकि वीआइपी इलाके में गंदगी नहीं देखी जा रही है, लेकिन अन्य सभी जगहों पर जहां-तहां गंदगी देखी गयी. शहर में रोजाना लगभग छह सौ टन कचरा निकलता है. कचरे में घरों के अलावा होटलों, रेस्तरां आदि का कचरा होता है. घरों का कचरा कलेक्ट किया जाता है. होटलों, रेस्तरां आदि से निकलने वाले कचरे के लिए निर्धारित स्थल हैं. इनसे निकलने वाले कचरे से बदबू आनी शुरू हो जाती है.
नहीं माने सफाईकर्मी, आज भी जारी रहेगी हड़ताल
पटना : नौकरी से हटाये जाने के आदेश से गुस्साये राज्य के करीब दस हजार सफाई कर्मियों ने नगर विकास विभाग के काम पर लौटने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. बुधवार को भी सफाई कर्मियों की हड़ताल जारी रहेगी. हालांकि, नगर विकास विभाग ने कहा कि 31 मार्च के बाद भी सफाई कर्मी काम करते रहेंगे. जो भी आउट सोर्सिंग कंपनियां आयेंगी, उन्हें सभी शर्तों का पालन करना होगा. देर शाम विभाग के आये इस प्रस्ताव को सफाई कर्मियों के नेताओं ने नकार दिया.
इसके पहले सफाई कर्मियों के बवाल को खत्म कराने और उनके काम पर लौटने का मान मनौव्वल चलता रहा. लेकिन, विभाग की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं. नगर विकास व आवास विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा की ओर से 31 मार्च के बाद भी दैनिक वेतन कर्मी नहीं हटाये जाने और मार्च के बाद आउट सोर्सिंग कंपनी में उन कर्मियों को प्राथमिकता से रखे जाने के आदेश के प्रस्ताव को भी सफाई यूनियन नेताओं ने ठुकरा दिया. पटना नगर निगम स्टाॅफ यूनियन इंटक के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने कहा कि बुधवार के निगम बोर्ड की बैठक के फैसले के अनुसार ही कोई निर्णय लिया जायेगा. सरकार को दस वर्ष से लगातार काम करने वाले दैनिक कर्मियों को स्थायी तौर पर रखना ही होगा. उन्होंने जून 2018 के पहले तक कर्मियों को स्थायी करने की मांग की. वहीं, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी महासंघ के नंद किशोर दास और कामगार यूनियन के महासचिव राम यत्न प्रसाद ने कहा कि जब तक 31 जनवरी के आदेश को वापस नहीं लिया जाता और आउट सोर्सिंग कंपनी रखे जाने की शर्त खत्म नहीं कर दी जाती, हड़ताल जारी रहेगी.
उप सचिव ने जारी किया आदेश : मंत्री की बैठक के बाद उप सचिव कुमार देवेंद्र प्रौज्जवल सभी निकायों के नगर आयुक्त व कार्यपालक पदाधिकारियों के निर्देश पत्र जारी कर दिया. निर्देश में आउट सोर्सिंग कंपनी के लिए तीन शर्त रखी गयी है. केवल शारीरिक रूप से अक्षम और बगैर इच्छुक नहीं रहने वाले कर्मियों को ही आउटसोर्सिंग कंपनी नहीं रखेगी.
देर शाम बैठक कर मंत्री ने दिये आदेश
मंगलवार को देर शाम नगर विकास आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने विभाग के सचिव सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर कई निर्देश दिये. उन्होंने बताया कि 31 मार्च के बाद भी दैनिक वेतन पर काम करने वाले ग्रुप डी के कर्मियों को नहीं हटाया जायेगा. आउट सोर्सिंग कंपनी को प्राथमिकता के आधार पर उन्हें रखना होगा. भविष्य निधि योजना एवं कर्मचारी राज्य बीमा का लाभ भी देना होगा. इसके अलावा उन्हें श्रम संसाधन विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम पारिश्रमिक से कम भुगतान नहीं किया जायेगा. मंत्री ने दैनिक वेतन कर्मियों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की.
पैसे के खेल में हो रहा विरोध
आउट सोर्सिंग कंपनी के माध्यम से ग्रुप डी खास कर सफाई कर्मियों को रखने जाने पर निकायों के यूनियन विरोध कर रही है. इसके पीछे उनका तर्क है कि जब प्राइवेट कंपनी सफाई मजदूरों को काम पर रखेगी तो निगम की तुलना में कम पैसा देगी.
पूर्व उप महापौर विनय कुमार पप्पू बताते हैं कि वर्तमान में पटना नगर निगम में दोनों तरफ की व्यवस्था है. जिन कर्मियों को निगम ने सीधे रखा है, उनको प्रति माह 9152 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि निगम आउट सोर्सिंग करने वाली कंपनी को एक मजदूर के लिए 18 हजार रुपये प्रति माह भुगतान करता है. वहीं आउट सोर्सिंग कंपनी अपने एक मजदूर को मात्र 7600 रुपये प्रति माह भुगतान कर रही है.

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