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पटना : पीयू लाइब्रेरी में वोकेशनल कोर्स के लिए किताबें कम

अमित कुमार पटना : पटना विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी में वोकेशनल कोर्स के छात्रों के लिए पुस्तकों की भारी कमी है. जबकि वोकेशनल कोर्स के छात्रों को सामान्य कोर्स के छात्रों से अधिक राशि लाइब्रेरी को देनी पड़ती है. इस वजह से छात्र लाइब्रेरी कार्ड भी बनवाना नहीं चाहते. अगर वे अपनी किताबें लेकर बैठकर […]

अमित कुमार
पटना : पटना विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी में वोकेशनल कोर्स के छात्रों के लिए पुस्तकों की भारी कमी है. जबकि वोकेशनल कोर्स के छात्रों को सामान्य कोर्स के छात्रों से अधिक राशि लाइब्रेरी को देनी पड़ती है.
इस वजह से छात्र लाइब्रेरी कार्ड भी बनवाना नहीं चाहते. अगर वे अपनी किताबें लेकर बैठकर पढ़ना चाहें तो इसकी इजाजत नहीं है. सिर्फ लाइब्रेरी की किताबें ही पढ़ सकते हैं. लेकिन वैसी किताबें जो इन वोकेशनल कोर्स के छात्रों के काम आयें उनकी संख्या नगण्य हैं. छात्र बताते हैं कि दो चार किताबें पढ़ने वहां कौन जायेगा ?
कॉलेज लाइब्रेरी में भी किताबें कम : छात्र-छात्राओं ने बताया कि कॉलेज की लाइब्रेरी में भी काफी कम किताबें हैं. विगत दिनों में वोकेशनल कोर्स के लिए किताबें वहीं खरीदी गयीं. मतलब छात्र न तो सेंट्रल लाइब्रेरी ही जा सकते हैं और न ही कॉलेज की ही लाइब्रेरी में.
सिर्फ और सिर्फ विभागीय लाइब्रेरी में ही उन्हें उनके मतलब की किताबें मिलती हैं. लेकिन पटना विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है कि जब सामान्य कोर्स के छात्रों के लिए ज्ञान का भंडार हैं तो उनके लिए भी यह होना चाहिए. जब वोकेशनल कोर्स विवि में चलाया जा रहा है, तो छात्रों को अच्छी लाइब्रेरी की भी दरकार है जहां उन्हें ढंग की पुस्तकें मिल जाएं.
मार्केट से लेनी पड़ती हैं पुस्तकें : छात्रों ने बताया कि या तो शिक्षक के लेक्चर या नोट्स पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर मार्केट से किताबें लेनी पड़ती हैं.
लेनी अच्छी किताबें काफी महंगी होती हैं जिन्हें दूर-दराज के ग्रामीण छात्र या मिडल क्लास के छात्रों को काफी दिक्कत होती हैं. क्योंकि वे उतना खर्च वहन नहीं कर पाते. वहीं मार्केट में भी ऐसी किताबें कम ही मिलती हैं. छात्र उसे ऑनलाइन मंगाते हैं जैसे फ्लिपकार्ट या अमेजन से. क्योंकि कई राइटर की किताबें यहां के मार्केट में मिलती ही नहीं हैं.
मंगायी गयी हैं किताबें
ऐसा नहीं है कि वोकेशनल कोर्स की किताबें नहीं है. हां थोड़ी कम हैं. अभी हाल में ही जयपुर पब्लिकेशन की करीब 2.5 लाख की किताबें मंगायी गयी हैं जिसमें वोकेशनल कोर्स की भी किताबें हैं. आगे भी सारे विभागाध्यक्षों से बुक लिस्ट मंगायी गयी है. रुसा के तहत जो राशि मिलेगी उससे उनकी खरीदारी की जायेगी. इसमें वोकेशनल कोर्स के लिए बड़ी संख्या में किताबें होंगी.
प्रो रविंद्र कुमार, निदेशक, सेंट्रल लाइब्रेरी

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