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पहले सीएम के बने सलाहकार फिर राज्यसभा गये पवन वर्मा, जानें प्रशांत किशोर व पवन वर्मा के विवाद की पूरी कहानी

पटना : भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे पवन वर्मा को जदयू और सरकार ने खूब तवज्जो दी थी. भाजपा से अलग होने के बाद जदयू ने कठिन समय में पवन वर्मा को अपने कोटे से राज्यसभा का सदस्य बनवाया था. वे 23 जून, 2014 से सात जुलाई, 2016 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे. इसके […]

पटना : भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे पवन वर्मा को जदयू और सरकार ने खूब तवज्जो दी थी. भाजपा से अलग होने के बाद जदयू ने कठिन समय में पवन वर्मा को अपने कोटे से राज्यसभा का सदस्य बनवाया था.
वे 23 जून, 2014 से सात जुलाई, 2016 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे. इसके बाद 14 नवंबर 2016 को उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव सह राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. इससे पहले वे 2013 में मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार बनाये गये थे. उन्हें मंत्री का दर्जा सहित अन्य सुविधाएं मिली हुई थीं.
स्लोगन से चर्चित हुए थे प्रशांत किशोर : 2014 के लोस चुनाव के दौरान मोदी के लिए प्रचार की आंतरिक कमान संभालने वाले प्रशांत किशोर जदयू के चुनावी रणनीतिकार के रूप में 2014 में जुड़े. बिहार के बक्सर जिले के मूल निवासी प्रशांत किशोर ने 2015 के बिहार विस चुनाव की रणनीति में अहम योगदान दिया.
इस चुनाव में बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है उनका स्लोगन चर्चा में रहा था. चुनाव में जदयू को 100 में 71 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके बाद 16 सितंबर, 2018 को सीएम नीतीश ने पार्टी कार्यसमिति की बैठक में प्रशांत किशोर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलायी थी.
विवाद की यह है पूरी कहानी
प्रशांत किशोर व पवन वर्मा पिछले करीब दो महीने से सीएए व एनपीआर पर पार्टी लाइन के खिलाफ बोल रहे थे. साथ ही उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित एनडीए गठबंधन के नेताओं पर हमलावर थे.
इससे पार्टी में भी इनके खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा था. पिछले साल मुजफ्फरपुपर में विवि की एक सभा में प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह पीएम व सीएम बनाते हैं. पार्टी के अंदर उनके इस बयान को अहंकारी माना गया. जब प्रशांत किशोर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, और उन्होंने अपने को दल के भीतर मुख्यमंत्री के बाद नंबर 2 की हैसियत जताने की कोशिश की.
पवन वर्मा ने पत्र किया था सार्वजनिक
दिल्ली विस चुनाव में भाजपा के साथ जदयू के गठबंधन करने पर पवन वर्मा ने सवाल उठाया था. साथ ही इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से पत्र लिखकर उनसे पार्टी की विचारधारा स्पष्ट करने की मांग की थी.
पवन वर्मा के कारण ही जदयू ने प्रवक्ता डाॅ अजय आलोक को दरकिनार किया था. दोनों नेताओं के निष्कासन के एकदिन पहले अजय आलोक ने इन्हें कोरोना वायरस बताया.
पीके को प्रोपगेंडा फैलाने के लिए मिले उपाधि
जदयू से निष्काषित होने के बाद भाजपा ने भी प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पर सीधा हमला बोलना शुरू कर दिया है. भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि पीके को प्रोपोगंडा फैलाने के लिए ‘पीएचडी इन मार्केटिंग, प्रोपोगंडा ऐंड थेथरोलॉजी’ की उपाधि मिलनी चाहिए.
पीके कहीं और दुकान लगायेंगे : तारिक अनवर
जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) को लेकर चल रही गतिविधियों पर कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि प्रशांत किशोर कहीं और दुकान लगायेंगे. तारिक अनवर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रेस काॅन्फ्रेंस में शामिल होने पहुंचे थे.
पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता अनुशासन का महत्व : बशिष्ठ
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने प्रशांत किशोर व पवन वर्मा को पार्टी से निकाले जाने पर कहा है कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता. पार्टी में अनुशासन का महत्व है. पार्टी के बड़े ओहदे वाले भी अनुशासन मानते हैं. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर व पवन वर्मा पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बार-बार बयान दे रहे थे. इससे पार्टी में और बाहर गलत संदेश जा रहा था. साथ ही कंफ्यूजन पैदा हो रहा है. ऐसे में बाध्य होकर पार्टी को उन पर कार्रवाई करनी पड़ी.
प्रशांत व पवन पर कार्रवाई से पार्टी और एनडीए को संदेश
जदयू ने बुधवार को प्रशांत किशोर व पवन वर्मा को पार्टी लाइन से अलग जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर पार्टी कार्यकर्ताओं सहित एनडीए गठबंधन को भी सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है. प्रशांत किशोर जहां पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. वहीं, पवन वर्मा राज्यसभा सांसद सहित पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं.
पार्टी के इतने बड़े कद के दो नेताओं पर एक साथ कार्रवाई कर नेताओं सहित कार्यकर्ताओं को अनुशासन और पार्टी के सिद्धांत के अनुसार रहने और काम करने का संदेश दिया है. वहीं एनडीए गठबंधन में पार्टी के प्रति ऊहापोह की स्थिति को समाप्त कर दिया है. प्रशांत किशोर व पवन वर्मा ने नीतीश कुमार सहित जदयू को कटघरे में खड़े करने की कोशिश करने लगे थे.

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