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सुखाड़ घोषित करने को लेकर धरना आज, बारिश नहीं होने से सूखे बिचड़े, किसान मायूस
पटना के ग्रामीण इलाकों में धान की खेती के अनुकूल नहीं हो रही है बारिश दानापुर : बारिश नहीं होने से किसानों द्वारा खेतों में लगाये गये धान के बिचड़ों व फसल पर आफत आ गयी है. वर्षा के अभाव में धान के बिचड़े व फसल सूखने लगे हैं. प्रखंड की छह पंचायतों में धान […]
पटना के ग्रामीण इलाकों में धान की खेती के अनुकूल नहीं हो रही है बारिश
दानापुर : बारिश नहीं होने से किसानों द्वारा खेतों में लगाये गये धान के बिचड़ों व फसल पर आफत आ गयी है. वर्षा के अभाव में धान के बिचड़े व फसल सूखने लगे हैं.
प्रखंड की छह पंचायतों में धान के बिचड़े व फसल वर्षा नहीं होने से खेतों में दरार पड़ गयी है. किसान अमरजीत सिन्हा ने बताया कि वर्षा नहीं होने से खेतों में बिचड़े सूख रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिन किसानों के पास निजी बोरिंग है.
वह बोरिंग से खेतों में पटवन कर ले रहे हैं. प्रखंड में 56 .8 प्रतिशत हो पायी रोपनी: फुलवारीशरीफ. प्रखंड में पर्याप्त वर्षा के आभाव में धान के बिचड़े सूख कर मर गये. इस कारण आधी अधूरी ही रोपनी हो पायी है. फुलवारीशरीफ प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन ने बताया कि प्रखंड में 56 .8 प्रतिशत रोपनी हो पायी है. 15 प्रतिशत धान के बिचड़े पटवन के अभाव में मर गये और करीब चार से पांच प्रतिशत बिचड़े अभी रोपनी के लिए बचे हैं.
बिक्रम. बारिश कम होने से किसानों को सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है. बावजूद किसान लक्ष्य से आधे हिस्से में ही धान की रोपनी कर पाये हैं. उसमें सबसे बड़ा योगदान बिजली का है. किसानों का कहना है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र के किसानों की खेती पूर्णतः माॅनसून पर ही निर्भर है. कृषि पदाधिकारी महेंद्र मंडल ने बताया कि 75 प्रतिशत धान की रोपनी हो चुकी है.
बिचड़े हो गये पीले, पटवन महंगा होने से परेशानी
मनेर : पिछले कई दिनों से बारिश नहीं होने से मनेर प्रखंड अंतर्गत खेतों में लगी धान की फसल एवं बिचड़े पीले होकर सूखने लगे हैं. इसे लेकर किसानों में मायूसी छायी हुई है.
कई जगह पर नजदीक में नलकूप व बोरिंग होने से किसान जैसे-तैसे महंगी कीमत पर खेतों का पटवन कर धान की फसल व बिचड़ा बचाने का प्रयास कर रहे हैं. मनेर के ग्यासपुर, ब्यापुर, सराय, बलुआ, सत्तर, गोपालपुर, नरहन्ना, खासपुर, छितनावा, माधवपुर मौलीनगर, सिंघाड़ा, ताजपुर, तिलहरी सहित दियारा में लगी धान की फसल एवं बिछड़े पीले पड़ सूखने लगे हैं.
सूख रहे बिचड़े : पालीगंज. समय पर वर्षा नहीं होने के कारण खेतों में धान के बिचड़े पड़े हैं. वहीं इलाकों में कई स्थानों पर पानी के अभाव में बिचड़े नहीं डाले गये हैं.
इलाके में लगभग 50 प्रतिशत से कुछ अधिक धान की रोपनी ( बिछड़े ) दूसरे खेतों में लगाया जा चुका है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी जयंत कुमार ने बताया कि इलाके में 85. 4 प्रतिशत खेतों में बिछड़े की रोपनी हो गयी है. पानी में मिलने में थोड़ी कठिनाई हो रही है. बीच-बीच में वर्षा से फसल अच्छी होने की उम्मीद है.
पानी के अभाव में सूख रहे 35 फीसदी बिचड़े
दुल्हिनबाजार : प्रखंड क्षेत्र के खेतों में लगे धान के बिचड़े रोपण के लायक नहीं हैं. खेतों में लगे 35 फीसदी बिचड़े पानी के अभाव में सूख रहे हैं.प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि किसान वर्षा की आस लिये बैठे रहे, लेकिन अंत में भूमिगत जल स्तर में वृद्धि के बाद पूंजी लगाकर पंपसेटों द्वारा खेतों में धान का रोपण तो किया है, लेकिन सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उपज हो पाना असंभव है. उन्होंने बताया कि पूरे इलाके के 90 प्रतिशत खेतों में धान का रोपण हुआ है. वहीं किसानों द्वारा दी गयी अतिरिक्त 25 फीसदी के अलावा बचे हुए 10 फीसदी अर्थात कुल 35 फीसदी धान के बिचड़े खेतों में सूख रहे हैं.
सुखाड़ घोषित करने को लेकर धरना आज
बिहटा : प्रखंड में कृषि पदाधिकारी विमलेश कुमार मिश्रा के अनुसार 60 प्रतिशत धन की रोपनी हुई है, जबकि किसान इस बार सुखाड़ बता रहे हैं. वहीं कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसान बोरिंग से पटवन कर रोपे गये धान को बचा रहे हैं.
सुखाड़ घोषित करने को लेकर किसान गुरुवार को प्रखंड कार्यालय में धरना देंगे. पीिड़त किसानों का कहना है की इस बार बारिश नहीं होने से धान की रोपनी 20 प्रतिशत भी नहीं हो पायी है. इससे िकसान परेशान हैं. वहीं माले नेता एवं किसान गोपाल सिंह का कहना है कि रोपनी नहीं हुई है, जो रोपा गया है उसको बचना मुश्किल है. किसान महासभा 29 अगस्त को धरना दे पूरे बिहार को अकाल ग्रस्त घोषित करने की मांग करेगा.
आशा के अनुरूप वर्षा नहीं होने से धान की रोपनी लक्ष्य से आधी
मसौढ़ी : अनुमंडल के तीनों प्रखंडों मसौढ़ी, धनरूआ एवं पुनपुन में इस वर्ष आशा के अनुरूप बारिश नहीं होने का सीधा असर धान की खेती पर भी देखने को मिल रहा. बावजूद किसान धान की खेती के लक्ष्य के करीब आधे हिस्से में धान की रोपनी कर चुके हैं. जो किसान धान की रोपनी कर पाये हैं उसमें सबसे बड़ा योगदान बिजली का रहा है. किसानों का कहना है कि पूरे अनुमंडल क्षेत्र के किसानों की खेती पूर्णतः माॅनसून पर ही निर्भर है.
मसौढ़ी प्रखंड
धान की खेती का लक्ष्य 11200 हेक्टेयर
धान की रोपनी – 5040 हेक्टेयर –
44.44 प्रतिशत
वर्षापात
जून में – 28.4 एम एम
जुलाई में – 233 एम एम
अगस्त – 120.1 एमएम
कुल वर्षा अब तक – 381.5 एम एम वर्षा हो पायी है, जबकि अब तक वर्षा 700 एम एम हो जाना चाहिए था.
धनरूआ प्रखंड
धान की खेती का लक्ष्य – 7100 हेक्टेयर
धान की रोपनी – 4942 हेक्टेयर, 69.60 प्रतिशत
पुनपुन प्रखंड
धान की खेती का लक्ष्य- 4900 हेक्टेयर
धान की रोपनी – 3594 हेक्टेयर, 73.39 प्रतिशत
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