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प्रदेश के छह जिलों में सूखे के गंभीर हालात, दक्षिणी ही नहीं, इस बार उत्तरी बिहार के कई जिले सूखे की चपेट में
क्लाइमेट चेंज का नया ट्रेंड पटना : राज्य में इस साल क्लाइमेट बदल रहा है. दक्षिण बिहार के साथ ही उत्तरी बिहार के कई जिले भी अल्प बारिश की गिरफ्त में हैं. हालात ये हैं कि 15 अगस्त तक प्रदेश के 24 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. इनमें 20 जिले ऐसे हैं, […]
क्लाइमेट चेंज का नया ट्रेंड
पटना : राज्य में इस साल क्लाइमेट बदल रहा है. दक्षिण बिहार के साथ ही उत्तरी बिहार के कई जिले भी अल्प बारिश की गिरफ्त में हैं. हालात ये हैं कि 15 अगस्त तक प्रदेश के 24 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है.
इनमें 20 जिले ऐसे हैं, जहां इस समय तक सामान्य बारिश से 20 फीसदी कम बारिश दर्ज की गयी है. चार जिले ऐसे हैं, जहां 10 से 19 फीसदी कम बारिश हुई है. प्रदेश के सबसे कम बारिश वाले जिलों में बेगूसराय में 59, अरवल में 48, शेखपुरा में 40, पटना में 38, गया और बांका में 33 और औरंगाबाद में अब तक सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश रिकाॅर्ड की गयी है.
चौंकाने वाली बात ये है कि पूरे राज्य में अब तक सामान्य से केवल 9 फीसदी ही बारिश कम रिकाॅर्ड की गयी है. इस परिदृश्य में बता दें कि कुछ जिले मसलन गोपालगंज और सीवान में 36 फीसदी, बक्सर में 19 और पूर्वी चंपारण में 32 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश हुई है. सामान्य से अधिक बारिश वाले जिलों की संख्या 12 हैं. केवल दो जिलों में अब तक सामान्य बारिश हुई है.
उत्तरी बिहार में अल्प बारिश वाले जिले : सबसे कम बारिश वाले जिलों बेगूसराय और अरवल उत्तरी बिहार के ही हैं. बिहार में माॅनसून का प्रवेश द्वार माने जाने वाले पूर्णिया जिले में इस साल सामान्य से 22 फीसदी, खगड़िया में 19 फीसदी, सहरसा में 27 फीसदी, कटिहार में 20 फीसदी और लखीसराय में सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश हुई है.
बेगूसराय, अरवल, शेखपुरा, पटना, जहानाबाद व गया में ज्यादा िदक्कत
दक्षिणी बिहार में गया, बांका और जहानाबाद के अलावा शेखपुरा में सामान्य से 40 फीसदी,रोहतास में 37 फीसदी, नालंदा में 31 फीसदी, वैशाली में 30 फीसदी, पटना और नवादा में 21 फीसदी और जमुई में 23 फीसदी कम बारिश हुई है.
स्थानीय बािरश से नहीं आयी बाढ़
आइएमडी पटना के मुताबिक उत्तरी बिहार में आयी इस साल की बाढ़ की वजह नेपाल से आया पानी है. यहां की स्थानीय बारिश का इसमें कोई योगदान नहीं है. गौरतलब है कि क्लाइमेट चेंज ने बिहार को अब तक दो भागों में विभाजित कर रखा था. दक्षिण बिहार जहां दस सालों से सूखे की चपेट में है, वहीं उत्तर बिहार अति वृष्टि के लिए जाना जाता था. फिलहाल जारी बारिश का बदला हुआ ट्रेंड प्रदेश में खेती-बारी को काफी प्रभावित कर सकता है.
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