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खेल-खेल में होगा पटना एम्स में जन्मजात और मानसिक विकृतियों से पीड़ित बच्चों का इलाज

फुलवारी शरीफ : पटना एम्स में बच्चो का इलाज खेल-खेल में मनोरंजक तौर तरीकों से किया जायेगा. इस सुविधा का लाभ शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित और अविकसित दोनों ही तरह के बच्चों का इलाज चिकित्सक खेलकूद के वातावरण में करेंगे. बच्चों को यह जरा भी अभास नहीं होने दिया जायेगा कि वे अस्पताल […]

फुलवारी शरीफ : पटना एम्स में बच्चो का इलाज खेल-खेल में मनोरंजक तौर तरीकों से किया जायेगा. इस सुविधा का लाभ शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित और अविकसित दोनों ही तरह के बच्चों का इलाज चिकित्सक खेलकूद के वातावरण में करेंगे. बच्चों को यह जरा भी अभास नहीं होने दिया जायेगा कि वे अस्पताल में एडमिट हैं और उनका इलाज हो रहा है. इस तरह के इलाज और अन्य सभी सुविधाओं से सुसज्जित ओपीडी और बच्चों के इलाज वाले कमरों की दीवारों पर कार्टून और रंग-बिरंगे मनमोहक आकर्षित करनेवाले पेंटिंग्स भी किये गये हैं. उक्त बातें पटना एम्स के निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने जन्मजात और मानसिक विकृतियों से पीड़ित बच्चों के लिए पटना एम्स में अर्ली इंटरवेशन सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर कहीं.

उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों और सामान्य बच्चों का इलाज कराने आये अटेंडेंट को भी ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. जन्मजात और मानसिक विकृतियों से पीड़ित बच्चों के लिए जिला अस्पताल में अर्ली इंटरवेशन सेंटर पूरी तरह तैयार है. एक अस्पताल में जाना किसी भी व्यक्ति के लिए तनाव का कारण रहता है. विशेषकर ऐसे मरीजों के साथ जिनके लिए कोई परिचित और भाग-दौड़ करनेवाला अटेंडेंट मौजूद नहीं रहता है. बच्चों के इलाज के साथ भविष्य की सुरक्षा, अज्ञात चिकित्सा परीक्षणों या सर्जरी का डर, दर्द का जरा भी आभास नहीं होने दिया जायेगा.

शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ लोकेश तिवारी ने कहा कि इस सेंटर में विशेष सुविधाओं उपकरणों युक्त पार्क, खिलौने और इनडोर-आउटडोर गेम्स की व्यवस्था है. अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में डिफेक्ट डिसएबिलिटी डिजीज डेवलपमेंट डिलेज को कवर करनेवाली कई बीमारियों का इलाज होगा. उन्होंने कहा कि जब बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की बात आती है, तो असुरक्षा, भय और अनिश्चितता की भावनाएं और भी अधिक मजबूत हो जाती हैं. ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए ही ऐसी इलाज की व्यवस्था यहां की गयी है. हम बच्चों के लिए एक चिकित्सा वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अस्पताल में उनका रहना तनावपूर्ण ना हो और बाद में दैनिक जीवन में नकारात्मक प्रभाव न पड़े. बाल चिकित्सा ओपीडी में हमने बच्चों के बैठने की व्यवस्था के लिए दीवारों, चमकीले रंगीन पर्दे और छोटी कुर्सियों और तालिकाओं के साथ एक बच्चे के अनुकूल वास्तुकला का निर्माण किया है. ओपीडी में बच्चों के लिए एक अलग प्ले जोन बनाया गया है, जहां उन्हें इलाज के दौरान खेलने की अनुमति रहेगी.

खेल-खेल में दूर करेंगे कमियां

स्पीचथैरेपी, हियरिंग (श्रवण) एड, आई चैकअप सहित विभिन्न शारीरिक दोष दूर करने के उपायों के साथ ही खेल-खेल में बच्चों के विकार दूर करने का प्रयास होगा. पजल, कैरम आदि गेम्स होंगे, जो बच्चों का मनोरंजन भी करेंगे और उन्हें दुरुस्त भी. इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक डॉ पी के सिंह, डीन डॉ पी गुप्ता, डीडीए परिमल सिन्हा और एचओडी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लोकेश तिवारी ने किया. इस मौके पर डॉ अनिल कुमार, डॉ योगेश सक्सेना, डॉ रवकीर्ति, डॉ दिवेंदु भूषण, डॉ अरुण प्रसाद, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ छीटीज आनंद, डॉ पंकज कुमार (एचओडी मनोरोग), डॉ संजय पांडेय, डॉ राजीव रंजन, डॉ माला महतो, डॉ शाहीन सहित विभिन्न संकाय सदस्यों ने इसमें भाग लिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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