पटना : पटना के लोग शुक्रवार की देर रात के बाद से बिजली, पानी एवं खाने के लिये परेशान है. बहादुरपुर, साकेतपुरी, महावीर कालोनी, सैदपुर, राजेंद्रनगर के लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. इनको रेस्क्यू के लिये आपदा विभाग ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को जिम्मेदारी सौपी है और कई अधिकारियों के नंबर को भी सार्वजनिक किया गया है.
जब लोगों ने इस नंबर को एक-दूसरे के साथ शेयर किया और जब लोगों ने जब इस नंबर पर फोन लगाया, तो कोई नहीं उठाया और उनके पास रेस्क्यू की टीम तक नहीं गयी और लोगों ने फेसबुक पर गुस्सा दिखाना शुरू किया. डॉ अंजली कुमार ने पोस्ट कर कहा कि सारा फेक नंबर है. कोई फोन नहीं उठाया है. उन्होंने पोस्ट में लिखा कि नगर निगम किसी काम का नहीं है. सब बेकार है. जक्कनपुर के रहने वाले अनिल कुमार ने पोस्ट में लिखा कि लोग पानी में डूब रहे है. नगर निगम और सरकार कुछ भी नहीं कर रही है.
तीन दिनों से पानी तक नहीं मिला : राजधानी पटना के बहादुरपुर, साकेतपुरी, महावीर कॉलोनी में शुक्रवार की देर रात दो बजे से बिजली गुल है.
बावजूद इसके सोमवार तक इन इलाकों में राहत के लिये कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचे है. बहादुरपुर गांव के घरों में पानी घुस गया. सोमवार तक राहत नहीं मिलने के बाद गांव के लोगों ने मिलकर जनरेटर लाया है और पानी की टंकियों को भरा है. हजारों लोग पानी निकलने का इंतजार कर रहे है.
घोघो रानी-घोघो रानी, िकतना पानी, इतना पानी
भारी बारिश के बाद और जलजमाव के बीच दफ्तर खुल गये. हालांकि दफ्तर खुलने के बाद भी कर्मचारियों और अधिकारियों की उपस्थिति भी कम रही. लोग भी अपनी परेशानी लेकर कम ही पहुंचे. हालांकि इन सब के बीच एक बात खास थी कि वे अपने-अपने इलाकों में जलजमाव को लेकर एक दूसरे से चर्चा करते रहे.
कर्मी दिखे अधिकारी नहीं
कलेक्टेरिएट में सोमवार को कर्मियों की उपस्थिति सामान्य दिखी. पुराने भवन में स्थित ट्रेजरी और डीएम कोर्ट में अधिकारियों की उपस्थिति सामान्य दिखी. हिंदी भवन में स्थित जिला कल्याण और सूचना और जनसंपर्क में कर्मचारियों की उपस्थिति शत प्रतिशत दिखी. विधि कोषांग के एक कर्मी ने बताया कि दो महिला कर्मियों को छोड़कर बाकी सभी कर्मी उपस्थित है.
स्थापना, शस्त्रागार और भू-अर्जन कार्यालय में भी कर्मियों की उपस्थित सामान्य दिखी. लेकिन इन विभागों के अधिकारी बिल्कुल नजर नहीं आये. बताया गया कि डिप्टी कलेक्टर या उसके ऊपर के सभी अधिकारी जलजमाव ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य में लगे हैं.
डीएम कोर्ट में फरियादी थे पर कोर्ट लगने की स्पष्ट सूचना नहीं : समाहरणालय के पुराने भवन में जहां डीएम का कोर्ट लगता है, दोपहर दो बजे चार पांच फरियादी दिखे. मुकदमे की पैरवी के लिए आये एक वकील भी वहां उपस्थित थे. डीएम कोर्ट के सभी पांच कर्मी भी अपने जगह पर बैठे थे.
पूछने पर मालूम हुआ कि 36 लोगों के मामलों की डीएम कोर्ट में सुनवाई होनी है. तीन बजे से कोर्ट लगना था, लेकिन लोगों को यह स्पष्ट सूचना नहीं मिल रही थी कि कोर्ट लग भी पायेगा या नहीं क्योंकि डीएम भी राहत कार्य में लगे थे.
खाली दिखा काउंटर
कर्मचारियों की स्थिति सामान्य दिखी, लेकिन अपने कागजात बनवाने आये लोगों की संख्या में काफी कमी दिखी. उन लोगों के बीच अपने-अपने इलाकों में जलजमाव को लेकर बातें होती रहीं. प्रथम मंजिल पर स्थित जिन दो काउंटरों पर 100-150 लोगों की भीड़ लर्निंग बनवाने के लिए खड़ी दिखती थी, वहां महज चार-पांच लोग दिखे. लोग फोटो खिंचवा कर जा रहे थे और उन्हें कतार बनाने की जरूरत तक महसूस नहीं हो रही थी.
शहर में दिखा बारिश का असर
जल जमाव की समस्या का असर राज्य के सचिवालय में भी दिखा. सचिवालय परिसर से तो पानी निकल गया है, लेकिन इसका असर सोमवार को सचिवालय में साफतौर पर दिखा. अधिकांश कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या कम दिखी.
भीषण जलजमाव वाले इलाकों राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, नाला रोड, कदमकुआं, भूतनाथ रोड समेत इस तरफ के अन्य सभी क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी कार्यालय नहीं आ सके. कई अधिकारियों को भी कई जिलों में राहत एवं बचाव कार्य में भेज दिया गया है, तो बड़ी संख्या में अधिकारी राहत-बचाव कार्य में राज्य स्तर पर किये जा रहे प्रयासों में लगाये गये हैं.
मीटिंग मॉनीटरिंग में
दिखे व्यस्त : हालांकि इस बीच राज्य सरकार के तमाम आला अधिकारी लगातार स्थिति का जायजा लेने के लिए मीटिंग, मॉनीटरिंग और कार्य-योजना तैयार करने में व्यस्त भी देखे गये.
इधर, पुराना सचिवालय में भीषण बारिश की वजह से कई स्थानों पर सीलिंग और पानी टपकने की समस्या भी कई विभागों में देखी गयी. इस वजह से कैबिनेट सचिवालय, मुख्य सचिव के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वाले सेंटर समेत कुछ विभागों के सेक्शन में फॉल्स सीलिंग गिर पड़ा. इससे कोई हताहत तो नहीं हुआ, लेकिन काम बाधित हुआ.