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पटना : कारोबारी ने पत्नी-बेटी की गोली मारकर की हत्या, फिर खुद को खत्म किया, बेटा गंभीर, जानें पूरा मामला

धोली सती टेक्सटाइल व टीबीजेड ज्वेलरी शॉप के मालिक थे निशांत पटना : पटना के बड़े व्यवसायी अशोक सर्राफ के बेटे निशांत सर्राफ उर्फ नीशु (37 वर्ष) ने लाइसेंसी रिवाॅल्वर से बेडरूम में सो रही पत्नी अलका सर्राफ (34 वर्ष), बेटी अन्नया (नौ वर्ष) के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद निशांत […]

धोली सती टेक्सटाइल व टीबीजेड ज्वेलरी शॉप के मालिक थे निशांत
पटना : पटना के बड़े व्यवसायी अशोक सर्राफ के बेटे निशांत सर्राफ उर्फ नीशु (37 वर्ष) ने लाइसेंसी रिवाॅल्वर से बेडरूम में सो रही पत्नी अलका सर्राफ (34 वर्ष), बेटी अन्नया (नौ वर्ष) के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी.
इसके बाद निशांत ने खुद को गोली मार ली. मौके पर ही तीनों की मौत हो गयी. निशांत ने चार वर्षीय बेटे इशांत को भी गोली मारी, लेकिन जब मास्टर-की से दरवाजा खोला गया तो उसकी धड़कन चल रही थी. वह बेड पर ही तड़प रहा था. तुरंत उसे एक बड़े निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां पर उसका इलाज चल रहा है. घटना कोतवाली क्षेत्र के किदवईपुरी स्थित मकान नंबर 46-ए में हुई है.
बच्चों के कमरे में दीवार से चिपका एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें अंग्रेजी लिखा है कि यह घटना वह खुद अपनी मर्जी से कर रहा है. इसके लिए किसी और को दोषी नहीं समझा जाये. कुल छह लाइन में लिखे सुसाइड नोट में निशांत ने इस बात का जिक्र नहीं किया है कि वह अपने ही हाथों परिवार की हत्या और खुद अात्महत्या क्यों कर रहा है. पुलिस के मुताबिक घटना तड़के करीब चार बजे की है.
देर रात तीनों शवों का गुलबी घाट पर दाह-संस्कार कर दिया गया. वहीं रात 10 बजे िनशांत के ससुराल वाले विमान से पटना पहुंचे. निशांत की खेतान मार्केट में धोली सती टेक्सटाइल नामक बड़ी दुकान है. वहीं, बोरिंग रोड व नाला रोड में टीबीजेड ब्रांड की ज्वेलरी शॉप है. इसके अलावा कई बड़े व्यवसाय हैं. घटना का कारण अब तक सामने नहीं आया है.बेडरूम से तीन खोखे और लाइसेंसी रिवॉल्वर मिला है.
ब्रेक फास्ट के लिए बुलाने गयी भाभी ने दरवाजे का लॉक खोला तो चीख उठी
परिवार वालों को घटना की जानकारी तब हुई, जब सुबह करीब नौ बजे निशांत और उसकी फैमिली को ब्रेकफास्ट के लिए भाभी बुलाने पहुंची.
दरवाजा अंदर से लॉक था. कई बार आवाज लगाने पर भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला. इसके बाद निशांत की भाभी ने घर में रखी मास्टर-की से दरवाजा खोला.
सामने बेड पर तीन शव पड़े हुए थे. सभी के सिरहाने रखी हुई तकिया खून से डूब गयी थी, जबकि बेटा इशांत अभी तड़प रहा था. बेड पर अलका और अन्नया के शव इस तरह से पड़े हुए थे कि जैसे वे नींद में सो रही हों. इससे साफ पता चलता है कि घटना को सोते वक्त अंजाम दिया गया है.
निशांत ने पत्नी, बेटी, और बेटे को गोली मारी और बेटे के मरने का इंतजार नहीं किया, बल्कि खुद को गोली मार ली. बड़ी बात यह है कि घरवालों का कहना है कि उन्हें गोली चलने की आवाज नहीं सुनायी दी. पुलिस इसकी जांच कर रही है कि रिवाॅल्वर में साइलेंसर लगा था या नहीं? तत्काल घटना की जानकारी पुलिस को दी गयी. इसके बाद आइजी सुनील कुमार, एसएसपी गरिमा मलिक व स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस पदाधिकारियों ने करीब तीन घंटे तक घर में जांच कर परिवार वालों का बयान लिया.
अब सिर्फ नाला रोड की ज्वेलरी शॉप की मिली थी जिम्मेदारी
निशांत अपने पिता और भाई के साथ मिलजुल कर व्यवसाय करते थे. उनकी ज्वाइंट फैमिली है. किसी प्रकार के टकराव की जानकारी नहीं मिली है. खेतान मार्केट में मौजूद धोली सती टेक्सटाइल दुकान पर भी निशांत ही बैठते थे, लेकिन हाल में ही खेतान मार्केट में जब धोली सती के नाम से रिटेल शॉप बड़े पैमाने पर अलग से खोला गया तो उसमें निशांत उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं थे. परिवार वालों का कहना है कि वह यूरोप में परिवार के साथ घूमने गये थे.
इसी कार्यक्रम में बाॅलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री अमीषा पटेल को बुलाया गया था. लेकिन पुलिस सूत्रों से पता चला था कि इतने बड़े व्यवसाय को संभाल रहे निशांत को अब यह कहा गया था कि वह सिर्फ नाला रोड में मौजूद टीबीजेड ज्वेलरी शॉप को देखेंगे. निशांत के तनाव और आत्मघाती कदम उठाने के पीछे यह भी मामला हो सकता है.
हर िबंदु पर जांच
प्रथमदृष्टया यह मामला सुसाइड का लगता है, लेकिन हर बिंदु पर जांच हो रही है. एफएसएल की टीम भी जांच में जुटी है. पति निशांत और पत्नी अलका के मोबाइल फोन जब्त किये गये हैं. उनकी जांच की जा रही है.
सुनील कुमार, आइजी, पटना
प्रभात अपील
जीवन अनमोल है, खुदकुशी के लिए नहीं
जिं दगी बेहद कीमती है. बहुत खूबसूरत भी. यह जीने के लिए होती है. इसे भरपूर जीना चाहिए. सुख-दुख, परेशानी, समस्याएं आती-जाती रहती हैं. इनका सामना करना जरूरी है. इनसे भागना नहीं चाहिए.
एक महान दार्शनिक और विचारक ने कहा भी है कि भागो नहीं, बल्कि भोगो. इस भोग में अगर सुख शामिल हैं तो दुख भी हैं. हो सकता है कि दुखों की अवधि कुछ लंबी हो. परेशानियां और तनाव जल्द खत्म न हों.
मगर हर रात के बाद दिन जरूर निकलता है. सुबह जरूर होती है. यह तमाम आशाएं और उम्मीदें लेकर आती है. इसलिए जीवन को जीना सीखिए. खुदकुशी या आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं, क्योंकि मरने वाला अकेले नहीं मरता.
उसके साथ उससे जुड़े हुए लोगों की भी जीते-जी मौत हो जाती है. मरने वाला तो चला जाता है. मगर अपने पीछे वह जिन लोगों को छोड़ जाता है, वह जीवन भर इस दर्द से नहीं निकल पाते. इसे महसूस कीजिए. परिस्थितियां जो भी हों, जैसी भी हों, बदलती जरूर हैं. यह जीवन आसानी से नहीं मिला है. इसे आसानी से मत गंवाइए.

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