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आध्यात्मिक केंद्र का अप्रतिम उदाहरण है तख्त श्रीहरिमंदिर पटना साहिब

पटना : साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का बचपन का नाम गोबिंद राय था. माता गुजरी बाई तथा गाेबिंद राय जी का मामा कृपाल चंद्र जी को श्री गुरु तेज बहादुर जी पटना की संगत के अनुरोध पर यहीं छोड़ दिया और स्वयं अपने अन्य अनुयायियों के साथ असम यात्रा के लिए चल […]

पटना : साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का बचपन का नाम गोबिंद राय था. माता गुजरी बाई तथा गाेबिंद राय जी का मामा कृपाल चंद्र जी को श्री गुरु तेज बहादुर जी पटना की संगत के अनुरोध पर यहीं छोड़ दिया और स्वयं अपने अन्य अनुयायियों के साथ असम यात्रा के लिए चल पड़े थे. कुछ ही मास बाद यहां गोबिंद राय का जन्म हुआ. गोबिंद राय लगभग नौ-दस वर्ष की अवस्था तक पटना में रहे. उनके जीवन से संबद्ध यहां जो भी स्थान ये व सब तीर्थ बन गये. जहां आज दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है.

पटना में सिखों के कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं जिनमें मुख्य है तख्त श्री हरिमंदिर जी, मैनी संगत बाललीला, बड़ा गुरुद्वारा गायघाट, गुरु का बाग, गोबिंद घाट या कंगन घाट और गुरुद्वारा हांडी साहेब (दानापुर). बाद महाराजा रणजीत सिंह ने पटने आने पर लकड़ी के स्थान पर पत्थर का मजबूत और नयानाभिराम गुरुद्वारा बनवाया. वर्षों पूर्व तख्त श्री हरमंदिर के महंथ, हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि साहिबजाद बाबा सुमेर सिंह जी थे.
उनके समय में अखिल भारतीय कवि समाज की बैठकें नियमित रूप से यहां हुआ करती थीं जिनमें भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र, श्री जगन्नाथ दास रत्नाकार, कवि सम्राट श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔंध, श्री ब्रज बल्लभ सहाय ब्रज बल्लभ, आचार्य शिवपूजन सहाय आदि कवि और लिखे शामिल हुआ करते थे. आज हरिमंदिर जी में कथा कीर्तन और उपदेश का कार्यक्रम अहर्निश चलता रहता है. रोजाना दोनों शाम हजारों की संख्या में लोग एक साथ बैठ कर लंगर में प्रसाद ग्रहण करते हैं.
सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थान है पटना
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के जन्म तख्त श्री हरिमंदिर जी के अलावा आधा दर्जन ऐसे स्थल हैं जहां गुरु जी अथवा उनके पिता नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का संबंध रहा है.
गोबिंद घाट : तख्तश्री हरिमंदिर जी के तीन-चार सौ गज उत्तर की ओर अवस्थित है गुरुद्वारा गोबिंद घाट जिसे श्रद्धालु कंगनघाट भी कहते हैं. बालक गोबिंद राय अपने दल-बल के साथ जल क्रीड़ा करने यहां गंगा के तट पर आया करते थे.
गुरुद्वारा बाललीला : तख्तश्री हरिमंदिर से लगे हैं गुरुद्वारा बाललीला जिसे पहले मैनी संगत के नाम से जाना जाता था. बालक गोबिंद राय ने यहां अनेक चमत्कार किये थे. यह हवेली पुराने जमींदार राजा फतहचंद मैनी की थी जिसकी कोई संतान नहीं थी. गोबिंद राय अपने साथियों के साथ अक्सर यहां आया करते थे.
गुरु का बाग : तख्तश्री हरिमंदिर जी से तीन किलोमीटर पूरब रेलवे लाइन के किनारे अवस्थित है गुरुद्वारा गुरु का बाग. असम यात्रा से लौटते वक्त गुरु तेग बहदुरजी महाराज यहां डेरा डाले थे. उनके यहां पहुंचते ही सूखा बाग हरा-भरा हो गया.
गुरुद्वारा गायघाट: तख्त साहब से चार किमी पश्चिम अशोक राज पथ के किनारे अवस्थित है. गुरुद्वारा गायघाट सबसे पहले इस भूमि को प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देवजी महाराज ने अपनी पहली यात्रा के समय सन 1506 में आकर पवित्र किया था.
गुरुद्वारा हांडी साहब : तख्त श्रीहरिमंदिर जी से 20 किलोमीटर पश्चिम दानापुर में गंगा नदी के किनारे अवस्थित है गुरुद्वारा हांडी साहेब. अपने बालकाल जीवन का सात वर्ष गुजार कर पटना से पंजाब जाते समय बालक गोबिंद का पहला पड़ाव यहां हुआ था.

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