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एसटीइटी मामले को लेकर उलझन में शिक्षा विभाग

पटना : एसटीइटी के संदर्भ में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा विभाग उलझन में है. हालांकि उसे अभी निर्णय की आधिकारिक कॉपी नहीं मिली है. आदेश की कॉपी की समीक्षा के लिए वह विभाग के कानून विदों से राय लेने की तैयारी में है. विभाग एसटीइटी की कानूनी हैसियत भी जांच रहा है. […]

पटना : एसटीइटी के संदर्भ में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा विभाग उलझन में है. हालांकि उसे अभी निर्णय की आधिकारिक कॉपी नहीं मिली है. आदेश की कॉपी की समीक्षा के लिए वह विभाग के कानून विदों से राय लेने की तैयारी में है. विभाग एसटीइटी की कानूनी हैसियत भी जांच रहा है. फिलहाल अगर कोर्ट का आदेश माना जायेगा तो उन्हें नये सिरे से आवेदन का मौका देना होगा.

परीक्षा भी आगे बढ़ानी पड़ेगी. प्रश्न पत्र भी और छपवाने पड़ेंगे. ऐसे में अभी तक की तैयारियां धरी रह सकती हैं. जानकारों के मुताबिक अगर बढ़ी हुई उम्र सीमा के हिसाब से आवेदक लिये गये तो वर्तमान से तीस से चालीस फीसदी अधिक अभ्यर्थी और जुड़ जायेंगे. शिक्षा विभाग के कानूनी जानकारों के मुताबिक एसटीइटी महज नियोजन के लिए अच्छे शिक्षक चुनने का जरिया भर है.
सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग के पास इस परीक्षा को हर साल कराने का कोई नियम भी उपलब्ध नहीं है. इसकी कानूनी स्थिति टीइटी की तरह स्पष्ट नहीं है. टीइटी को अनिवार्य शिक्षा के अधिकार(आरटीइ) का संरक्षण प्राप्त है. जबकि एसटीइटी को इस तरह का कोई कानूनी संरक्षण हासिल नहीं है. फिलहाल शिक्षा विभाग इस मामले में अपने दस्तावेज खंगालकर एसटीइटी की कानूनी जमीन तलाश रहा है.
गौरतलब है कि पटना हाइकोर्ट ने एसटीइटी के अभ्यर्थियों के लिए आठ साल की छूट दी है. इस फैसले से उन अभ्यर्थियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो 2011 से 2019 के बीच पात्रता परीक्षा के लिए अपनी उम्र सीमा पार कर चुके हैं. फिलहाल विभाग ने इस पर चुप्पी साध रखी है. उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा के लिए तीन अक्तूबर तक परीक्षा फार्म भरे जा चुके हैं.

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