दीपक कुमार मिश्रा, पटना : हर साल बाढ़-सुखाड़ की त्रासदी झेलने वाले राज्य के किसानों की परेशानी अब कम होगी. कृषि विभाग ने मौसम के अनुरूप खेती करने की योजना बनायी है. कृषि विभाग ने योजना का नाम क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर इन बिहार, इनोवेशन फॉर चेंज दिया है. योजना इसी वित्तीय वर्ष से चालू होगी.पांच साल तक चलने वाली इस योजना पर 60.65 करोड़ खर्च होंगे. इस योजना के तहत मौसम के अनुरूप किसानों को खेती करने के लिए जागरूक किया जायेगा. इसके लिए उन्हें सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.
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मौसम के अनुरूप खेती पर सरकार देगी सहायता
दीपक कुमार मिश्रा, पटना : हर साल बाढ़-सुखाड़ की त्रासदी झेलने वाले राज्य के किसानों की परेशानी अब कम होगी. कृषि विभाग ने मौसम के अनुरूप खेती करने की योजना बनायी है. कृषि विभाग ने योजना का नाम क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर इन बिहार, इनोवेशन फॉर चेंज दिया है. योजना इसी वित्तीय वर्ष से चालू होगी.पांच […]
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में जलवायु स्मार्ट कृषि प्रणाली को अपनाकर टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है. कृषि विभाग इस योजना पर चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 13.93 करोड़ खर्च करेगा. 2020-21 में 10.91 करोड़, 2021-22 में 12.38 करोड़, 2022-23 में 11.26 करोड़ और 2023-24 में 12.16 करोड़ खर्च होंगे. यह पूरी तरह से राज्य की योजना है. योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालयों को सौंपी गयी है.
जलवायु परिवर्तन को लेकर किसानों को किया जायेगा जागरूक : इसके तहत जलवायु परिवर्तन से प्रभाव से निबटने के लिए किसानों और खेती जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा. उनकी क्षमता विस्तार हो, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा.
उन्हें खुद भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की पहचान हो, इसकी ट्रेनिंग दी जायेगी. मौसम की जानकारी देने वाली प्रारंभिक चेतावनी की प्रणाली को विकसित किया जायेगा. कृषि उत्पादों को संग्रह करने के प्रबंधन की जानकारी दी जायेगी. इन सब के अलावा मौसम के अनूकुल गेहूं, मक्का, धान, दलहन और तेलहन तथा सब्जी के अधिक उपज वाली किस्मों को विकसित किया जायेगा.
यूरिया की हो रही है निर्बाध आपू्र्ति : मंत्री
पटना. कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने कहा है कि राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं है. किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिल रहा है. खरीफ में राज्य में नौ लाख टन यूरिया की जरूरत है. अब तक 636865 टन यूरिया की आपूर्ति हो गयी है. 35,575 टन रास्ते में है.
उन्होंने कहा कि अगर किसान को खाद आपूर्ति को लेकर कोई शिकायत या परेशानी है, तो वह अपने जिलाधिकारी सहित जिला और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं. विभाग के नियंत्रण कक्ष के दूरभाष ( 0612–2217103) पर संपर्क किया जा सकता है. मंत्री ने कहा कि राज्य में यूरिया की निर्बाध आपूर्ति हो भी रही है और राज्य में पर्याप्त मात्र में उर्वरक उपलब्ध है.
उर्वरकों की कालाबाजारी पर निगरानी रखनेे के लिए जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एवं प्रखंड स्तर पर प्रखंड प्रमुख की अध्यक्षता में उर्वरक निगरानी समिति गठित है. सभी जिला कृषि पदाधिकारियों एवं प्रमंडलीय संयुक्त निदेशकों को भी सतत निगरानी रखने एवं सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है.
अगर कहीं से शिकायत मिलेगी तो त्वरित कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि उर्वरक की बिक्री पीओएस मशीन के माध्यम से 266.50 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया के पैकेट की दर पर ही बिक्री की जानी है. उन्होंने कहा कि किसान अफवाह पर ध्यान नहीं दें. भविष्य में भी यूरिया की कोई कमी नहीं होगी.
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