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फुलवारीशरीफ : जन्म के तुरंत बाद ही झाड़ियों में फेंक दी गयी बच्ची को एम्स ने दिया जीवनदान, नाम रखा ‘परी’

फुलवारीशरीफ : नौ माह कोख में रही नन्ही मासूम को जन्म के बाद मां ने अपनी ममता से महरूम कर दिया. 10 जनवरी को झाड़ियों में फेंक दी गयी नवजात को 12 दिनों के इलाज के बाद जब नारी गुंजन संस्था को सौंपने की घड़ी आयी, तो पटना एम्स के डॉक्टरों व नर्सों की आंखें […]

फुलवारीशरीफ : नौ माह कोख में रही नन्ही मासूम को जन्म के बाद मां ने अपनी ममता से महरूम कर दिया. 10 जनवरी को झाड़ियों में फेंक दी गयी नवजात को 12 दिनों के इलाज के बाद जब नारी गुंजन संस्था को सौंपने की घड़ी आयी, तो पटना एम्स के डॉक्टरों व नर्सों की आंखें भर आयीं.
इलाज के दौरान एम्स का पीआइसीयू मासूम की किलकारियों से गुलजार रहा. एम्स से विदा करने से पहले नर्सों और डॉक्टरों ने अपनी इस बिटिया का नाम ‘परी’ रखा. गुरुवार को भारी मन से उन्होंने उसे नारी गुंजन संस्था के हवाले कर दिया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार एम्स के नजदीक भुसौला दानापुर की नहर के किनारे इस नवजात को फेंक दिया गया था. बच्ची के रोने की आवाज सुनकर आधी रात राहगीर ने तुरंत पुलिस को सूचना दी.
सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने नवजात बच्ची को एंबुलेंस की सहायता से एम्स भेजवाया, जहां बच्ची को पीआइसीयू में भर्ती किया गया. पटना एम्स के शिशु विभाग के अध्यक्ष डाॅ लोकेश तिवारी ने बताया कि बच्ची चंद घंटे पूर्व दुनिया में आयी होगी, जिस वक्त उसे पीआइसीयू में भर्ती कराया गया था. उस समय उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी.
बच्ची का वजन उस समय 3.2 किलो था. एम्स में नर्स ने उसका नाम ‘परी’ रखा. एम्स प्रशासन ने बच्ची को नारी गुंजन संस्थान का सौंपने का निर्णय लिया. 12 दिनों तक चले इलाज के दौरान यह डॉक्टरों व नर्सों की लाडली बन गयी थी. गुरुवार को उसकी विदाई के बेले ने सबको भावुक कर दिया.
पटना एम्स के शिशु रोग विभाग में 12
दिन तक चला इलाज, नाम रखा ‘परी’
रोने की आवाज सुन रात 1:00 बजे राहगीर ने दी सूचना
थानेदार रफीकुर रहमान ने बताया कि 12 दिन पहले रात के एक बजे एक राहगीर का फोन आया कि नहर के किनारे एक पइन के अंदर नवजात के रोने की आवाज सुनाई दे रही है. पुलिस गश्त टीम उसी इलाके में थी. तुरंत भेज कर उस नवजात को एंबुलेंस से एम्स के शिशु विभाग में भर्ती कराया गया था, जो अब बिल्कुल स्वस्थ है.

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